RSS : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत ने अगर कहा है कि सच्ची आजादी तब मिली है जब राम मंदिर बना, तो कुछ खास गलत नहीं कहा. दरअसल वे उस वर्णव्यवस्था में विश्वास करते हैं जिस में ब्राह्मणों के पुरुषों को असली सत्ता मिलती है और ब्राह्मण स्त्रियों समेत अन्य सभी वर्गों के पुरुष-स्त्री को आधीपूरी गुलामी. ज्ञात इतिहास के अनुसार, पौराणिक कहानियों में इस ‘स्वर्णकाल’ का वर्णन है वरना तो यहां जो निशान मिलते हैं वे बौद्धों, मुगलों या यूरोपियों द्वारा छोड़े गए हैं. पौराणिक काल के बाद अब राम मंदिर बनने को फिर से पौराणिक व्यवस्था को आजादी मिलना कहा जा सकता है.

भारतीय जनता पार्टी में अनेक जातियों के लोग हैं. कुछ औरतें भी हैं. पर सभी एक तरफ से राजा के दरबार में जीहुजूरी करते हैं. यह राम मंदिर की देन है और यही पुराणों में वर्णित है जिस में यम और दुर्वासा राजा राम तक से मिलने पर अपनी शर्तें रख सकते हैं. जिन्हें पुराणों का सही ज्ञान चाहिए वे लक्ष्मण को मिले दंड के बारे में वाल्मीकि रामायण में पढ़ लें.

राम मंदिर बनने के बाद से देश के कोनेकोने में मंदिरों की बाढ़ आ गई है. 1947 तक का बेचारा निरीह ब्राह्मण, जो चपरासगीरी भी करता था, आज रेशमी कपड़े पहन कर छोटेबड़े मंदिर का पुजारी बन गया है. यही तो आजादी है.

जब अमेरिका और यूरोप में रंगभेद की श्रेष्ठता लौट रही है तो भारत में क्यों न लौटे? डोनाल्ड ट्रंप समाज को अपने मागा गैंग और चर्च के पादरियों की सहायता से बदल रहे हैं. 2 बड़े लोकतंत्रों को आजादी 2024 में ही मिली है. एक में राम मंदिर बनने पर, दूसरे में डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर.

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