सोशल मीडिया की दहशत का शिकार राजनेता !
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मी टू कैम्पेन ने बढ़ाया डर
सोशल मीडिया पर टिप्पणियों को लेकर नेताओं और साफ कौलर आदमी में डर का माहौल ‘मी टू कैम्पेन’ के बाद से दिखना शुरू हुआ है. इस कैम्पेन के तहत एक के बाद एक कई फिल्मी हस्तियों, राजनेताओं, मीडियाकर्मियों पर महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया, जिसका परिणाम यह निकला कि आरोपितों की इज्जत तो सरे-बाजार उछली ही, उनके पद और सम्मान भी छिन गये, साथ ही उनका सामाजिक बहिष्कार हुआ. इस क्रम में कई फिल्मी हस्तियों के हाथ से उनके करोड़ों के प्रोजेक्ट निकल गये और कई राजनेताओं की कुर्सियां छिन गयीं. उन्हें घृणा और मजाक का पात्र बनना पड़ा. यौन-उत्पीड़न का दंश झेलने वाली महिलाओं के लिए जहां सोशल मीडिया अपना दर्द सुनाने का बढ़िया प्लेटफौर्म बना तो वहीं मर्दों में यह डर पैदा हो गया कि पता नहीं अगला नाम किसका सामने आ जाए. हालांकि सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती कहने वाली सभी महिलाएं सच्ची हैं, यह कहना भी ठीक नहीं होगा. कइयों ने अपनी खुंदस या भड़ास निकालने के लिए पुरुष को बदनाम करने की नीयत से भी सोशल मीडिया का मिसयूज किया.
इसी के साथ जब 2019 के आम चुनाव का वक्त करीब आया तो राजनीतिक पार्टियों ने अपने विरोधियों को नीचा दिखाने के लिए सोशल मीडिया का जम कर दुरुपयोग किया. सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें बहुत सस्ते में और आसानी से अपना प्रचार करने का और विरोधियों पर प्रहार करने का मौका मिला. सोशल मीडिया ने उन्हें अपनी बात कहने का बड़ा मंच दिया, मगर इस साधन का लोगों ने जी भर कर दुरुपयोग किया. आज सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल राजनीतिक पार्टियों और उनके समर्थकों द्वारा ही हो रहा है, मगर जिस तरह से हो रहा है वह वाकई चिंता का विषय है. सोशल मीडिया पर राजनेता ही नहीं, बल्कि उनके समर्थक भी शालीनता की सारी हदें पार करते नजर आते हैं. किसी के निजी जीवन के साथ उनके परिवार को भी इसमें घसीट लेना आम चलन हो गया है. मां, बहन, बेटी को गाली देना, गलत अफवाहें उड़ाना, अश्लील और भद्दी बातें करना, फोटो एडिट करके कुछ का कुछ दिखा देना आज आम बात हो चुकी है. इसी सोशल मीडिया पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गरबा करते भी पेश किया जा चुका है. सोशल मीडिया पर जिस तरह विरोधियों को आहत करने के लिए निजी हमले किये जा रहे हैं, उनके निजी जीवन में घुसपैठ की कोशिशें हो रही हैं, यह समाज के लिए बेहद सोचनीय अवस्था है. अपनी भड़ास निकालने के लिए मर्यादा का उल्लंघन करते वक्त लोग यह भी भूल जाते हैं कि इससे खुद को कुछ मिलना भी नहीं है, वहीं आप इन मामलों में जिनका कोई लेना देना नहीं है उसे भी घसीट रहे हैं. शायद यह समाज को विचार शून्यता की ओर ले जाने का प्रतीक है. यह समाज और राजनीति के गिरते स्तर का प्रतीक है.
