मार्च के महीने में गेहूं की बालियों में दाने बनने लगते हैं और उन में दूध बनना शुरू हो जाता है. गेहूं के दाने बनने के दौरान पौधों को पानी की दरकार रहती है, इसलिए खेत में नमी बनाए रखना जरूरी होता है. गेहूं के खेत की सिंचाई का पूरा खयाल रखें.

इन दिनों दिन में तेज हवाओं यानी अंधड़ का दौर चलता है. लिहाजा, रात के वक्त सिंचाई करना बेहतर रहता है.

अगर उड़द की बोआई का इरादा हो, तो इस काम को 15 मार्च तक निबटा लें. उड़द बोने से पहले इस बात का खयाल रखें कि बीजों

को उपचारित करना जरूरी है. इस के लिए कार्बंडाजिम या राईजोबियम कल्चर का इस्तेमाल करें.

उड़द की बोआई के लिए 30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल करें. बोआई लाइनों में करें और बीजों के बीच पर्याप्त फासला रखें.

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मूंग की बोआई की  शुरुआत भी मार्च के दूसरे पखवारे से कर सकते हैं. मूंग की बोआई का काम इस महीने जरूर निबटा लेना चाहिए.

मूंग की बोआई के लिए भी उड़द की तरह तकरीबन 30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लेने चाहिए. मूंग की बोआई से पहले बीजों को उपचारित कर लें और लाइनों में बोआई करें. 2 लाइनों के बीच एक फुट का फासला रखें और 2 बीजों यानी पौधों (उगने वाले) के बीच भी पर्याप्त फासला छोड़ना न भूलें.

मार्च का महीना गन्ना किसानों के लिए बहुत ही खास होता है. पुरानी फसल के गन्ने मार्च तक कटाई के लिए पूरी तरह से तैयार होते हैं और नई फसल की बोआई का समय भी शुरू हो जाता है. इस महीने पुरानी फसल की कटाई का काम निबटा लेना चाहिए.

वसंतकालीन गन्ना मार्च के अंत तक बोया जा सकता है. गन्ने की नई फसल की बोआई कर लेना फायदे का सौदा साबित होता है. बोआई के लिए 3 आंखों वाले गन्ने के टुकड़े बेहतर रहते हैं. बोने से पहले इन बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए.

गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए कृषि यंत्र शुगरकेन प्लांटर से गन्ने को लगाएं. बोआई से पहले गन्ने के खेत में कंपोस्ट खाद या गोबर की सड़ी खाद पर्याप्त मात्रा में मिलानी चाहिए. बीजों को बोने से पहले खेत में से खरपतवार निकाल देने चाहिए. इस से गन्ने की फसल का बेहतर जमाव होगा.

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गन्ने के साथसाथ कम समय में तैयार होने वाली फसल बो कर सहफसली खेती भी कर सकते हैं. गन्ने के 2 कूड़ों के बीच मूंग, उड़द या लोबिया जैसी चीजें बोई जा सकती हैं. इन के अलावा मक्के की चारे वाली फसल भी गन्ने के 2 कूड़ों के बीच बोई जा सकती है.

सरसों की फसल भी इसी महीने तैयार होने लगती है. लिहाजा, उस पर ध्यान देना भी जरूरी है. अगर सरसों की तकरीबन 75 फीसदी फलियां पीले से सुनहरे रंग की हो जाएं, तो यह उन की कटाई का उचित समय होता है.

पिछले दिनों बोई गई सूरजमुखी के खेतों का जायजा लें. अगर खेत सूखते नजर आएं, तो जरूरत के हिसाब से सिंचाई करें. सूरजमुखी के खेत में अगर पौधे ज्यादा पासपास लगे नजर आएं, तो बीचबीच से फालतू पौधे निकाल दें. इस बात का ध्यान रखें कि 2 पौधों के बीच 2 फुट का फासला ठीक रहता है.

इस महीने आलू की फसल तैयार हो जाती है. अगर आप के आलू भी तैयार हो चुके हों, तो उन की खुदाई का काम खत्म करें. आलू की खुदाई के लिए आप आलू खुदाई यंत्र पोटैटो डिगर का इस्तेमाल कर सकते हैं और आलुओं को अलगअलग साइज में चुन कर उन्हें अलग कर सकते हैं, जिन से आप अगले साल के लिए आलू बीज भी सहेज कर कोल्ड स्टोर में  जमा कर सकते हैं.

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प्याज व लहसुन की फसलों का इस महीने खास खयाल रखना चाहिए. निराईगुड़ाई कर के खेत को नरम बनाएं. खरतपतवार न पनपने दें.

सब्जियों में  चप्पन कद्दू, लौकी, करेला, तोरई, खीरा, खरबूजा, तरबूज आदि बेल वाली सब्जियों की बोआई करें. अच्छी किस्में ही इस्तेमाल करें.

हलदी व अदरक की बोआई भी मार्च महीने में की जा सकती है. बोआई के लिए हलदी व अदरक की स्वस्थ गांठों का इस्तेमाल करें. इन गांठों की बोआई 50325 सैंटीमीटर की दूरी पर करें.

पिछले महीने बोई गई भिंडी, लोबिया व राजमा के खेतों का जायजा लें. अगर खेत सख्त व गंदा लगे, तो निराईगुड़ाई कर के उसे दुरुस्त करें. निराईगुड़ाई के बाद सिंचाई करना न भूलें. इस से फसल को काफी फायदा होता है.

मार्च के महीने में हरी मटर कम होने के साथसाथ दाने वाली मटर की फसल तैयार हो जाती है. अगर मटर की फलियां सूख कर पीली पड़ जाएं, तो उन की कटाई कर लेनी चाहिए. गहाई करने के बाद मटर के दानों को इतना सुखाएं कि सिर्फ 8 फीसदी नमी ही बचे.

फरवरी में लगाए गए बैगन के पौधे महीनेभर में काफी बढ़ जाते हैं. लिहाजा, उन की निराईगुड़ाई कर के खरपतवार निकालना जरूरी होता है.

आम के बागों के साथसाथ अमरूद के बागों की भी देखभाल जरूरी है. इस दौरान हौपर कीट व फफूंद से होने वाले रोगों का डर बढ़ जाता है. इन रोगों का अंदेशा लगे तो कृषि वैज्ञानिकों से पूछ कर इलाज करना चाहिए.

मार्च के महीने में पपीते के बीज नर्सरी में बोएं, ताकि पौध तैयार हो सके. अगर पहले बीज बो चुके हैं, तो इन के पौध अब तक तैयार हो गए होंगे. जगह के मुताबिक पपीते के पौधों की रोपाई कर सकते हैं.

फूलों की खेती में दिलचस्पी रखने वाले किसान इस महीने रजनीगंधा व गुलदाउदी की रोपाई करें. रोपाई करने के बाद बाग की हलकी सिंचाई करना न भूलें.

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पशुपालक इस महीने ज्वार, बाजरा या सडान घास की बोआई कर सकते हैं, जिस से पशुओं को चारे की कमी न हो.

इन दिनों पशुशालाओं की साफसफाई का काम भी निबटाया जा सकता है, क्योंकि आने वाले महीने गरमी के होते हैं, इसलिए पशुओं को गरमियों से बचाव के लिए पशुशालाओं को भी ठीक करना जरूरी है.

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