लेखक- डा. सुबोध कुमार शर्मा     

एक्वापोनिक्स तकनीक कुछ विशेष स्थितियों में खासकर जहां भूमि और पानी सीमित है, में अधिक उत्पादन और आर्थिक रूप से प्रभावी सिद्ध हो सकती है. बड़ी संख्या में सब्जियां और उद्यानिकी फसलें जैसे चुकंदर, मूली, आलू, गोभी, ब्रोकली, सलाद, लेट्यूस, टमाटर, बैगन, मिर्च, खीरा, फल और मौसमी फूल सफलतापूर्वक उगाए जा सकते हैं. एक्वापोनिक्स में मिट्टी के बजाय दूसरे स्रोतों का उपयोग किया जाता है जैसे कि बजरी, रेत, कोकोपीट, रौक, ऊनी नमदा, वर्मीक्यूलाइट, नारियल फाइबर, यहां तक कि सिंडर ब्लौक और स्टायरोफोम आदि.

आजकल कई मछली प्रजातियों को सफलतापूर्वक एक्वापोनिक्स सिस्टम में विकसित किया जा रहा है जैसे कि चैनल कैटफिश, ट्राउट, मरे कौड, ब्लू गिल, येलो पर्च और हमारे देश में कौमन कार्प, मांगुर, कवई, पंगास, तिलापिया, संवल इत्यादि.एक्वापोनिक्स का महत्त्व और आयएक्वापोनिक्स एक नई और तेजी से लोकप्रिय होती तकनीक है. इस से पौष्टिक मछली और सब्जियां दोनों का उत्पादन इस प्रणाली में जमीन में उगने वाली सब्जियों की तुलना में बहुत कम पानी का उपयोग होता है. सब्जियों के फसल चक्र का समय भी लगभग आधा हो जाता है.

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खास बात तो यह कि  इस सिस्टम में किसी भी प्रकार के कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है. ताजा फल, सब्जियां और मछली बाजार में भी अधिक मूल्य मिलता है. बहुत से लोग अब अपने भोजन का उत्पादन करने के लिए इसे चुन रहे हैं और अतिरिक्त आय हासिल करने के लिए बिक्री भी करते हैं. इस से प्राप्त उत्पादन को स्थानीय कैफे और रैस्टोरैंट, दोस्तों और परिचितों या स्थानीय बाजारों में बेचा जा सकता है.

एक्वापोनिक्स खाद्य उत्पादनके प्रमुख लाभ

*   यह एक सतत और गहन खाद्य उत्पादन प्रणाली है.

*   2 कृषि उत्पाद (मछली और सब्जियां) एक ही नाइट्रोजन स्रोत (मछली के भोजन) से उत्पन्न होते हैं.

* जल का अत्यंत कुशल उपयोग.

* इस में मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है.

* इस प्रणाली मे उर्वरकों या रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग नहीं करते हैं.

* गुणवतापूर्ण उच्च उत्पादन ले सकते हैं.

* जैविक उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान.

* प्रदूषण का न्यूनतम जोखिम.

* उत्पादन पर उच्च नियंत्रण से न्यूनतम हानि.

* गैरकृषि में भी आसानी से स्थापित किया जा सकता है.

* अपशिष्ट की मात्रा न्यूनतम होती है.

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* दैनिक कार्य, कटाई और रोपण में मेहनत की बचत से सभी लिंग और आयु वर्ग के लोगों को रोजगार का अवसर मिलता है.

* कई स्थानों पर परिवार के लिए खाद्य उत्पादन या नकदी फसल के रूप में उत्पादन.एक्वाकल्चर मेंएक्वापोनिक्स की उपयोगिताजल में अपशिष्ट की कमी करना :  एक्वापोनिक्स में मछली के अपशिष्ट जल का निष्पादन जैव निस्पंदन प्रणाली के माध्यम से किया जाता है,

जहां अमोनिया को नाइट्राइट और नाइट्राइट को नाइट्रेट में परिवर्तित किया जाता है, जिसे पौधे पोषण के रूप में अवशोषित कर लेते हैं. यह निस्पंदन प्रक्रिया फसलों के लिए पोषण प्रदान करती है और बदले में मछली के टैंकों में लौटने से पहले फसल पानी से विषाक्त पदार्थों को अवशोषित कर लेती है. सिस्टम के भीतर पानी लगातार पौधों से मछली और वापस फिर से पौधों के बीच में परिचालित होता रहता है.

इस प्रक्रिया के माध्यम से पानी की गुणवत्ता लगातार अच्छी बनी रहती है.लागत में कमी करना : एक्वापोनिक्स में पानी पूरे सिस्टम में लगातार परिचालित होता रहता है, जिस का अर्थ है कि पानी की खपत केवल वाष्पीकरण, अतिप्रवाह और पौधों द्वारा प्राकृतिक अवशोषण के कारण ही होती है. इस प्रणाली में मछली को स्वाभाविक रूप से मछली उत्पादन के साथ फसलों के लिए पोषण मिलता है.

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पानी की आपूर्ति में अतिरिक्त पोषक तत्त्वों को डालने की आवश्यकता कम हो जाती है,  बस प्रत्येक दिन मछली को भोजन प्रदान करना और नियमित रूप से निगरानी करने की जरूरत है.लाभ के अधिक अवसर : मछली के प्रकार के आधार पर आप अपनी मछली को कुछ महीनों में बेचने लायक बड़ी कर सकते हैं, जबकि लैट्यूस जैसी फसलें केवल 6-8 हफ्ते में फसल तैयार हो जाती हैं.

यह न केवल एक सुसंगत आय का अवसर प्रदान करता है, बल्कि आप के बाजार को भी बढ़ाता है.एक्वापोनिक्स की पद्धतिऔर तकनीकएक्वापोनिक्स में उपयोग किए जाने वाले 3 सब से सामान्य तरीके हैं :1. मीडिया बेड विधि, 2. पोषक तत्त्व फिल्म तकनीक (एनएफटी) विधि, 3. गहर(डीडब्ल्यूसी) विधि.अगले भाग में विस्तार से पढ़िए मीडिया बेड विधि के बारे में.

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