लेखक- डा. प्रेम शंकर, डा. एसएन सिंह, डा. शैलेंद्र सिंह, डा. दिनेश कुमार यादव
पिछले अंक में आप ने पढ़ा था : आम को ‘फलों का राजा’ कहा जाता है. यह मीठा होने के साथसाथ गुणों से भी भरपुर होता है. लेकिन पिछले कुछ सालों से इस के उत्पादन में कमी आई है, जिस की अहम वजह आम की फसल में लगने वाले कीट हैं. लिहाजा, बागबानों को इन कीटों की जानकारी के साथसाथ उन से छुटकारा पाने की सलाह दी गई थी.
अब आगे पढि़ए : शल्क कीट कीट की उच्चतम संख्या जुलाईअगस्त कीट की पहचान व क्षति का प्रकार : 20वीं शताब्दी के अंत तक आम में शल्क कीट के द्वारा हानि को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता था, परंतु अब महसूस किया जाने लगा है कि शल्क कीट द्वारा आम के पेड़ को भारी क्षति पहुंचती है. कीट के निम्फ व वयस्क पेड़ की पत्तियों और मुलायम भागों का रस चूसते हैं, जिस से पेड़ कमजोर हो जाता है. कीट पेड़ का रस चूसने के साथसाथ एक तरह का गाढ़ा स्राव भी छोड़ता है, जिस पर कज्जली फफूंदी का आक्रमण हो जाने से पेड़ की पत्तियां व मुलायम भाग कवक के चलते काले हो जाते हैं. कीट की अधिकता के चलते पेड़ों की बढ़वार रुक जाती हैं व पेड़ के फलन पर भी बुरा असर पड़ता है.
प्रबंधन * पेड़ के उन सभी भागों की, जिन पर कीट का आक्रमण अत्यधिक है, कटाईछंटाई कर के नष्ट कर देना चाहिए. * कीटग्रसित बागों में इमिडाक्लोरोप्रिड 0.1 मिलीलिटर या फिब्रोनिल 0.2 मिलीलिटर मात्रा प्रति लिटर पानी की दर से घोल बना कर 15-15 दिनों के अंतर पर 2 छिड़काव करें. शीर्ष स्तंभबेधक कीट की उच्चतम संख्या जुलाईसितंबर अनुकूल वातावरण : मध्यम तापक्रम के साथ वातावरण में मध्यम नमी. कीट की पहचान व क्षति का प्रकार : यह कीट देश के सभी भागों में पाया जाता है. इस कीट के पतंगे चमकीले भूरे रंग के होते हैं और पंख फैलाव के बाद इन की माप 17.5 मिलीमीटर होती है. इन कीटों के पिछले पंख हलके रंग के होते हैं.
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कीट की वयस्क मादा पेड़ की नई पत्तियों की मध्यशिरा पर अंडे देती है. अंडों से फूट कर नई इल्ली पत्ती की मध्यशिरा में छेद कर सुरंग बनाने के साथसाथ पुष्प मंजरी में भी सुरंग बना कर हानि पहुंचाती है. कीट की पूर्ण विकसित इल्ली गहरे गुलाबी रंग की गंदे धब्बों वाली होती हैं. यह कीट पूरे साल में 4 जीवनचक्र पूरे करता है. प्रबंधन * कीट से ग्रसित तनों की क्लिपिंग कर के ग्रसित भाग को तुरंत नष्ट करना चाहिए. * कीट की रोकथाम के लिए पेड़ पर नए पत्ते आते समय फिब्रोनिल या मेथोमिल की 0.2 मिलीलिटर मात्रा प्रति लिटर की दर से घोल तैयार कर 15-15 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करना चाहिए. छाल खाने वाली इल्ली कीट की अधिकतम संख्या अप्रैलदिसंबर कीट की पहचान व क्षति का प्रकार : पेड़ की छाल खाने वाला यह कीट पूरे देश में आम के पेड़ के साथसाथ अन्य कई फल वृक्षों व जंगली पेड़ों की छाल को नुकसान पहुंचाता है.
