Artifical Intelligence : कंप्यूटर जमाजोड़ करने के लिए जाने जाते थे. टैक्नोलौजी की प्रगति के साथ धीरेधीरे कंप्यूटर अब आप के द्वारा डाले गए मैसेज, लेख, शोध ग्रंथ, रिपोर्ट, इतिहास, विज्ञान, ज्योग्राफी सब पढ़ना ही नहीं सीख गए हैं बल्कि किसी भी पूछे गए सवाल पर, जो जानकारी इंटरनैट में तैर रही है उस को खंगाल कर, जवाब देने में भी सक्षम हो गए हैं. आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस इसी को संक्षेप में कहते हैं. हालांकि, कंप्यूटर वैज्ञानिकों की नजर में आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस यानी एआई के और भी बहुत से मतलब हैं.
एक आम आदमी की याददाश्त और किसी भी तरह के तथ्यों को जांचपरख कर किसी भी निर्णय पर पहुंचने की क्षमता अब आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस वाले कंप्यूटरों में लगातार बढ़ रही है और वे सारी दुनिया की किताबों का ज्ञान पढ़ सकते हैं क्योंकि लोगों ने धीरेधीरे सारी किताबों को कंप्यूटर की बाइनरी भाषा में पहले ही डाल दिया है.
आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस के टूल पासवर्डों को भेदते हुए जानकारी के गहरे स्रोतों के पीछे तक पहुंचने की क्षमता रखते हैं क्योंकि उन्हें जिन लोगों ने कोड किया है उन्होंने हजारों नहीं बल्कि करोड़ों पैटर्नों की गिनती की कला कंप्टूटर को पहले से सिखा रखी है.
यह समझ लें कि जैसे एक युग में घोड़े और बैल को स्टीम इंजन ने पछाड़ कर निरर्थक साबित करने के साथ सिर्फ सजावटी बना दिया था वैसे ही मानव मस्तिष्क को गौण बनाने की क्षमता आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस में है.
जब आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस को मशीनों से जोड़ा जाएगा तो वे शायद मानवों से ज्यादा अच्छा काम कर सकेंगे क्योंकि मानव मस्तिष्क की अपनी सीमाएं होती हैं, उसे भूख भी लगती है, नींद भी आती है, वह बोर भी होता है, थकता भी है. जब मानव मस्तिष्क तेज है तो वह आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस तैयार करेगा लेकिन बाद में आराम से सोएगा.
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