दिनेश वीजन निर्मित और आदित्य सरपोतदार निर्देfशत फिल्म ‘मुंज्या’ जून माह के प्रथम सप्ताह, 7 जून को सिनेमाघरों में पहुंची. भूत पिशाच व हौरर वाली इस फिल्म की कहानी थोड़ी सी अलग है पर बीच में जबरन कुछ हास्य दृष्य भी थोपे गए हैं. मगर यह फिल्म न तो हौरर बन पाई और न ही हास्य फिल्म बन पाई. फिल्म की कहानी महाराष्ट्रीयन लुक के गांव की है. फिल्म में नामचीन चेहरों की कमी है.

फिल्म के नायक अभय वर्मा कुछ सीरीज के अलावा संदीप सिंह की फिल्म ‘सफेद’ में नजर आ चुके हैं. इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर पानी तक नहीं मांगा. ऊपर से अभय वर्मा अभी से अहम शिकार हैं. फिल्म की नायिका मनोहर जोश की नातिन शरवरी वाघ हैं. जो कि ‘द फारगोटन आर्मी’, ‘बंटी और बबली 2’ जैसी असफल फिल्में कर चुकी हैं. कई सफल मराठी फिल्मों के निर्देशक आदित्य सरपोतदार असफल हिंदी फिल्म ‘थोड़ीथोड़ी मनमानियां’ का भी निर्देशन कर चुके हैं. उस के बाद यह उन की दूसरी फिल्म है. वह अभी भी क्षेत्रीयता के रंग में ही रंगे हुए हैं. फिल्म का संगीत, एडिटिंग भी खराब है.

फिल्म के क्लाइमैक्स में जबरन वरूण धवन को भी ठूंसा गया है. फिल्म का प्रचार बहुत घटिया है. दर्शकों को पता ही नहीं है कि इस नाम की कोई फिल्म रिलीज हुई है. इतना ही नहीं इस फिल्म को सीमित सिनेमाघरों में ही प्रदर्शित किया गया है.

फिल्म के निर्माता अपनी फिल्म का बजट बताने को तैयार नहीं हैं. मगर उन के पीआरओ का दावा है कि फिल्म ‘मुंज्या’ ने 7 दिन में 35 करोड़ कमा लिए हैं. जिस पर किसी को भी यकीन नहीं हो रहा है क्योंकि मुंबई में जहां भी यह फिल्म प्रदर्शित हुई है, वहां पर फिल्म का डिब्बा गोल है.

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