आज के समय में जब युवाओं से पूछा जाता है कि उन की जिंदगी का सब से बड़ा लक्ष्य क्या है तो 70-80 फीसदी का जवाब होता है कि वे धनवान बनना चाहते हैं जबकि 50 फीसदी से ज्यादा युवाओं की जिंदगी का लक्ष्य मशहूर बनना है. मगर क्या महज धन या शोहरत हासिल कर के आप खुश रह सकते हैं? 75 वर्ष तक चले एक शोध का निष्कर्ष कुछ और ही रहा. इस स्टडी का निष्कर्ष यह था कि रिलेशनशिप में इन्वैस्ट करना जिंदगी का सब से बड़ा लक्ष्य होना चाहिए. अच्छे और सच्चे रिश्ते ही खुशहाली का राज हैं.

हमें अकसर सीख दी जाती है कि रातदिन मेहनत से काम करें और ज्यादा से ज्यादा धन और कामयाबी हासिल करें. हमें लगता है कि बस इस से ही जिंदगी अच्छी हो जाएगी. लेकिन इस आपाधापी में हम अपने रिश्तों में इन्वैस्ट करने में पीछे रह जाते हैं. उम्र बढ़ने के बाद एहसास होता है कि हमारी मुट्ठियां खाली ही रह गईं. मन के अंदर भी एक वीरानापन ही रह गया.

द हार्वर्ड स्टडी औफ अडल्ट डैवलपमैंट इंसान की जिंदगी के बारे में की गई एक सब से लंबे वक्त की स्टडी है जिस में 75 बरसों तक 724 लोगों की जिंदगी की स्टडी की गई. इस में उन के काम, उन की जिंदगी, उन की सेहत और तमाम मुद्दों का रेकौर्ड रखा गया. शोधकर्ताओं ने इतने बरसों और इतने लोगों की स्टडी में पाया कि अच्छी रिलेशनशिप हमें खुश और सेहतमंद रखती है. सामाजिक रिश्ते हमारे लिए बहुत अच्छे होते हैं और अकेलापन हमें खाने को दौड़ता है. स्टडी से पता चला कि जो लोग परिवार, दोस्त, कम्युनिटी के साथ सामाजिक तौर पर बेहतर ढंग से जुड़े हुए हैं वे ज्यादा खुश हैं और उन की सेहत भी दूसरों के मुकाबले बेहतर रहती है. अकेले रहने के परिणाम बेहद खराब पाए गए. उन की सेहत मिडलाइफ में गिरने लगती है. उन का दिमाग भी बीच में काम करना कम कर देता है.

स्टडी में दूसरी जो सब से बड़ी बात सामने आई वह यह थी कि यह सिर्फ संख्या की बात नहीं है कि आप के कितने दोस्त हैं बल्कि असल बात यह है कि जिन लोगों के साथ आप की दोस्ती या रिश्ते हैं उन में से कितनों के साथ आप की घनिष्ठता है. यही नहीं, अगर आप द्वंद्व में जीते हैं तो वह आप की सेहत के लिए बहुत खराब होता है. शादी में अगर बहुत ज्यादा उलझन हो जबकि उस में प्यार न हो तो वह सेहत के लिए बहुत बुरा साबित होती है. जबकि अगर आप अपने रिश्ते को ले कर सुरक्षित महसूस करते हैं और इस एहसास के साथ जीते हैं कि कोई है जिस पर वे मुश्किल के वक्त भरोसा कर सकते हैं या जिस से अपने मन के सारे राज शेयर कर सकते हैं तो आप दिमागी तौर पर भी फिट रहते हैं. तात्पर्य यह है कि अच्छे और भरोसेमंद रिश्ते हमारी सेहत और खुशियों के लिए जरूरी हैं.

क्या आज हमें कोई ऐसा शख्स मिल सकता है जिस पर भरोसा कर सकें ?

अब बात करें रिश्तों से जुड़े आज की हकीकत की, रिश्ते तभी प्रगाढ़ होते हैं जब हम सामने वाले से अपने मन की हर बात बिना किसी डर या झिझक के शेयर कर सकें. हमें इस बात का खौफ न हो कि जब कल वह हम से मुंह मोड़ ले और हमारे विरोधी से जा मिले और हमारे सारे राज खोल कर रख दे जैसा कि आज की पौलिटिकल पार्टियां करती हैं. आज किसी एक के सपोर्ट में हैं तो कल किसी और के. दो मिनट में पासा ही पलट देती हैं. विरोधी पार्टी के आगे सारे सीक्रेट्स खोल देती हैं. तभी तो आज कोई पार्टी किसी दूसरी पार्टी पर भरोसा नहीं करती. सब अपनी चाल खेलते हैं. वैसे भी, पार्टी में कौन सा नेता विभीषण निकल आए और दूसरी तरफ का सगा बन कर नाभि में अमृत होने का राज खोल दे, यह कोई नहीं जानता.

