सर्दी के मौसम के एक साला फूलों के पौधों में ऐसे पौधे शामिल हैं, जो कि अपना पूरा जीवन (बीज बोने व अंकुरण से ले कर फूल आने और उन के खत्म होने तक) 1 साल या 1 मौसम में ही पूरा कर लेते हैं. इन में ज्यादातर पौधे ऐसे होते हैं, जोकि अपना जीवन 3 से 6 महीने में ही पूरा कर लेते हैं. ऐसे 1 साल वाले फूलों के पौधों को बहुत ही आसानी से कम मेहनत से पैदा किया जा सकता है. ये पौधे देखने में काफी आकर्षक होते हैं. इन की खेती बगीचे को सजा देती है. किसान भाई इन की नर्सरी तैयार कर के और खेती कर के बीज उत्पादन में भी अच्छा लाभ कमा सकते हैं.
इन तमाम सालाना फूलों के पौधों को कई मकसद पूरे करने के लिए पैदा किया जाता है. इन्हें गमलों में लगाने, क्यारियों में लगाने, लटकाने वाली टोकरियों में लगाने, सड़कों के किनारे लगाने व चट्टान उद्यान में लगाने में इस्तेमाल किया जाता है.
बोआई का समय : इन पौधों की बढ़ोतरी और फूलने के लिए कम तापमान की जरूरत होती है, लिहाजा इन के बीजों को अगस्तसितंबर के दौरान नर्सरी में बोया जाता है. अक्तूबरनवंबर के बीच इन पौधों को स्थायी स्थानों पर लगा दिया जाता?है.
नर्सरी के लिए जगह का चुनाव : पूरी तरह खुली और भरपूर हवा व रोशनी वाली जगह नर्सरी बनाने के लिए अच्छी रहती है. इन फूलों की नर्सरी के लिए बलुई दोमट मिट्टी वाली जमीन बेहतर होती है.
क्यारियों की तैयारी : नर्सरी के अंदर 4-6 इंच उठी हुई क्यारियां बनाई जाती हैं, ताकि फालतू पानी बाहर निकल सके और नर्सरी के छोटेछोटे पौधे खराब न हो सकें. क्यारियों की लंबाई 3 मीटर और चौड़ाई 1 मीटर रखते हैं, ताकि सिंचाई और निराईगुड़ाई आसानी से की जा सके. क्यारियों की गहरी जुताई कर के उन में सड़ी गोबर की खाद मिला कर मिट्टी समतल कर लेनी चाहिए.
बोआई का तरीका : कुछ पौधों के बीजों को सीधे स्थायी क्यारियों में भी बोया जा सकता है, जैसे गेंदा व कोसमोस वगैरह. नर्सरी बेड में बीजों को बोते समय खास ध्यान दिया जाता है. ऐसे बीज जो ज्यादा बारीक होते हैं (जैसे पिटूनिया व पोपी), उन्हें बालू या राख में मिला कर बोना चाहिए ताकि उन्हें समान दूरी पर गिराया जा सके.
नर्सरी बेड में बीजों को हमेशा लाइन बना कर बोना चाहिए. बोने के बाद बीजों को बारीक छनी हुई खाद और बालू के मिश्रण की हलकी तह से ढक देना चाहिए. उस के बाद क्यारियों के ऊपर घास व पत्तियां डाल देनी चाहिए, जिस से बीज खराब न हो सकें और नमी को ज्यादा समय तक कायम रखा जा सके. क्यारियों को रोजाना हजारे से सींचना चाहिए. जब बीज उग आएं तो घास व पत्तियों को हटा कर अलग कर दें और फालतू पौधों को भी निकाल दें. पौधे ज्यादा घने होने की हालत में कवक रोग पैदा हो जाते हैं, नतीजतन पौधों का विकास रुक जाता है या कभीकभी पौधे मर भी जाते हैं.
खरपतवारों की रोकथाम : नर्सरी में समयसमय पर निराईगुड़ाई कर के खरपतवार निकालते रहना चाहिए. पौधों को अधिक मजबूत बनाने के लिए जब वे छोटे होते हैं, तो उन्हें दूसरी क्यारियों में लगा देते हैं.
पौध लगाना : पौधों को लगाने से पहले स्थायी क्यारियों को गोबर की खाद वगैरह डाल कर ठीक तरह से तैयार कर लेना चाहिए. उस के बाद पौधों को उन की ऊंचाई के आधार पर लगाना चाहिए. पहले लंबे पौधों को, फिर मध्यम पौधों को और बाद में छोटे पौधों को लगाना चाहिए.
देखभाल : पौधे लगाने के तुरंत बाद पानी देना चाहिए. सर्दियों में सिंचाई का अंतर 4-7 दिन रखा जाता है. समयसमय पर खुरपी की मदद से निराईगुड़ाई कर के खरपतवार निकालते रहना चाहिए. ज्यादा फूल उत्पादन के लिए पौधों को तरल खाद देना जरूरी होता है.
पौधों के फूल जैसेजैसे मुरझाते जाएं वैसेवैसे उन को पौधों से काट कर अलग करते रहना चाहिए. इस प्रकार से फूल अधिक तादाद में पैदा किए जा सकते हैं.
बीमारियां : 1 वर्षीय पौधों में बहुत सी बीमारियां लग जाती हैं जैसे कि लीफ स्पोट, मिल्ड्यू बिल्ट व बर्निंग वगैरह. इन से बचाव के लिए डायथेन एम 45 या कापर आक्सीक्लोराइड वगैरह दवाओं का छिड़काव करते रहना चाहिए.
कीड़े : केटरपिलर, लारवे, मोथ सा फ्लाई वगैरह कीड़ों के इलाज के लिए कीटनाशी दवाओं जैसे कारबोरिल 2 ग्राम या इंडोसल्फान 35 ईसी 1.5 ग्राम का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर स्प्रे करें.
बीजों को जमा करना : बीज लेने के लिए आकार, रंग व सेहत को ध्यान में रख कर फूलों को चुन लेते हैं.
1 वर्षीय फूलों की खेती कर के हमारे किसान भाई सब्जी की फसल की तरह कम समय में अपने खेतों से ज्यादा आमदनी हासिल कर सकते हैं.
– डा. अनंत कुमार (कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद), डा. वीरेंद्र पाल (कृषि विज्ञान केंद्र, हस्तिनापुर, मेरठ)