Mastiii 4 Movie Movie Review : फिल्म ‘मस्ती-4’ मिलाप मिलन जावेरी की ‘मस्ती’ सीरीज की चौथी फिल्म है. दर्शक इस फिल्म की स्टारकास्ट देख कर ही अंदाजा लगा सकते हैं कि इस फिल्म के ऐक्टर्स कितने वाहियात और अश्लील हावभावों वाले हैं.
फिल्म का निर्माण बालाजी मोशन पिक्चर्स, मारुति इंटरनैशनल और श्री अधिकारी ब्रदर्स ने मिल कर किया है. बालाजी पिक्चर्स की एकता कपूर तो गंदे, द्विअर्थी डायलौग्स वाली फिल्में बनाने में सबसे आगे रहती है. इस फिल्म में बाकी 2 निर्माताओं के साथ मिल कर उस ने कचरा ही परोसा है. मस्ती के नाम पर गंदगी फैलाना ही उस का काम रह गया है. दर्शकों को फिल्म देखने जाने पर अफसोस होता है.
‘मस्ती’ सीरीज की पहली फिल्म 2004 में आई थी, जिसे दर्शकों ने पसंद किया था. उस के बाद इस सीरीज की 2 फिल्में और बनाई गईं. ‘ग्रैंड मस्ती’ और ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’, ‘मस्ती-4’ इसी फ्रैंचाइजी का चौथा हिस्सा है लेकिन यह मस्ती नहीं, कौमेडी के नाम पर मुसीबत है. कहने को तो यह एडल्ट कौमेडी है, मगर एकदम घटिया है. निर्देशक ने महिलाओं को बेवकूफ दिखाने में कसर नहीं छोड़ी है.
एडल्ट कहानी दिखाने के चक्कर में मेकर्स असली कहानी भूल गए हैं. कहानी 3 दोस्त मीत (विवेक ओबरॉय), अमर (रितेश देशमुख) और प्रेम (आफताब शिवदासानी) की है, जो अपनी अपनी पत्नियों से खुश नहीं हैं. तीनों की सैक्सलाइफ से मस्ती नदारद है, इसलिए वे मस्ती की तलाश बाहर करते हैं. उन का दोस्त कामराज (अरशद वारसी) उन से कहता है कि उस की बीवी उसे लव वीजा देती है जिस में वह किसी भी लड़की के साथ समय बिता सकता है. तीनों अपनी अपनी पत्नियों से लव वीजा मांगते हैं, जो उन्हें मिल जाता है.
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