Writer- प्रतिभा अग्निहोत्री

देश में आज भी ऐसे लोग हैं जो अजीबोगरीब अंधविश्वासों से घिरे हुए हैं. गरीब टोनाटोटका से घिरे रहते हैं तो पौश वास्तुदोष में फंसे रहते हैं. अधिक दिक्कत इन्हीं शिक्षित पौश लोगों से है जो पढ़लिख कर भी अंधविश्वासों को अपना रहे हैं.

2 वर्ष पहले मेरी सहेली नीमा ने बड़े अरमानों से अपनी सारी जमा पूंजी लगा कर अपने सपनों का आशियाना बनवाया. घर में एकएक चीज उस ने कई माह तक बाजार में घूमघूम कर, चुनचुन कर लगवाई. धूमधाम से गृहप्रवेश कर के खुशीखुशी परिवार सहित घर में रहने आ गई.

अभी एक माह ही हुआ था कि उसे चिकनगुनिया ने आ घेरा. वह अभी पूरी तरह ठीक भी नहीं हो पाई कि उस की सास के बाथरूम में फिसल कर गिर जाने से पैर में फ्रैक्चर हो गया. इसी प्रकार कुछ अन्य छोटीमोटी समस्याएं तकरीबन एक साल तक चलती ही रहीं.

एक दिन उस के पति के एक मित्र मिलने आए. वे बोले, ‘इस घर का नक्शा वास्तु के हिसाब से अनुचित है, इसीलिए इस घर में आने के बाद से ही आप लोग समस्याओं से घिरे हैं. बेहतर है कि आप इसे वास्तु के हिसाब से बनवा लीजिए, सारी समस्याओं का अंत हो जाएगा.’

सहेली के परिवार के मन में यह बात इतने गहरे तक घर कर गई कि 2 माह के अंदर ही उस ने घर खाली कर के किराए पर चढ़ा दिया और अपने पुराने घर में रहने चली गई.

रमेश ने अपनी समस्त जमा पूंजी से एक फ्लैट खरीदा. घर में वृद्ध मातापिता थे, सो हारीबीमारी लगी ही रहती. एक दिन उन के एक वास्तुशास्त्री मित्र आए और बोले, ‘यार, इस घर में वास्तुदोष है. परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए भोजन प्रदान करने वाला अन्नपूर्ण किचन गलत स्थान पर बना हुआ है. तू किचन को कमरा और कमरे को किचन में परिवर्तित करेगा तो वह दोष समाप्त हो जाएगा, वरना तेरे घर में कोई न कोई बीमार ही रहेगा और आर्थिक कष्ट भी रहेगा.’

ये भी पढ़ें- धर्म और पाखंड: मोक्ष के लिए आत्महत्या और हत्याएं

रमेश व उन की पत्नी को उन की बात समझ आ गई और अगले दिन से ही कमरे को किचन में तबदील करने का काम प्रारंभ कर दिया गया. चूंकि कमरे में नाली की कोई व्यवस्था न थी, सो कमरे के बीच में टाइल्स के नीचे से एक पतली सी नाली बना दी गई ताकि रसोईघर में स्थित सिंक का पानी बाहर निकल सके.

किचन से कमरे के इस आमूलचूल परिवर्तन के बाद रमेश आश्वस्त थे कि अब घर में बीमारी का नामोनिशान नहीं रहेगा और उन का व्यवसाय भी फलेगा. पर एक दिन उस नवनिर्मित नाली में कचरा अटक जाने से सिंक ओवरफ्लो हो गया तथा सिंक का पानी फर्श पर आ गिरा.

रमेश की पत्नी का पैर फिसला और वे चारों खाने चित हो गईं. रीढ़ की हड्डी में फैक्चर हो जाने से 3 माह बिस्तर पर रहीं. पत्नी की बीमारी के कारण व्यवसाय में पर्याप्त ध्यान न दे पाने से उधर भी घाटा होने लगा. अब रमेश हैरत में थे कि घर में वास्तुदोष समाप्त हो जाने के बाद भी आर्थिक और शारीरिक कष्ट क्यों हुआ?

आजकल वास्तुशास्त्र का चलन बहुत जोरों पर है. घर खरीदने से पूर्व उस के मुख्यद्वार, बैडरूम, किचन और बाथरूम की दिशा आदि को वास्तुशास्त्री द्वारा दिखाए जाने का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है. गृहप्रवेश के समय वास्तुपूजा को भी आवश्यक माना जाता है.