जैसे हमारे नेतागण एक दूसरे के प्रति कतई निष्ठावान नहीं, वैसे ही समाज में भी लोग एक दूसरे के पीठ में खंजर घोंपने में माहिर दिखते हैं. आज जब पति पत्नी की, भाई भाई की और पुत्र पिता की हत्या कर रहे हैं, एकदूसरे से आगे भागने की जुगत में नैतिकता ताक पर रख बस भागे जा रहे हैं तो जाहिर है चालबाजियां, झूठ, फरेब और स्वार्थ का बाजार गरम है. इस जमाने में ऐसे रिश्ते मिलने आसान नहीं जिन पर आप आंख मूंद कर भरोसा कर सकें.

कोई राज राज न रहा

अगर आप को ऐसा रिश्ता मिल भी जाता है जिस से आप सारे राज शेयर कर सकें तो ज़रा होशियार रहिए. आज के जमाने में कोई राज राज नहीं रह गया है. एक तरफ आप के मोबाइल के जरिए एक छोटी से छोटी बात, आप की चैट्स, आप के ट्रैवलिंग डिटेल्स, आप के और्डर्स, आप के शौक यानी आप की पूरी जन्मकुंडली, आप के क्रैडिट कार्ड्स, आप के देखे गए या सर्च किए गए वीडियोज और लिंक्स, गूगल सर्च, फ़ोनकौल्स और यहां तक कि आप के द्वारा किए गए लेनदेन आदि सबकुछ पर निगरानी रखी जा रही है. हर वक्त आप पर नजर रखी जाती है. आप का कोई काम, कोई हरकत या कोई बातचीत छिपी नहीं है.

नया स्मार्टफोन पहली बार सैटअप करते वक्त आप से कई परमिशंस मांगी जाती हैं. इस दौरान गूगल अकाउंट से लौगिन करना पड़ता है और यहां से गूगल आप का डाटा जुटाना शुरू कर देता है. फोन में कई सैटिंग्स बाय-डिफौल्ट इनेबल रहती हैं जिन के साथ गूगल आप पर पलपल नजर रखता है. आप को जान कर हैरानी होगी कि आप कब कहां गए, क्या सर्च किया, गूगल इस का पूरा रिकौर्ड भी रखता है. इस तरह जुटाए जाने वाले डाटा का इस्तेमाल यूजर को बेहतर अनुभव देने उस से जुड़े विज्ञापन दिखाने के लिए किया जाता है. मगर शायद ही कोई चाहेगा कि गूगल उस की हर गतिविधि और मूवमैंट का पूरा रिकौर्ड रखे.

इसी तरह सरकार भी हमारे ऊपर हर वक्त नजर रखती है. आजकल हर जगह आधारकार्ड से पहचान दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है. आप कहीं ट्रैवल करें, किसी होटल में ठहरें, कोई सिम लें, कहीं अप्लाई करें या इस तरह का कुछ भी काम करें तो आधारकार्ड की कौपी ले ली जाती है. पैनकार्ड के जरिए भी आप के पैसों और लेनदेन पर पूरी नजर रखी जाती है. आप की कोई एक्टिविटी छिप ही नहीं सकती. हर जगह सीसीटीवी कैमरे बाकी कसर पूरी करते हैं. कहने का अर्थ यह है कि सीक्रेट्स रह कहां गए जो आप किसी अपने को राजदार बनाएं और घनिष्टता बढ़ाएं.

इसी तरह किसी पर भरोसा करना भी मुश्किल हो गया है. कब कौन राजदार बन कर आप की सारी बात रिकौर्ड कर ले या फिर आप की एक्टिविटीज की वीडियो बना डाले. पति तक पत्नी की अश्लील वीडियो बना कर रिश्तों को कलंकित कर डालते हैं. इसलिए किसी के करीब जाने या उस के आगे अपना मन खोलने से पहले पचासों बार सोचना पड़ता है. सब के हाथ में स्मार्टफोन होता है. किसी को घनिष्ठ मान कर बात कीजिए और तुरंत सारे राज कैप्चर कर लिए जाएं तो आप क्या करेंगे. आजकल तो घरों में सीक्रेट कैमरे लगा कर राज जान लिए जाते हैं. इसलिए बेहतर यह होगा कि अपनापन बढ़ाने के लिए किसी पर आंख मूंद कर भरोसा न करें. कोई कितना भी अजीज हो, उस से कुछ राज तो छिपा कर अपने मन में रखें ही.

यानी, रिश्तों में घनिष्ठता बढ़ाने से ज्यादा इस बात पर जोर दें कि जब मिलें, खुले मन से मिलें. गिलेशिकवे कहने या पुरानी बातों को ले कर लड़नेझगड़ने के बजाय उस पल को एंजौए करें. हंसे और हंसाए. जीवन के हर पल का आनंद लें. जिंदगी की असली खुशियां यही हैं.

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