Silver Price Hike : चांदी की तेजी ने निवेश बाजार में हलचल मचा दी है. उम्मीद है कि अगले साल के अंत तक इस की कीमत ढाई से 3 लाख रुपए प्रति किलो हो सकती है. वहीं, इस के निवेश में खतरे कम नहीं हैं.

कहावत है कि ‘गुड़ गुड़ ही रह गया, चेला शक्कर हो गया’. आजकल यह कहावत सोने और चांदी पर खरी उतर रही है. पहले बाजार में सोने और चांदी के बीच फासला ग्राम और किलो का रहता था, जैसे जितने मूल्य में 10 ग्राम सोना मिलता था उतने में एक किलोग्राम चांदी मिलती थी. आज चांदी का बाजार भाव इस अनुपात से बढ़ गया है.

22 दिसंबर, 2025 को एक किलोग्राम चांदी की कीमत 2,13,412 रुपए थी, जबकि 10 ग्राम सोने की कीमत 1,37,365 रुपए थी. सोने और चांदी की कीमतों के बीच जो अनुपात पहले था वह अब नहीं है. इस मामले में चांदी सोना से आगे निकल गई है. भारत में कारोबार में चांदी के सिक्के चलते थे जो देश की अर्थव्यवस्था का हिस्सा थे. इस का श्रेय ईस्ट इंडिया कंपनी को जाता है जिस ने भारत में चांदी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया.

भारत में चांदी का प्रयोग कैसे बढ़ा?

भारत में चांदी के कारोबार में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अहम भूमिका निभाई थी. अंगरेज कारोबारी भारत से कॉटन, सिल्क के वस्त्र और मसाले का कारोबार करते थे. इस के लिए उन्हें चीन से चांदी लानी पड़ती थी. चीन केवल चांदी के बदले ही व्यापार करता था. अंगरेज ‘त्रिकोणीय व्यापार’ करते थे. वे भारत से कपड़े चीन को बेचते थे वहां से चांदी, अफीम और चाय को ले जा कर अमेरिका में बेचते थे. चीन से मिली चांदी भारत को दे कर कपड़े और मसाले लेते थे. ब्रिटेन भारत, चीन और अमेरिका में अपना सामान बेचता था.

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