एक राजपत्रित अधिकारी संजय घर में प्रवेश के समय वास्तु पूजा कराना अत्यंत आवश्यक मानते हैं. उन के अनुसार, वास्तुपूजा करा लेने से घर में निहित समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं और घर में सदा सुखशांति व खुशहाली रहती है.

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विज्ञान की दृष्टि में वास्तु

पेशे से सिविल इंजीनियर एस के भटनागर कहते हैं, ‘‘वास्तु का सीधा तात्पर्य घर में पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, पानी की समुचित निकासी और ताजी हवा के आवागमन से है और इस के वैज्ञानिक कारण भी हैं क्योंकि यह सर्वविदित है कि प्रत्येक बीमारी के कीटाणु अंधेरे और सीलनभरे वातावरण में ही जन्म लेते हैं. जब घर में बीमारी होगी तो आर्थिक प्रगति तो असंभव ही है. इस के विपरीत जब हवा, प्रकाश के आवागमन व पानी के निकास की समुचित व्यवस्था होगी तो बीमारियां जन्म ही नहीं लेंगी. सो, परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ और प्रसन्न रहेंगे. ऐसे में आर्थिक उन्नति भी होगी ही.’’

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए इंजीनियर भटनागर कहते हैं, ‘‘वर्तमान समय में इस वैज्ञानिक दृष्टिकोण में अंधविश्वास का प्रवेश हो जाने से जनमानस में वहम व्याप्त हो गया है जिस से कई बार लोग अपने अच्छेखासे घर में ही आमूलचूल परिवर्तन करा देते हैं जो सर्वथा अनुचित है.’’

केवल मन का वहम है वास्तु

भोपाल के आर्किटैक्ट और 10 वर्षों से इंटीरियर डैकोरेशन का काम कर रहे आशीष मालवीय वास्तु को कोरा इंसानी वहम बताते हैं. वे कहते हैं, ‘‘प्रकाश, ताजी हवा और खुलेपन के सीधेसादे फंडे में अंधविश्वास और वहम का तड़का लगा कर कुछ लोगों ने इसे अपनी मोटी कमाई का जरिया बना लिया है. आजकल के पंडित और ज्योतिषी मानवीय कमजोरियों का लाभ उठा कर उस के जीवन की समस्त समस्याओं को वास्तु से जोड़ कर मन में वहम उत्पन्न कर देते हैं और फिर विभिन्न उपायों द्वारा उस दोष को समाप्त करने का झांसा दे कर खासी रकम वसूलते हैं. आश्चर्य इस बात का है कि वास्तु के इस फेर में समाज का पूर्ण शिक्षित उच्चवर्ग फंसा हुआ है.’’

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए आशीष कहते हैं, ‘‘समाज के खासे रसूख और पैसे वाले लगभग 50 प्रतिशत लोग वास्तु की गिरफ्त में हैं. उन के मनमस्तिष्क में तथाकथित वास्तु ने इतनी गहरी पैठ बना ली है कि वे अपने ज्योतिष या पंडित की सलाह के अनुसार घर के पूरे नक्शे को ही परिवर्तित करा देते हैं, फिर चाहे इस के लिए उन्हें कितना ही पैसा क्यों न खर्च करना पड़े.’’

वास्तु की सचाई भी यही है कि पंडितों और ज्योतिषियों द्वारा आम आदमी के मन में वास्तु का वहम इतनी गहराई से भर दिया गया है कि लोग घर में छोटेछोटे आवश्यक कार्य भी वास्तु के अनुसार कराना चाहते हैं. अपने घर में इंटीरियर का काम करा रहीं महिला चिकित्सक मेघा गरमी में ग्रीन नैट या दीवाली पर झालर लगाने के लिए परमानैंट हुक या रौड लगावाना वास्तु के अनुसार नहीं मानतीं.

अपने तर्क को सही सिद्ध करते हुए वे कहतीं हैं, ‘‘वास्तु के अनुसार घर में हुक या कीलें परमानैंट लगाने से घर की सुखशांति नष्ट हो जाती है, इसलिए इस के लिए कोई टैंपरैरी इंतजाम करना ही उपयुक्त रहेगा.’’

आश्चर्य इस बात का है कि आम जनमानस पंडितों को ईश्वर का दूत मान कर उन के द्वारा कराई गई शांतिपूजा पर विश्वास कर के घर में प्रवेश करना उचित समझता है, जबकि पंडितजी का उद्देश्य मनुष्य के मन में वहम उत्पन्न कर के सिर्फ अपनी कमाई करना होता है.

