मीडिया बेड तकनीक पर आधारित इकाइयां छोटे पैमाने पर एक्वापोनिक्स के लिए सब से लोकप्रिय डिजाइन हैं. अधिकांश विकासशील देशों में इस विधि की सिफारिश की जाती है. यह डिजाइन कम जगह घेरने, अपेक्षाकृत कम प्रारंभिक लागत और सरल तकनीक के कारण नए लोगों के लिए उपयुक्त हैं.

मीडिया बेड का निर्माण करना

सामग्री : मीडिया बेड प्लास्टिक ड्रम, फाइबर ग्लास या पौलीथिन शीट से बनाया जा सकता है.

आकार : आदर्श मीडिया बेड लगभग  1 मीटर चौड़ी और 1-3 मीटर की लंबी होनी चाहिए. मीडिया बेड (ग्रेवल टैंक) इतना चौड़ा नहीं होना चाहिए कि किसान/संचालक को कम से कम आधे बेड तक भी पहुंचने में कठिनाई हो.

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गहराई : मीडिया बेड की गहराई भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह इकाई में रूट स्पेस वौल्यूम की मात्रा को नियंत्रित करता है. यदि टमाटर, भिंडी या गोभी जैसी बड़ी फल वाली सब्जियां बो रहे हैं, तो मीडिया बेड में तकरीबन 30 सैंटीमीटर की गहराई होनी चाहिए, जिस के बिना बड़ी सब्जियों में पर्याप्त रूट स्पेस नहीं मिलेगा. पौधों की जड़ आपस में उल?ा जाएंगी और पोषक तत्त्वों की कमी का अनुभव होगा. छोटी पत्तेदार हरी सब्जियों की जड़ों को 15-20 सैंटीमीटर तक मीडिया बेड गहराई की आवश्यकता होती है, जिस से मीडिया बेड का आकार सीमित होने पर उन्हें बढ़ने का एक अच्छा विकल्प मिल जाता है.

मीडिया के विकल्प

मीडिया के कुछ आवश्यक मापदंड हैं. मीडिया निष्क्रिय होना चाहिए, उस में धूल और विषैलापन न हो और यह एक उदासीन पीएच (7.0) वाला होना चाहिए, ताकि पानी की गुणवत्ता प्रभावी बनी रहे.

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मीडिया की विशेषताएं

बैल साइफन और उस के घटक : मीडिया बेड से निश्चित मात्रा में जल निकासी के लिए बैल साइफन लगाया जाता है. बैल साइफन के तीन मुख्य घटक होते हैं. 30 सैंटीमीटर की मीडिया गहराई ओर 1-3 मीटर के मीडिया क्षेत्र वाले एक्वापोनिक डिजाइनों की प्रत्येक बेड के लिए 200-500 लिटर/घंटा जल प्रवाह की दर रखनी चाहिए.

स्टैंडपाइप : मीडिया बेड तकनीक में बैल साइफन स्टैंडपाइप का निर्माण पीवीसी पाइप से किया जाता है. यह बैल साइफन का सब से भीतरी हिस्सा है, जिस का व्यास 2.5 सैंटीमीटर  और ऊंचाई लगभग 22 सैंटीमीटर होती है. स्टैंडपाइप मीडिया बेड के पेंदे में से बाहर निकलता है.

बैल : मीडिया बेड तकनीक में बैल एक पीवीसी पाइप की बनी होती है, जिस का व्यास 7.5 सैंटीमीटर और ऊंचाई 25 सैंटीमीटर रखी जाती है. बैल स्टैंडपाइप को ढकने वाला साइफन का मध्य भाग है. इस पाइप का शीर्ष एक पीवीसी के ढक्कन से बंद किया जाता है और नीचे की ओर खुला रहता है, जहां यह स्टैंडपाइप पर फिट बैठता है.

