दुनिया के कई देशों में शासकों ने अपनी मनमरजी लोगों पर थोपी हैं. धर्म या नस्ल के गौरव, रूढ़िवादी विचारोंया राष्ट्रवाद के नाम पर कई ऐसे कानून बनाए हैंजिन से जनता के अधिकारों का हनन होता है या अदालतों की शक्तियां कम होती हैं.

ये अतिवादी फैसले दुनिया को तबाह कर सकते थेलेकिन दुनिया अब तक इसलिए ही बची हुई हैक्योंकि लोग समयसमय पर इन अविचारित फैसलों व निरंकुशता के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत दिखाते रहे हैं. पिछले कुछ समय में ईरान,ब्राजील, फ्रांस से ले कर अभी इसराईल तक में दुनिया ने जनता की ताकत को देखा है.

गौरतलब है कि कोई भी देश सच्चे अर्थों में तभी लोकतांत्रिक रह सकता हैजब वहां सत्ता पर अंकुश लगाने की व्यवस्था हो. इस व्यवस्था को स्वतंत्र न्यायपालिका, मजबूत विपक्ष और जनतांत्रिक अधिकारों से ही बनाया जा सकता है. इन में से कोई भी पक्ष कमजोर हो तो लोकतंत्र पर आंच आने लगती है व सत्ता के निरंकुश होने का खतरा बढ़ने लगता है.

इसराईलमें नेतन्याहू ने इसी तरह निरंकुश होने का रास्ता बनाने की तैयारी की थीलेकिन जनता, विपक्ष और सत्ता के साथ खड़े कुछ लोगों ने ही मिल कर इस रास्ते को बनने से रोक दियाक्योंकि वे इस के बाद भविष्य के खतरों को भांप रहे हैं.

रक्षा, अनुसंधान, खुफिया तंत्र आदि तमाम लिहाज से दुनिया में अग्रणी और मजबूत माने जाना वाला देश इसराईलइस वक्त असुरक्षा के खतरे से जूझ रहा है. दरअसल,इसराईलकी सड़कों पर वहां की जनता सरकार के खिलाफ उतर आई है और इस विरोध प्रदर्शन में जनता के साथ रिजर्व सेना के लोग भी उतर आए हैं. वे काम पर नहीं जा रहे हैं. इस से इसराईलकी सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है. यह सब न्यायपालिका की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हो रहा है.

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