K-Drama का मतलब है साउथ कोरिया में बनाए जा रहे रोमांटिक ड्रामा सीरीज. वहीं C-Drama में चीन के युवाओं की खुशनुमा जिंदगी को दिखाया जाता है. दो अलगअलग देशों के यूथ की लाइफ में ऐसा क्या है कि भारतीय यूथ में उसे देखने की दीवानगी बढ़ती ही चली गई.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sarita (@sarita_magazine)

ड्रामाज में मिलाया जाने वाला मिर्च मसाला

आमतौर पर इन दोनों देशों की ड्रामा सीरीज टीनएज और यूथ की लवलाइफ, कैरियर, फैमिली रिलेशन पर आधारित होती हैं और 25 एपिसोड्स तक खत्म हो जाती हैं. लिव इन रिलेशनिशप, वन नाइट स्टैंड, वाइन कल्चर, मिडिल क्लास पेरैंटिंग,  भारत जैसी डिवोर्स, कैरियर ओरिएंटेड वुमन, बड़ी कंपनियों के कल्चर, अमीरगरीब के बीच के प्यार को ले कर बुनी जाती है.

ट्रेंडी और यूथ ओरिएंटेड टच का भी कमाल

लेकिन कुछ मामलों में इन का कौंसेप्ट बिल्कुल ट्रेंडी और कैची है, जो यूथ को हुक करना जानता है जैसे इन की SciFi यानी साइंस फिक्शन बेस्ड ड्रामाज, जिस में दूसरे एलियन से प्यार दिखाया जाता है, कुछ गेम्स डिवाइसेस या गेम्स कल्चर को ले कर भी बनते हैं, जिस में ऐक्टर्स को नए गेम को बनाते, उस पर रिसर्च करते और उसे यूज करते दिखाया जाता है.

इतना ही नहीं कम उम्र में अपनी कंपनी या अपना बिजनेस शुरू करने के प्लौट पर कहानियां बुनी गई हैं. इन ड्रामाज का यूथ में स्टार्टअप के प्रति आकर्षण दिखाया है. वे अपने पेरैंट्स की तरह ट्रेडिशनल जौब्स करने की बजाय कुछ नया और अपना काम करने में यकीन रखते हैं.

कब और कैसे भारतीय युवाओं के दिमाग में दीमक की तरह फैला

K-Drama और C-Drama दोनों बहुत ही पुरानी संस्कृति से भारत भूमि पर आए, ठीक उसी तरह जैसे मध्यकालीन युग में आक्रमणकारी भारत आए. मध्यकालीन बर्बर आक्रमणकारियों और K-Drama और C-Drama के बीच यह समानता है कि दोनों का इरादा लूटने का ही रहा, अंतर यह था कि एक मारकाट कर लूटता गया और दूसरा प्यार बरसा कर लूट रहा है.

Statista की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2023 में हुए एक सर्वे में शामिल 29 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे K-Drama से भलीभांति परिचित हैं. इस सर्वे में 15 से 59 साल के 1600 लोगों ने भाग लिया.

एक अनुमान के अनुसार लौकडाउन के दिनों में ही वेब सीरीज की तरह ही युवाओं को इन ड्रामाज की लत लगी. अंतर बस यही था कि वेब सीरीज देखनेवालों में ज्यादातर 25 साल से ऊपर के लोग थे तो इन ड्रामाज को देखने वाले ज्यादातर इस एज ग्रुप
(25 से 30 साल) के नीचे वाले लोग थे.

 

कब और कैसे भारतीय युवाओं के दिमाग में दीमक की तरह फैला

K-Drama और C-Drama दोनों बहुत ही पुरानी संस्कृति से भारत भूमि पर आए, ठीक उसी तरह जैसे मध्यकालीन युग में आक्रमणकारी भारत आए. मध्यकालीन बर्बर आक्रमणकारियों और K-Drama और C-Drama के बीच यह समानता है कि दोनों का इरादा लूटने का ही रहा, अंतर यह था कि एक मारकाट कर लूटता गया और दूसरा प्यार बरसाकर लूट रहा है. Statista की एक रिपोर्ट के अनुसार,भारत में साल 2023 में हुए एक सर्वे में शामिल 29 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे K-Drama से भलीभांति परिचित हैं. इस सर्वे में 15 से 59 साल के 1600 लोगों ने भाग लिया.