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बैल के निचले हिस्से में 1 सैंटीमीटर गुणा 4 सैंटीमीटर के 2 आयताकार छिद्र रखे जाते हैं, जो कि पानी को बैल के अंदर स्टैंडपाइप में खींचने के लिए होते हैं. साइफन को तोड़ने में मदद करने के लिए नीचे से 5 सैंटीमीटर और ऊपर  1 सैंटीमीटर का एक छेद भी किया जाता है.

मीडिया गार्ड : यह गार्ड 11 सैंटीमीटर व्यास और 32 सैंटीमीटर की ऊंचाई का होता है. इस में कई छोटे छेद इस के किनारों में ड्रिल द्वारा किए जाते हैं. मीडिया गार्ड पानी के प्रवाह में बाधा डाले बिना स्टैंडपाइप में बेड की बजरी के प्रवेश को रोकता है.

टाइमर यंत्र : मीडिया बेड में कुछ समयांतराल पर पानी भरने और निकासी द्वारा सिंचाई को नियंत्रित करने के लिए पानी के पंप और एक टाइमर स्विच की जरूरत पड़ती है.

इस विधि का लाभ यह है कि इस में श्रम साध्य तरीके से औटोसाइफन को केलिब्रेट नहीं करना पड़ता है. हालांकि, पानी के कम परिसंचरण और मछली टैंक में वायु संचरण के कारण पानी कम छनता है.

जल प्रवाह की गति

पानी को सुचारु रूप से निकासी के लिए स्टैंडपाइप बड़ा और पर्याप्त व्यास का होना चाहिए और इसी स्टैंडपाइप में कुछ ऊंचाई पर 6-12 मिमी व्यास का एक छोटा इनलेट भी होता है. यह छोटा इनलेट आने वाले सभी पानी को निकालने के लिए अपर्याप्त है और इसलिए जब पानी छोटे इनलेट से बाहर निकलता है, तब तक ग्रो बेड पूरा भरने तक जारी रहता है, जब तक यह शीर्ष तक नहीं पहुंच जाता है.

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ग्रो बेड भरने के बाद एक बिंदु पर टाइमर पानी पंप की बिजली काट देता है. ग्रो बेड में पानी छोटे इनलेट छेद के अलावा बैल साइफन से बाहर निकलना शुरू हो जाता है. जब तक पानी नीचे तल के स्तर तक नहीं पहुंच जाता तब तक ग्रो बेड को खाली करना जारी रखता है. इस बिंदु पर पानी के पंप में बिजली दोबारा चालू हो जाती है और ग्रो बेड को ताजा मछली टैंक को पानी से फिर से भरा जाता है. मछली के टैंक के पानी को कम से कम एक घंटे में पूरी तरह से ग्रो बेड में परिसंचारित कर दिया जाता है.

पौध तैयार करने की विधि

* सब से पहले सीडलिंग की एक खाली प्लास्टिक की ट्रे लेते हैं, जिस का आधा भाग खाद या कोको फाइबर से भर दिया जाता है.

* बीज को लगभग 0.5 सैंटीमीटर गहराई में बोया जाता है.

* ट्रे को छायादार जगह में रखें और समय पर सिंचाई करें, जिस से मीडिया में पर्याप्त नमी बनी रहे.

* बीजों को अंकुरित होने और पहली बार पत्तियां दिखाई देने के बाद, पौध को दिन में कुछ घंटों के लिए तेज धूप में रख कर कड़ा किया जाता है.

* पौधों की जड़ों की वृद्धि के  लिए सप्ताह में एक बार फास्फोरसयुक्त जैविक उर्वरक से निषेचित करें.

* पौधों की जड़ों की पर्याप्त वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए पहली पत्ती दिखने के बाद कम से कम 2 सप्ताह तक बढ़ने दें.

* पौधों के पर्याप्त विकसित होने पर उन्हें ग्रो बेड में प्रत्यारोपित करें. एक छोटे कुंद साधन का उपयोग कर के अंकुर और उन की मिट्टी के कप को अलग करें. इस के लिए ध्यान से किसी पतली खुरपी की सहायता से पौध को ट्रे से बाहर निकालें.