इस कीट का प्रकोप उन्हीं बागों में अधिक पाया जाता है, जिन बागों का सही रखरखाव न होता हो या जिन बागों में सूरज की रोशनी सही आदानप्रदान न होता हो. कीट की इल्लियां पेड़ की छाल को खा कर पेड़ में बनी सुरंगों में ही आराम करती हैं. कीट का पतंगा हलके धूसर रंग का गहरे भूरे रंग के धब्बों वाला होता है. पंख फैली हुई अवस्था में इस कीट की माप 25-40 मिलीमीटर की होती है. पूरी तरह से विकसित इल्ली भद्दे भूरे रंग की 35-45 मिलीमीटर की होती है और कीट एक साल में एक ही जीवनचक्र पूरा करता है.
प्रबंधन * कीट ग्रसित छेदों की सफाई कर छेदों में 0.02 प्रतिशत के फिब्रोनिल के इमल्सन को डालना चाहिए व छेदों को कीचड़ से ढक देना चाहिए.
* यदि कीट का प्रकोप अधिक हो, तो 0.02 प्रतिशत के मेथोमिल के घोल की डे्रचिंग करनी चाहिए. तना बेधक कीट की उच्चतम संख्या जुलाईअगस्त कीट की पहचान व क्षति का प्रकार : पूरे भारत में पाया जाने वाला यह कीट आम के पेड़ों के अतिरिक्त अन्य कई फल वृक्षों को हानि पहुंचाता है. कीट का भृंग व सूंड़ी दोनों ही तने व जड़ों पर सुरंग बना कर अपना भोजन हासिल करते हैं.
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कीट सुरंगें ऊपर की ओर बनाते हैं, जिस के चलते पेड़ की शाखाएं सूख जाती हैं. कभीकभी जब कीट का अत्यधिक आक्रमण होता है, तो पूरा पौधा सूख जाता है. कीट का भृंग मजबूत शरीर वाला 35-50 मिलीमीटर आकार का होता है कीट वयस्क भृंग का रंग धूसर भूरा और शरीर पर गहरे भूरे और काले रंग के धब्बे बने होते हैं. मादा भृंग पेड़ की दरारों में अंडे देती है, जो तरल पदार्थ से ढके हुए होते हैं.
पूरी तरह से विकसित सूंड़ी 90×20 मिलीमीटर आकार की क्रीमी रंग की होती है, जिस का सिर गहरे रंग का होता है. कीट प्यूपा अवस्था में तने में ही रहता है. प्रबंधन * बाग में खादपानी व साफसफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
* सूखी डाली को काट कर जला देना चाहिए.
* कीट द्वारा बनाए गए छेदों को साफ कर उस में ट्राइजोफास 0.02 फीसदी के इमल्सन या मिट्टी के तेल या पैट्रोल में भीगी हुई रूई ठूंस कर छेदों को कीचड़ या गीली मिट्टी से बंद कर देना चाहिए. जाल बुनने वाला कीट कीट की उच्चतम संख्या अप्रैलदिसंबर अनुकूल वातावरण : उच्च आर्द्रता के साथ उच्च तापक्रम. कीट की पहचान व क्षति का प्रकार : ऐसे बागों में जिन में पेड़ घने लगे हों, सूरज की रोशनी कम पहुंचती है, उन बागों में यह कीट एक गंभीर समस्या पैदा करता है. वयस्क मादा एक या ?ांड में जाल से बुनी हुई पत्तियों में अंडे देती है. अंडे से निकल कर इल्ली सब से पहले पत्तियों को खुरच कर खाती है और कुछ समय बाद में इल्लियां नई कलियों व पत्तियों को जाल में बुन कर एकसाथ खाती हैं.
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यह देखा गया है कि एक जाल में 1-9 तक इल्लियां पाई जाती हैं. कीट की प्यूपा अवस्था बुने हुए जाल के अंदर ही ककून में होती है. कीट का पतंगा माध्यम आकार का होता है और पूरी तरह से विकसित इल्ली 2.5 से 3 सैंटीमीटर आकार की भूरे रंग की होती है. इल्ली की पीठ पर सफेद रंग की आड़ी धारियां व भूरे रंग के धब्बे होते हैं. कीट की प्यूपा अवस्था 5-6 महीने तक चलती है.