वर्माजी के नवनिर्मित घर का अवलोकन कर एक पंडितजी ने नेक सलाह दी, ‘‘आप का पूरा घर तो वास्तु के अनुसार बना है परंतु हौल के दाहिने कोने में दोष है जिस से घर के मुखिया के जीवन को हानि है. मेरे पास इस का उपाय है, मैं पूजा से उस कोने को दोषमुक्त कर दूंगा.’’

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वास्तु के नाम पर लंबीलंबी पूजाएं करा कर जनमानस को दिग्भ्रमित करने के अनेक उदाहरण हमें अपने आसपास देखने को मिल जाएंगे जहां पर घर को दोषयुक्त बता कर पंडित उसे दोषमुक्त कराने का दावा करते हैं और जिस के लिए वे यजमान से खासी रकम वसूल कर अपनी जेबें भरते हैं.

सैनिक स्कूल से बतौर प्रिंसिपल रिटायर हुए कर्नल आर के सिंह आज के तथाकथित वास्तु पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहते हैं, ‘‘कुछ दशकों पूर्व तक जमीन की कमी नहीं थी, जिस से इंसान मनचाहा घर बना लेता था परंतु आज जमीन की कमी के चलते फ्लैट कल्चर का चलन है जहां बिल्डर एकसाथ सैकड़ोंहजारों की संख्या में घर बनाता है तो एक ही दिशा में घर बन पाना असंभव है.

‘‘दोष घरों में नहीं, बल्कि इंसान की मानसिकता में है जो अपने जैसे ही पंडितरूपी आम आदमी से पूजा करा कर घर के दोष को समाप्त करवाने में विश्वास करते हैं और अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई को खुशीखुशी उन के चरणों में अर्पित कर देते हैं.’’

क्या है आवश्यक

वास्तव में घर की सुखशांति और खुशहाली के लिए किसी वास्तु, पंडित, पूजा अथवा ज्योतिषी की नहीं, बल्कि घर के सदस्यों के परस्पर सहयोग व समझदारी की आवश्यकता होती है और इसे बनाए रखने के लिए घर के प्रत्येक सदस्य को मेहनत करनी होती है.

रजनी ने अपने घर में कोई वास्तु और नक्षत्र पूजा नहीं करवाई और आज घर में रहते हुए 5 वर्ष हो गए हैं. वे कहती हैं, ‘‘इस घर में आने के बाद हमें कभी कोई परेशानी नहीं हुई बल्कि प्रत्येक कार्य उसी तरह हुआ जैसे हम चाहते थे. हां, हम दोनों पतिपत्नी की ट्यूनिंग बहुत अच्छी है जिस से समस्याएं उत्पन्न होने से पूर्व ही हल हो जाया करती हैं. आखिर हमारी अपनी समस्याओं को कोई दूसरा कैसे हल कर सकता है.’’

कर्नल सिंह भी कुछ ऐसे ही विचार व्यक्त करते हुए कहते हैं, ‘‘घर में रोशनी और हवा का पर्याप्त आवागमन जरूरी है. शारीरिक, पारिवारिक और आर्थिक परेशानियां तो जीवन की सामान्य प्रक्रिया है, उस से घर का कोई लेनादेना नहीं होता और न ही मन में इस प्रकार के वहम को कोई जगह देनी चाहिए.’’

वास्तव में वास्तु मन का कोरा वहम और अंधविश्वास है जिस का तर्क से कोई लेनादेना नहीं है. आज आवश्यकता है पडितों के इस फैलाए जाल से बाहर निकल कर तर्क से विचार करने की कि क्या वास्तव में तथाकथित पंडितों के पास घर में सुखशांति लाने की कोई जादू की छड़ी है. जब कि सचाई यह है कि सहनशीलता, परस्पर सम्मान, बच्चों को अच्छे संस्कार देने की जादू की छड़ी हमारे अपने हाथ में है जिस का उपयोग कर के हम अपने जीवन की समस्त समस्याओं का निदान कर सकते हैं.

2 वर्ष पहले मेरी सहेली नीमा ने बड़े अरमानों से अपनी सारी जमा पूंजी लगा कर अपने सपनों का आशियाना बनवाया. घर में एकएक चीज उस ने कई माह तक बाजार में घूमघूम कर, चुनचुन कर लगवाई. धूमधाम से गृहप्रवेश कर के खुशीखुशी परिवार सहित घर में रहने आ गई.