मीडिया बेड में रोपाई

जब बजरी से भरी मीडिया बेड में पौध रोपण की जाती है, तो बजरी को एक तरफ धकेल कर एक छोटा गड्ढा बना कर प्रत्यारोपित करें.

मीडिया बेड में पानी के उच्चतम बिंदु से बजरी 5-7 सैंटीमीटर ऊपर तक रखें, जिस से पौधों की जड़ें पानी में आंशिक रूप से डूबी रहें. बहुत गहराई से रोपण न करें, वरना पौधों में रोग लग सकता है.

एक्वापोनिक्स में बरतें सावधानियां?

टैंक का चुनाव ध्यान से करें : मछली टैंक प्रत्येक एक्वापोनिक इकाई में कोई भी मछली टैंक उपयोग किया जा सकता है, लेकिन फ्लैट या शंक्वाकार पेंदे वाले गोल टैंक की सिफारिश की जाती है, क्योंकि वे साफ रखने में आसान होते हैं. मजबूत निष्क्रिय प्लास्टिक या फाइबर ग्लास टैंक का चुनाव करें, क्योंकि ये लंबे समय तक चलते हैं.

पानी की आवाजाही सुनिश्चित  करें : पानी और वायु पंपों के उपयोग से यह सुनिश्चित करें कि पानी में घुलित औक्सीजन और अच्छे पानी की आवाजाही उच्च स्तर पर हो, ताकि आप की मछली, बैक्टीरिया और पौधे स्वस्थ रहें.

याद रखें कि बिजली की लागत एक्वापोनिक्स प्रणाली के बजट का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए पंपों और बिजली के स्रोत को बुद्धिमानी से चुनें. यदि संभव हो, तो सौर ऊर्जा का चुनाव करें, जिस से बिजली के खर्च को कम किया जा सके.

पानी की अच्छी गुणवत्ता बनाए रखें :

यह वह माध्यम है, जिस के द्वारा सभी आवश्यक पोषक तत्त्वों को पौधों तक पहुंचाया जाता है. यह मछली के जीवन का माध्यम भी है, इसलिए जल की गुणवत्ता बनाए रखना एक्वापोनिक प्रणाली की सफलता के लिए आवश्यक है. पांच जल गुणवत्ता पैरामीटर निगरानी और नियंत्रण के लिए महत्त्वपूर्ण हैं : घुलित औक्सीजन (5 मिलीग्राम/लिटर से अधिक), पीएच (6-7), तापमान (18-30 डिगरी सैल्सियस), कुल नाइट्रोजन (3-5 मिलीग्राम/लिटर) और पानी की क्षारीयता (150-500 मिलीग्राम/लिटर).

अत्याहार से बचें

जलीय जीवों के लिए एक्वापोनिक इकाई में अपशिष्ट और अशुद्ध भोजन बहुत हानिकारक होते हैं, क्योंकि वे सिस्टम के अंदर सड़ने लगते हैं. सड़ते हुए भोजन से बीमारी हो सकती है और घुलित औक्सीजन की गंभीर रूप से कमी हो जाती है. मछली को हर दिन भोजन खिलाएं, लेकिन 30 मिनट के बाद इकाई में बचा हुआ भोजन हटा दें. अगले दिन के हिस्से को उसी के अनुसार समायोजित करें.

पौधों को बुद्धिमानी से चुनें

लंबी अवधि की फसलों (बैगन) के साथ पौधों के बीच कम बढ़ने वाली अवधि (सलाद वाले साग) की

सब्जियां लगाएं. याद रखें कि हरे पत्तेदार पौधे, टमाटर, खीरा और मिर्च सहित अन्य लोकप्रिय सब्जियां बहुत अच्छी तरह से पनपती हैं.

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