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सोशल मीडिया से हुए बड़े काम
आज के दौर में सोशल मीडिया जिन्दगी का अहम हिस्सा है, जिसके बहुत सारे फीचर हैं, जैसे कि सूचनाएं प्रदान करना, मनोरंजन करना और शिक्षित करना. सोशल मीडिया एक अपरम्परागत मीडिया है. हम इंटरनेट के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने तक अपनी पहुंच बना सकते हैं. सोशल मीडिया एक विशाल नेटवर्क है, जो कि सारे संसार को जोड़े हुए है. यह संचार का एक बहुत अच्छा माध्यम है, जो द्रुत गति से सूचनाओं का आदान-प्रदान करता है. सोशल मीडिया के ठीक उपयोग से किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध किया जा सकता है. सोशल मीडिया के जरिए ऐसे कई विकासात्मक कार्य हुए हैं जिसने लोकतंत्र को समृद्ध बनाने का काम किया है. सोशल मीडिया को एक गम्भीर प्लैटफौर्म के रूप में विकसित करने की जिम्मेदारी समाज के हर वर्ग की है. याद रखना होगा कि इसी सोशल मीडिया के माध्यम से इस देश में वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ महाअभियान चला था, जिसके कारण विशाल जनसमूह समाजसेवी अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़ा और उसे प्रभावशाली बनाया था.
2012 में सोशल मीडिया के माध्यम से ही ‘निर्भया’ को न्याय दिलाने का संदेश प्रसारित हुआ था और उसके लिए विशाल संख्या में युवा सड़कों पर उतरे थे. इससे सरकार पर भी दबाव बना और इस दबाव की वजह से ही लड़कियों की सुरक्षा देने के लिए एक नया और ज्यादा प्रभावशाली कानून बन सका था. वर्ष 2014 के आम चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने सोशल मीडिया का जम कर उपयोग किया और जनता को वोट डालने के लिए जागरूक किया. 2014 के आम चुनाव में सोशल मीडिया के जरिये युवाओं को उत्साहित किया गया जिसके चलते वोटिंग प्रतिशत में जबरदस्त उछाल आया था.
अन्ना के आन्दोलन से उभरे और सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के चुनाव में भारी सफलता मिली तो इसका श्रेय फेसबुक को जाता है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी फेसबुक के जरिये खूब प्रचार हुआ. पिछले एक दशक में कई बड़ी खबरें सोशल मीडिया के जरिये ही लाइमलाइट में आयीं. आम आदमी को सोशल मीडिया के रूप में ऐसा टूल मिल गया है जिसके जरिये वे अपनी बात एक बड़ी आबादी तक पहुंचा सकते हैं. आम आदमी के साथ राजनेता भी फेसबुक, ट्वीटर पर आ गये हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम नेताओं ने फेसबुक और ट्वीटर पर अपने अकाउंट्स बना लिये हैं ताकि वे सीधे आम लोगों के साथ संपर्क साध सकें. लोकसभा चुनाव से पहले राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी ट्वीटर पर आने की घोषणा की थी. यहां तक की सोशल मीडिया से हमेशा दूरी बनाये रखने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती तक ने सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. सोशल साइट्स की लोकप्रियता ही है कि कभी कम्प्यूटर का भारी विरोध करने वाले वामपंथी नेताओं को भी लोकसभा चुनाव के दौरान फेसबुक पर आना पड़ा. माकपा नेता और सांसद मो. सलीम मानते हैं कि लोगों के संवाद करने के लिए सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण माध्यम है. उनका कहना है, सोशल मीडिया आज बहुत ही जरूरी माध्यम हो गया है. इस माध्यम के जरिये एक बड़ी आबादी से अपने विचार साझा किये जा सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो सभी मंत्रालयों और मंत्रियों को सोशल मीडिया पर आने को कहा है ताकि मंत्रालय के कामकाज के बारे में लोग जान सकें और काम में भी पारदर्शिता बनी रहे. फेसबुक ने लम्बे अरसे से बिछड़े पिता-बेटी, भाई-बहन और दोस्तों को मिलवाने का भी काम किया है.
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आज सोशल मीडिया संदेश के प्रसार के लिए एक बेहतरीन प्लेटफौर्म है, जहां व्यक्ति स्वयं को अथवा अपने किसी उत्पाद को ज्यादा से ज्यादा लोकप्रिय बना सकता है. फिल्मों के ट्रेलर, टीवी प्रोग्राम का प्रसारण भी सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है. वीडियो तथा औडियो चैट भी सोशल मीडिया के माध्यम से सुगम हुआ है, जिनमें फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम जैसे कुछ प्रमुख प्लेटफॉर्म हैं. अब लोग सूचना पाने के लिए अखबार, रेडिया या टीवी चैनलों के भरोसे नहीं बैठे रहते. आज सेकेंड से भी कम वक्त में सूचनाएं आपके सामने होती हैं.