अभी एक माह ही हुआ था कि उसे चिकनगुनिया ने आ घेरा. वह अभी पूरी तरह ठीक भी नहीं हो पाई कि उस की सास के बाथरूम में फिसल कर गिर जाने से पैर में फ्रैक्चर हो गया. इसी प्रकार कुछ अन्य छोटीमोटी समस्याएं तकरीबन एक साल तक चलती ही रहीं.

एक दिन उस के पति के एक मित्र मिलने आए. वे बोले, ‘इस घर का नक्शा वास्तु के हिसाब से अनुचित है, इसीलिए इस घर में आने के बाद से ही आप लोग समस्याओं से घिरे हैं. बेहतर है कि आप इसे वास्तु के हिसाब से बनवा लीजिए, सारी समस्याओं का अंत हो जाएगा.’

सहेली के परिवार के मन में यह बात इतने गहरे तक घर कर गई कि 2 माह के अंदर ही उस ने घर खाली कर के किराए पर चढ़ा दिया और अपने पुराने घर में रहने चली गई.

रमेश ने अपनी समस्त जमा पूंजी से एक फ्लैट खरीदा. घर में वृद्ध मातापिता थे, सो हारीबीमारी लगी ही रहती. एक दिन उन के एक वास्तुशास्त्री मित्र आए और बोले, ‘यार, इस घर में वास्तुदोष है. परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए भोजन प्रदान करने वाला अन्नपूर्ण किचन गलत स्थान पर बना हुआ है. तू किचन को कमरा और कमरे को किचन में परिवर्तित करेगा तो वह दोष समाप्त हो जाएगा, वरना तेरे घर में कोई न कोई बीमार ही रहेगा और आर्थिक कष्ट भी रहेगा.’

रमेश व उन की पत्नी को उन की बात समझ आ गई और अगले दिन से ही कमरे को किचन में तबदील करने का काम प्रारंभ कर दिया गया. चूंकि कमरे में नाली की कोई व्यवस्था न थी, सो कमरे के बीच में टाइल्स के नीचे से एक पतली सी नाली बना दी गई ताकि रसोईघर में स्थित सिंक का पानी बाहर निकल सके.

किचन से कमरे के इस आमूलचूल परिवर्तन के बाद रमेश आश्वस्त थे कि अब घर में बीमारी का नामोनिशान नहीं रहेगा और उन का व्यवसाय भी फलेगा. पर एक दिन उस नवनिर्मित नाली में कचरा अटक जाने से सिंक ओवरफ्लो हो गया तथा सिंक का पानी फर्श पर आ गिरा.

रमेश की पत्नी का पैर फिसला और वे चारों खाने चित हो गईं. रीढ़ की हड्डी में फैक्चर हो जाने से 3 माह बिस्तर पर रहीं. पत्नी की बीमारी के कारण व्यवसाय में पर्याप्त ध्यान न दे पाने से उधर भी घाटा होने लगा. अब रमेश हैरत में थे कि घर में वास्तुदोष समाप्त हो जाने के बाद भी आर्थिक और शारीरिक कष्ट क्यों हुआ?

आजकल वास्तुशास्त्र का चलन बहुत जोरों पर है. घर खरीदने से पूर्व उस के मुख्यद्वार, बैडरूम, किचन और बाथरूम की दिशा आदि को वास्तुशास्त्री द्वारा दिखाए जाने का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है. गृहप्रवेश के समय वास्तुपूजा को भी आवश्यक माना जाता है.

एक राजपत्रित अधिकारी संजय घर में प्रवेश के समय वास्तु पूजा कराना अत्यंत आवश्यक मानते हैं. उन के अनुसार, वास्तुपूजा करा लेने से घर में निहित समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं और घर में सदा सुखशांति व खुशहाली रहती है.

विज्ञान की दृष्टि में वास्तु

पेशे से सिविल इंजीनियर एस के भटनागर कहते हैं, ‘‘वास्तु का सीधा तात्पर्य घर में पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, पानी की समुचित निकासी और ताजी हवा के आवागमन से है और इस के वैज्ञानिक कारण भी हैं क्योंकि यह सर्वविदित है कि प्रत्येक बीमारी के कीटाणु अंधेरे और सीलनभरे वातावरण में ही जन्म लेते हैं. जब घर में बीमारी होगी तो आर्थिक प्रगति तो असंभव ही है. इस के विपरीत जब हवा, प्रकाश के आवागमन व पानी के निकास की समुचित व्यवस्था होगी तो बीमारियां जन्म ही नहीं लेंगी. सो, परिवार के सभी सदस्य स्वस्थ और प्रसन्न रहेंगे. ऐसे में आर्थिक उन्नति भी होगी ही.’’