एक अनुमान के अनुसार लौकडाउन के दिनों में ही वेबसीरीज की तरह युवाओं की इसकी लत लगी. अंतर बस यही था कि वेबसीरीज देखनेवालों में ज्यादातर 25 साल से ऊपर के लोग थे तो इन ड्रामाज को देखनेवालों ज्यादातर इस एजग्रुप (25 से 30 साल) के नीचे वाले लोग थे.

तेजी से बढ़त बनाने की वजह

इन ड्रामाज में से कई ओटीटीज पर फ्री हैं. कुछ यूट्यूब पर भी फ्री में मिल रहे हैं. इन में से कई पौपुलर ड्रामाज हिंदी में डब्ड हैं या फिर इंग्लिश सबटाइटल्स के साथ मौजूद हैं. वैसे तो ये दोनों देशों के ड्रामाज भारत के सीरियल्स की तुलना में कम एपिसोड्स के होते हैं, जो 25 एपिसोड तक खत्म हो जाते हैं खासकर दक्षिण कोरिया में बने ड्रामा. हालांकि चीन के कुछ ड्रामाज 100 एपिसोड तक लंबे होते हैं.

Statista की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, 26 देशों में किए गए सर्वे में शामिल 41 प्रतिशत लोगों ने माना कि कोरियन ड्रामाज उन के देश में बहुत मशहूर हैं. एक आंकड़े के मुताबिक, साल 2019 से 2020 के बीच भारत में नेटफ्लिक्स पर k-dramas देखने वालों की संख्या में 370 प्रतिशत की बढ़त देखी गई.

K-Drama देखने के लिए लोग इन OTT प्लेटफौर्म्स का रुख करते हैं, viki, Routen viki या Netflix पर जाते हैं तो c-drama देखने के लिए MX Player, Amazon Mini, YouTube जैसे प्लेटफौर्म्स पर मंडराते हैं.

उत्तर कोरिया में नहीं देख सकते ये रोमांटिक ड्रामा

हालांकि उत्तर कोरिया में दक्षिणी कोरिया के ड्रामाज देखने की सख्त मनाही है और पकड़े जाने पर सजा भी दी जाती है. साउथ कोरिया के एक रिसर्च ग्रुप ने एक वीडियो फुटैज जारी किया, जो वहां के उन टीनजर्स की थी, जिन्हें ये ड्रामाज और फिल्में देखने और उस को बांटने के लिए 12 साल की कड़ी मेहनत करने की सख्त सजा दी गई थी. इन यूथ्स की उम्र 16 साल थी और सजा देते वक्त यह कहा गया गया कि दोनों उस विदेशी कल्चर से प्रभावित हैं, जो उन का भविष्य खराब कर सकती है.

वैसे कुल मिला कर कहा जाए, तो इन ड्रामाज की सब से अच्छी बात है कि इस में हिंसा नहीं दिखाया जाता है, कुछ मार्शल आर्ट्स पर भी ड्रामाज हैं लेकिन फिर भी वह साउथ इंडियन मूवीज या हौलीवुड की तुलना में न के बराबर हैं.

सच कहा जाए तो इस तरह के ड्रामाज में कई ऐसे वैल्यूज हैं जो भटके हुए टीनएजर्स और यूथ को पौजिटिव मैसेज देते हैं जैसे फैमिली वैल्यूज, कैरियर को ले कर सचेत होना, नौकरी के भरोसे रहने के बजाय अपना बिजनेस या स्टार्टअप शुरू कर अपने सपनों को पूरा करना, घर में पेरैंट्स की भागीदारी को कम करना और गर्लफ्रैंड से जीभर कर रोमांस करना.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...