(2 स्टार)

बौलीवुड में पिछले कुछ सालों से बायोपिक फिल्मों का चलन बढ़ा है, उस में भी खिलाड़ियों की बायोपिक फिल्म बनाने की. यह एक अलग बात है कि अब तक इस तरह की बायोपिक फिल्मों को बौक्स औफिस पर बहुत कम सफलता नसीब हुई है. अब 14 जून को फिल्म सर्जक कबीर खान की बायोपिक व स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म ‘चंदू चैंम्पियन सिनेमाघरों में पहुंची है, जो कि 1972 में तैराकी के क्षेत्र में पैरा ओलंपिक में गोल्ड मैडल सहित कई अर्वाड जीत चुके और 2018 में सरकार द्वारा पद्मश्री से नवाजे जा चुके महाराष्ट्र के सांगली जिले के निवासी मुरलीकांत पेटकर की बायोपिक फिल्म है.

फिल्म में शीर्ष भूमिका कार्तिक आर्यन ने निभाई है. कार्तिक का दावा रहा है कि यह फिल्म उन के कैरियर के लिए ‘गेम चेंजर’ और सर्वश्रेष्ठ फिल्म है. इस फिल्म को ले कर अति उत्साही कार्तिक आर्यन कुछ समय पहले कुछ चुनिंदा पत्रकारों को ले कर अपने गृह नगर ग्वालियर गए थे, जहां उन्होंने भव्य समारोह में फिल्म ‘चंदू चैंम्पियन’ का ट्रेलर लौंच किया था. उस के बाद उन के चमचानुमा पत्रकारों ने तो कार्तिक आर्यन को ‘चने के झाड़ पर चढ़ाना’ शुरू कर दिया और ऐसे पत्रकार फिल्म के प्रदर्शन के बाद भी अपने इस काम को अंजाम देते हुए नजर आ रहे हैं. जबकि मुझे फिल्म का ट्रेलर देख कर निराशा हुई थी और फिल्म देख कर भी निराशा ही हाथ लगी.

सिनेमाई स्वतंत्रता के नाम पर कई ऐसे दृष्य पिरोए गए हैं जो कि दिल को छूने की बजाय फूहड़ लगते हैं. फिल्म भावनात्मक स्तर पर भी दर्शकों से नहीं जुड़ती. इस के अलावा फिल्म को ठीक से प्रचारित भी नहीं किया गया. दूसरी बात मुरलीकांत पेटकर की वीरता व उपलब्धियों का कोई सानी नहीं, मगर अफसोस उन के बारे में आज कोई नहीं जानता. मतलब दर्शक उन के नाम से परिचित नहीं हैं. हमारी व्यक्तिगत राय में इस तरह के सभी गुमनाम लोगों पर फिल्में बननी चाहिए, मगर अच्छे ढंग से.

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