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए इंजीनियर भटनागर कहते हैं, ‘‘वर्तमान समय में इस वैज्ञानिक दृष्टिकोण में अंधविश्वास का प्रवेश हो जाने से जनमानस में वहम व्याप्त हो गया है जिस से कई बार लोग अपने अच्छेखासे घर में ही आमूलचूल परिवर्तन करा देते हैं जो सर्वथा अनुचित है.’’

केवल मन का वहम है वास्तु

भोपाल के आर्किटैक्ट और 10 वर्षों से इंटीरियर डैकोरेशन का काम कर रहे आशीष मालवीय वास्तु को कोरा इंसानी वहम बताते हैं. वे कहते हैं, ‘‘प्रकाश, ताजी हवा और खुलेपन के सीधेसादे फंडे में अंधविश्वास और वहम का तड़का लगा कर कुछ लोगों ने इसे अपनी मोटी कमाई का जरिया बना लिया है. आजकल के पंडित और ज्योतिषी मानवीय कमजोरियों का लाभ उठा कर उस के जीवन की समस्त समस्याओं को वास्तु से जोड़ कर मन में वहम उत्पन्न कर देते हैं और फिर विभिन्न उपायों द्वारा उस दोष को समाप्त करने का झांसा दे कर खासी रकम वसूलते हैं. आश्चर्य इस बात का है कि वास्तु के इस फेर में समाज का पूर्ण शिक्षित उच्चवर्ग फंसा हुआ है.’’

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए आशीष कहते हैं, ‘‘समाज के खासे रसूख और पैसे वाले लगभग 50 प्रतिशत लोग वास्तु की गिरफ्त में हैं. उन के मनमस्तिष्क में तथाकथित वास्तु ने इतनी गहरी पैठ बना ली है कि वे अपने ज्योतिष या पंडित की सलाह के अनुसार घर के पूरे नक्शे को ही परिवर्तित करा देते हैं, फिर चाहे इस के लिए उन्हें कितना ही पैसा क्यों न खर्च करना पड़े.’’

वास्तु की सचाई भी यही है कि पंडितों और ज्योतिषियों द्वारा आम आदमी के मन में वास्तु का वहम इतनी गहराई से भर दिया गया है कि लोग घर में छोटेछोटे आवश्यक कार्य भी वास्तु के अनुसार कराना चाहते हैं. अपने घर में इंटीरियर का काम करा रहीं महिला चिकित्सक मेघा गरमी में ग्रीन नैट या दीवाली पर झालर लगाने के लिए परमानैंट हुक या रौड लगावाना वास्तु के अनुसार नहीं मानतीं.

अपने तर्क को सही सिद्ध करते हुए वे कहतीं हैं, ‘‘वास्तु के अनुसार घर में हुक या कीलें परमानैंट लगाने से घर की सुखशांति नष्ट हो जाती है, इसलिए इस के लिए कोई टैंपरैरी इंतजाम करना ही उपयुक्त रहेगा.’’

आश्चर्य इस बात का है कि आम जनमानस पंडितों को ईश्वर का दूत मान कर उन के द्वारा कराई गई शांतिपूजा पर विश्वास कर के घर में प्रवेश करना उचित समझता है, जबकि पंडितजी का उद्देश्य मनुष्य के मन में वहम उत्पन्न कर के सिर्फ अपनी कमाई करना होता है.

वर्माजी के नवनिर्मित घर का अवलोकन कर एक पंडितजी ने नेक सलाह दी, ‘‘आप का पूरा घर तो वास्तु के अनुसार बना है परंतु हौल के दाहिने कोने में दोष है जिस से घर के मुखिया के जीवन को हानि है. मेरे पास इस का उपाय है, मैं पूजा से उस कोने को दोषमुक्त कर दूंगा.’’

वास्तु के नाम पर लंबीलंबी पूजाएं करा कर जनमानस को दिग्भ्रमित करने के अनेक उदाहरण हमें अपने आसपास देखने को मिल जाएंगे जहां पर घर को दोषयुक्त बता कर पंडित उसे दोषमुक्त कराने का दावा करते हैं और जिस के लिए वे यजमान से खासी रकम वसूल कर अपनी जेबें भरते हैं.