तकनीक जब बन जाए अभिशाप
सोशल मीडिया जहां सकारात्मक भूमिका अदा करता है, वहीं लोग इसका गलत इस्तेमाल भी खूब करते हैं. सोशल मीडिया पर गलत खबरों के द्वारा दुर्भावनाएं फैलाकर लोगों को बांटने की कोशिश करते हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रामक और नकारात्मक जानकारी साझा की जाती हैं, जिससे जनमानस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. साम्प्रदायिक उन्माद और माब लीचिंग की कितनी घटनाएं सोशल मीडिया के कारण हुर्इं. चंद मिनटों में घृणित और साम्प्रदायिक संदेशों को फैलाकर आम लोगों को किसी धर्म विशेष के खिलाफ उकसाने और दंगा भड़काने का काम बीते पांच सालों में सोशल मीडिया के माध्यम से कई मर्तबा किया गया है. कई बार तो बात इतनी बढ़ गयी कि सरकार को सोशल मीडिया पर बैन तक लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा. जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य में दंगा भड़कने पर सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा, तो वहीं मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में हुए किसान आंदोलन के दौरान भी स्थिति बेकाबू होने पर सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया ताकि असामाजिक तत्व किसान आंदोलन की आड़ में किसी बड़ी घटना को अंजाम न दे पाएं.
2012 में, सोशल मीडिया के दुरुपयोग के शुरुआती मामलों में से एक मामला सरकार के सामने तब आया था, जब भूकम्प पीड़ितों की तस्वीरों और वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करना शुरू किया गया था. अराजक तत्वों ने इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर फैलाया और यह दिखाया कि ये असम और बर्मा के सामूहिक दंगों के पीड़ित मुस्लिम थे. इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर निजी स्वार्थों के लिए और दंगा को भड़काने के लिए किया गया था और इसके कारण कई जगहों पर प्रतिक्रिया देखने को मिली थी.
हाल के वर्षों में सोशल मीडिया के जरिये आपराधिक गतिविधियों में तेजी से इजाफा हुआ है. आपराधिक प्रवृत्ति के लोग येन-केन-प्रकारेण दूसरों के अकाउंट्स को हैक कर आपत्तिजनक तस्वीरें और अन्य सामग्रियां डालकर दुश्मनी निकाल रहे हैं. कम उम्र के बच्चों ने भी फेसबुक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जिसका उन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. पिछले दिनों ऐसोचैम की ओर से किये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक, जितने बच्चे फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं उनमें से 73 प्रतिशत बच्चों की उम्र 8 से 13 साल (13 साल से कम उम्र के बच्चों पर फेसबुक अकाउंट खोलने पर प्रतिबंध है) के बीच है. सर्वे में कहा गया है कि अधिकांश बच्चों के परिजन नौकरीपेशा हैं और वे अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं, लिहाजा ये बच्चे फेसबुक और अन्य सोशल साइट्स पर मशगूल रहने लगे हैं क्योंकि सोशल मीडिया उन्हें एक ऐसा समाज देता है जिससे वे अपनी बातें शेयर कर सकते हैं. अनेक खतरनाक साइट्स में फंस कर कितने ही बच्चे अपनी जानें गवां चुके हैं.
जब किसी भी चीज का दुरुपयोग होने लगता है तो वो वरदान नहीं अभिशाप बन जाता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि सोशल मीडिया आज लोगों के लिए बहुत ही आवश्यक है, लेकिन इसका जो दूसरा पहलू है उससे बचने की जरूरत है. सोशल मीडिया ने पहचान की चोरी, विवरण की चोरी, साइबर धोखाधड़ी, हैकिंग और वायरस के हमलों की सम्भावना को बढ़ावा दिया है. यदि आप ने अपना पता, फोन नम्बर, कार्यस्थल, अपने परिवार की जानकारी या फोटोज किसी भी सोशल मीडिया की साइट पर अपडेट किया है, तो आपने अपनी गोपनीयता को खो दिया है. आमतौर पर हम फेसबुक पर दिन-प्रतिदिन की नई-नई तस्वीरें डालते रहते हैं. ऐसा करते समय बहुत सतर्क रहना चाहिये, क्योंकि चित्र और अन्य जानकारियों का समाज में बुरे तत्वों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है. इसलिए सोशल मीडिया की कार्यपद्धति और इसके इस्तेमाल करने के तरीके को समझना जरूरी है. सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग भारी मुसीबत ला सकता है.