प्रबंधन
* बाग में पूरी तरह से सूरज की रोशनी पहुंचे, इस के लिए अतिरिक्त शाखाओं को काट देना चाहिए.
* कीट द्वारा बनाए गए जालों को पत्तियों व टहनियों सहित काट कर जला देना चाहिए.
* बाग में मेथोमिल या ट्राइजोफास या इमेक्टिन बेंजोएट के 0.02 फीसदी के घोल का जुलाई महीने से शुरू कर 15-15 दिन के अंतर पर 3 छिड़काव करना चाहिए. यह जरूर ध्यान रखा जाए कि एक ही रसायन का प्रयोग बारबार न हो.
आम की गुठली का घुन कीट की उच्चतम संख्या जूनजुलाई उपयुक्त जलवायु : उच्च आर्द्रता. कीट की पहचान और क्षति का प्रकार : कीट का प्रकोप दक्षिण भारत में अधिक पाया जाता है.
कीट के वयस्क हृष्टपुष्ट गहरे धूसर रंग के और शरीर पर हलके रंग के धब्बे होते हैं. इन का आकार 7-8 मिलीमीटर होता है. मादा कंचों के आकार के फलों में छेद कर के श्वेत क्रीमी रंग के अंडे त्वचा के नीचे देती हैं. इल्ली अंडों से फूट कर फल का गूदा खाती हुई वयस्क कीट फल में छेद बना कर बाहर निकलती है.
कीट का पूरा जीवनचक्र 40-45 दिन में पूरा हो जाता है. कीटग्रसित फलों पर मादा द्वारा अंडा देने के लिए जो छेद बनाया जाता है, वह बाद में भर जाता है और फल की त्वचा पर केवल एक गहरे रंग का धब्बा रह जाता है.
ग्रसित फलों का गूदा भद्दे रंग का व बीज की जमाव नुकसान का भी हो जाता है. कीट एक साल में एक ही जीवनचक्र पूरा कर पाता है.
प्रबंधन
* भूमि पर गिरे हुए ग्रसित फलों को एकत्र कर नष्ट कर देना चाहिए.
* शीतशयन में गए कीटों को भूमि की खुदाई कर नष्ट कर देना चाहिए.
* पेड़ के तने पर कीट द्वारा अंडे देने के समय 0.02 प्रतिशत मेथोमिल के घोल का छिड़काव करना चाहिए. सूट गाल सिल्ला कीट की उच्चतम संख्या अगस्तसितंबर उपयुक्त जलवायु
मध्यम तापक्रम के साथ रुकरुक कर वातावरण में उच्च आर्द्रता. कीट की पहचान व क्षति का प्रकार
उत्तर भारत में कीट का सर्वाधिक प्रकोप उत्तराखंड में होता है, क्योंकि कीट का आक्रमण उन्हीं क्षेत्रों में अधिक होता है, जहां जलवायु नम हो. कीट के अंडे श्वेत रंग के, निम्फ हलके पीले रंग के और वयस्क कीट 3-4 मिलीमीटर का गहरे भूरे रंग का होता है. कीट पूरे साल में एक ही जीवनचक्र पूरा करता है.
एक वयस्क मादा कीट मार्चअप्रैल महीने में पत्तियों की निचली सतह पर 150 अंडे देती है, जिस से छोटे निम्फ अगस्त, सितंबर में निकल कर पत्तियों के अक्ष पर कलिका का रस चूसते हैं, जिस से पत्तियों की अक्ष की कलिकाएं हरी शंक्वाकार गाल में बदल जाती हैं.
कलिकाओं के घाव सितंबरअक्तूबर माह में पूरी तरह साफ दिखाई देते हैं. कीटग्रसित पेड़ की टहनियां, पुष्प व फल विहीन हो जाती है. कीट का आक्रमण पुराने पेड़ों पर ही अधिक पाया जाता है.