सैनिक स्कूल से बतौर प्रिंसिपल रिटायर हुए कर्नल आर के सिंह आज के तथाकथित वास्तु पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहते हैं, ‘‘कुछ दशकों पूर्व तक जमीन की कमी नहीं थी, जिस से इंसान मनचाहा घर बना लेता था परंतु आज जमीन की कमी के चलते फ्लैट कल्चर का चलन है जहां बिल्डर एकसाथ सैकड़ोंहजारों की संख्या में घर बनाता है तो एक ही दिशा में घर बन पाना असंभव है.

‘‘दोष घरों में नहीं, बल्कि इंसान की मानसिकता में है जो अपने जैसे ही पंडितरूपी आम आदमी से पूजा करा कर घर के दोष को समाप्त करवाने में विश्वास करते हैं और अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई को खुशीखुशी उन के चरणों में अर्पित कर देते हैं.’’

क्या है आवश्यक

वास्तव में घर की सुखशांति और खुशहाली के लिए किसी वास्तु, पंडित, पूजा अथवा ज्योतिषी की नहीं, बल्कि घर के सदस्यों के परस्पर सहयोग व समझदारी की आवश्यकता होती है और इसे बनाए रखने के लिए घर के प्रत्येक सदस्य को मेहनत करनी होती है.

रजनी ने अपने घर में कोई वास्तु और नक्षत्र पूजा नहीं करवाई और आज घर में रहते हुए 5 वर्ष हो गए हैं. वे कहती हैं, ‘‘इस घर में आने के बाद हमें कभी कोई परेशानी नहीं हुई बल्कि प्रत्येक कार्य उसी तरह हुआ जैसे हम चाहते थे. हां, हम दोनों पतिपत्नी की ट्यूनिंग बहुत अच्छी है जिस से समस्याएं उत्पन्न होने से पूर्व ही हल हो जाया करती हैं. आखिर हमारी अपनी समस्याओं को कोई दूसरा कैसे हल कर सकता है.’’

कर्नल सिंह भी कुछ ऐसे ही विचार व्यक्त करते हुए कहते हैं, ‘‘घर में रोशनी और हवा का पर्याप्त आवागमन जरूरी है. शारीरिक, पारिवारिक और आर्थिक परेशानियां तो जीवन की सामान्य प्रक्रिया है, उस से घर का कोई लेनादेना नहीं होता और न ही मन में इस प्रकार के वहम को कोई जगह देनी चाहिए.’’

वास्तव में वास्तु मन का कोरा वहम और अंधविश्वास है जिस का तर्क से कोई लेनादेना नहीं है. आज आवश्यकता है पडितों के इस फैलाए जाल से बाहर निकल कर तर्क से विचार करने की कि क्या वास्तव में तथाकथित पंडितों के पास घर में सुखशांति लाने की कोई जादू की छड़ी है. जब कि सचाई यह है कि सहनशीलता, परस्पर सम्मान, बच्चों को अच्छे संस्कार देने की जादू की छड़ी हमारे अपने हाथ में है जिस का उपयोग कर के हम अपने जीवन की समस्त समस्याओं का निदान कर सकते हैं.

निम्न बातों का रखें खास ध्यान

घर खरीदते या बनवाते समय किसी पूजापाठ को करने या वास्तुशास्त्री से सलाहमशवरा करने के स्थान पर इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-

घर में पर्याप्त वैंटिलेशन हो ताकि हवा का आवागमन सुचारु रूप से हो सके और घर के सदस्यों को ताजी हवा प्राप्त हो सके.

यह सुनिश्चित करें कि सूर्य के उदय अथवा अस्त होते समय सूर्य का प्रकाश आप को मिल सके क्योंकि इस समय सूर्य की रोशनी में अल्ट्रावौयलेट रेंज नहीं होतीं और यह धूप विटामिन डी से भरपूर होती है.

किचन, बाथरूम और बालकनी आदि से पानी के निकास की समुचित व्यवस्था होनी अत्यंत आवश्यक है. बाथरूम में एंटी स्किड टाइल लगी हों ताकि पैर आदि के स्लिप होने का डर न रहे.

ऐसी लोकेशन पर घर लें जहां या तो सोसाइटी में ही रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता हो अथवा बाजार आप के घर के पास में हो.

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