India's Growth Rate 2025 : 8.2 विकास दर का यह मतलब नहीं है कि देश धड़ाधड़ तरक्की कर रहा है, सभी लोग खुश हैं, अधिकतर को रोजगार मिल गया है या पैसों की बरसात होने लगी है. जिस धीमी विकास दर को 50 साल पहले व्यंग्य के तौर पर हिंदू रेट ग्रोथ कहा गया था वह अब सनातनी रेट ग्रोथ होती जा रही है.
बात महत्त्वपूर्ण लेकिन बहुत छोटी व सूचनात्मक थी कि मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की विकास दर 8.2 फीसदी रही, पर सिर्फ इतने से बात पुराने जमाने की ब्लैक एंड व्हाइट डॉक्यूमेंट्री फिल्मों सरीखी लग कर रह जाती. सो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस में वह शानदार-जानदार तड़का लगाया कि जीडीपी तो बहुत दूर की बात है, अर्थशास्त्र की तरफ पीठ कर सोने वाले भी यह सुन कर चौकन्ने हो गए कि इस बात का भी हिंदू शब्द से कोई संबंध है और हो न हो तो यह बदमाशी अर्बन नक्सलियों, वामपंथियों, नास्तिकों और अभक्त बुद्धिजीवियों की है.
नरेंद्र मोदी एक बड़े आयोजन में बोल रहे थे जो उन आयोजनों में से एक था जिन में सत्तारूढ़ नेताओं को एक तथाकथित गैर राजनीतिक मंच और एलीट क्लास भीड़ मुहैया करा कर राजनीति करने की आजादी दी जाती है जिस में वे अपनी भड़ास निकालते हैं. दो-तीन पैराग्राफ में सस्पेंस पैदा करने के बाद उन्होंने कहा, ‘भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है लेकिन क्या आज कोई इसे हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है?’
हिंदू शब्द सुनते ही वहां मौजूद अधिकतर श्रोताओं के कान स्वत: ही खड़े हो गए कि यह हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ है क्या बला. इस उत्सुकता को दूर करते हुए नरेंद्र मोदी, आदत के मुताबिक, सीधे कांग्रेसी शासनकाल में दाखिल होते हुए बोले, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ उस समय कहा गया जब भारत 2-3 प्रतिशत की ग्रोथ रेट के लिए तरस गया था. किसी देश की अर्थव्यवस्था को उस में रहने वाले लोगों की आस्था और पहचान से जोड़ना गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था.
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