प्रबंधन
* कीटग्रसित टहनियों की कटाईछंटाई कर नष्ट कर देनी चाहिए.
* कीट का प्रभावी तरीके से नियंत्रण के लिए पेड़ पर पहला ट्राइजोफास (0.02 फीसदी), इमेक्टिन बेंजोएट (0.02 फीसदी), दूसरा फिब्रोनिल (0.02 फीसदी) का 10-15 दिन के अंतर पर 3 छिड़काव करना चाहिए. पहला छिड़काव जुलाई महीने के अंत में करें.
* लगातार एक ही रसायन के छिड़काव से बचना चाहिए. फुदका कीट की उच्चतम संख्या मार्चअप्रैल कीट की पहचान व क्षति का प्रकार : कीट पत्तियों से भोजन हासिल कर जीवनयापन करती हैं, जबकि पुष्प मंजरियों व नए फलों से यह कीट भोजन प्राप्त करती हैं. थ्रिप्स की वयस्क मादा तकरीबन 1 मिलीमीटर की शंक्वाकार, नई पत्तियों की निचली सतह पर लगभग 50 अंडे देती हैं. अंडों से निम्फ निकलता है. कीट लगभग 9 दिनों में 2 निम्फ अवस्थाएं पूरी करता है और इस अवस्था में कीट पत्तियों व पुष्पों से भोजन प्राप्त करता है. निम्फ अवस्था के बाद 2 प्यूपा अवस्थाओं में 5 दिन बिता कर नया वयस्क कीट निकलता है.
कीट के निम्फ व वयस्क ऊतकों को खुरचते हैं, जिस के चलते कोशिकाओं से निकले स्राव से अपना भोजन प्राप्त करता है. थ्रिप्स मलद्वार से गाढ़ा श्राव निकालते हैं, जिस से फलों व पत्तियों पर सिलवरी परत और मल के धब्बे बन जाते हैं. फलों पर ये धब्बे फलों के बाजार भाव को कम कर देते हैं व पत्तियां सूरज की रोशनी के चलते ?ालसी हुई दिखती हैं. यह कीट जब भोजन नहीं कर रहा होता है, तो कीट पत्तियों की निचली सतह पर या कलिकाओं के अंदर आराम करता रहता है.
प्रबंधन
* कीट के अत्यधिक आक्रमण की दशा में पुष्पन अवस्था में पेड़ पर फिब्रोनिल या मेथोमिल की 0.02 मिलीमीटर मात्रा प्रति लिटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए. आम का फल बेधन कीट की उच्चतम संख्या जनवरीमई कीट की पहचान व क्षति का प्रकार :
कीट की वयस्क मादा फल के ऊपरी भाग या फल के डंठल पर 1 मिलीमीटर से छोटे आकार के सफेद अंडे देती है. इन अंडों का रंग कुछ समय बाद लाल हो जाता है. अंडे 2 से 3 दिन के अंदर फूटते हैं, जिन से छोटीछोटी इल्लियां निकल कर पहले फल की त्वचा को खाती हैं,
बाद में फल की त्वचा पर छेद बना कर सुरंग बनाती हुई खाती हैं. त्वचा पर बना छेद इल्ली के मल से बंद हो जाता है. ऐसे कीट ग्रस्त फल समय से पेड़ से गिर कर सड़ जाते हैं. कीट की इल्ली के शरीर पर क्रमवार सफेद व लाल रंग के बैंड होते हैं.
प्रबंधन
* पेड़ों के नीचे गिरे हुए ग्रसित फलों व टहनियों को एकत्र कर नष्ट कर देना चाहिए.
* यदि कीट का अत्यधिक आक्रमण हो, तो फलों के कंचे के आकार की अवस्था पर इमिडाक्लोरोप्रिड का 0.1 फीसदी व 2 हफ्ते बाद इमेक्टिन बेंजोएट 0.2 मिलीलिटर प्रति लिटर की दर से 2 छिड़काव करने चाहिए. * फलों की तुड़ाई के 20 से 25 दिन पहले किसी भी तरह के छिड़काव से बचना चाहिए.