पिताजी औफिस से आए तो उन के चेहरे पर उदासी छाई हुई थी. यह देख कर उन के बेटे मुकुल ने पूछा, ‘‘पापा, क्या बात है, आज आप बहुत उदास नजर आ रहे हैं ’’\‘‘हां बेटा, दरअसल, हमारे साथ काम करने वाले हमारे पुराने सहयोगी दामोदर की अचानक मृत्यु हो गई है जिस कारण मैं उदास हूं,’’ पापा ने बताया. यह सुन कर मुकुल सोचने लगा, ‘सैकड़ों लोग पापा के साथ काम करते हैं, आखिर दामोदर अंकल में क्या खास बात थी कि उन की मृत्यु से वे इतने उदास हैं.’ कुछ सोच कर मुकुल ने इस का कारण पूछ ही लिया, तो पापा ने बताया, ‘‘बेटे, मुझे दामोदर की मृत्यु का बहुत दुख है क्योंकि इतने अच्छे, योग्य और ईमानदार आदमी आजकल बहुत कम मिलते हैं जिन पर पूरी तरह भरोसा किया जा सके.’’

मुकुल के पिता मुंबई के बहुत बड़े व्यवसायी थे. उन का व्यवसाय देश से ले कर विदेशों तक फैला हुआ था.

‘‘लेकिन पिताजी, आप तो अपने कर्मचारियों को अच्छा वेतन देते हैं. फिर आजकल तो पढ़ेलिखे लोगों को भी नौकरी नहीं मिलती.’’

‘‘ठीक कहते हो बेटा, आजकल बहुत से पढ़ेलिखे बेरोजगार हैं, लेकिन मुश्किल यह है कि हर पढ़ालिखा व्यक्ति योग्य नहीं होता… और मुझे योग्य व्यक्ति चाहिए. दामोदर की तरह.’’

मुकुल समझ नहीं पा रहा था कि आखिर दामोदर अंकल में खास बात क्या थी और योग्य आदमी के सही माने क्या होते हैं एक दिन मुकुल को पापा ने बताया कि उन्होंने कई लोगों को साक्षात्कार के लिए बुला रखा है. वे उन में से किसी एक को दामोदर की जगह काम पर रखेंगे. मुकुल को जिझासा हुई कि पापा इतने लोगों के बीच से किसी एक को भला कैसे चुनेंगे  अत: उस ने आग्रह कर के पापा के पास चुपचाप एक कुरसी पर बैठे रहने की अनुमति मांग ली.

साक्षात्कार वाले दिन मुकुल ने देखा कि बहुत से लोग पापा के कैबिन के बाहर बैठे हैं. पापा जिस का नाम पढ़ते, उसे अंदर बुलाया जाता. कई लोग कैबिन में आए. सभी के चेहरों पर एक ही तरह की लालसा थी कि किसी तरह नौकरी मिल जाए. मुकुल ने अभी तक सिर्फ सुना और अखबारों में पढ़ा था कि आजकल बड़ीबड़ी डिगरियों वाले लोग भी बेरोजगार हैं. अब वह यह सब स्वयं देखरहा था कि एक पद के लिए कितने ज्यादा लोग आए हैं. उन में से कइयों के पास तो बड़ीबड़ी डिगरियां थीं.

कितने ही लोग कमरे में आए. पापा ने उन से कईर् प्रश्न पूछे और यह कह कर भेज दिया कि चयनित होने पर सूचित कर देंगे. लेकिन मुकुल को अपने पिता के चेहरे पर निश्चिंतता नहीं दिखाई दी. उसे हैरानी थी कि इतने सारे लोगों में उन्हें अभी तक दामोदर अंकल की तरह कोई व्यक्ति नहीं मिल पाया.

मुकुल को ऊब होने लगी. अपने पापा के प्रति खीज भी होने लगी. कमरे में आने के बाद वापस जाते हुए लोगों को देख कर उसे दया भी आ रही थी. एक बार तो उस ने यह सोचा कि बड़ा हो कर पढ़लिख कर शायद वह भी इसी तरह लाइन में लगेगा, जिस तरह आज उस के पापा लोगों का इंटरव्यू ले रहे हैं, वैसे ही उस का इंटरव्यू लिया जाएगा.

तभी पापा ने एक औैर नाम पुकारा. कुछ ही क्षणों में एक साधारण वेशभूषा वाला व्यक्ति अंदर आया. हर बार की तरह पापा ने उस से भी प्रश्न किया, ‘‘आप की योग्यता ’’ अभी तक आए सभी लोगों ने इस प्रश्न के उत्तर में अपनी बड़ीबड़ी डिगरियां तथा अतिरिक्त योग्यताएं बताईर् थीं. परंतु इस व्यक्ति ने कुछ पल सोच कर जवाब दिया, ‘‘जी, मेरे पास केवल 3 योग्यताएं हैं.’’

‘‘यानी ’’ पिताजी ने सवाल किया.

वह व्यक्ति धीरे से बोला, ‘‘जी, मेरी पहली योग्यता है, सोचसमझ कर काम करना, दूसरी योग्यता है, कितना भी समय बीत जाए, भोजन किए बगैर रह सकना और तीसरी योग्यता है, असफलता से निराश हो कर धीरज न खोना.’’

मुकुल ने देखा, उस के पापा के चेहरे पर नई चमक आ गईर् है. वह मुसकरा उठे और उस व्यक्ति से हाथ मिलाते हुए बोले, ‘‘जो कुछ तुम ने कहा है, उसे भूलोगे तो नहीं ’’

‘‘कभी नहीं… सर,’’ वह बोला.

‘‘ठीक है, तुम्हें इस पद पर अपौइंट किया जाता है, कल से काम पर आ जाओ.’’

पापा के चेहरे पर निश्चिंतता के भाव देख कर मुकुल को आश्चर्य हुआ. वह अभी तक नहीं समझ पा रहा था कि इतने पढ़ेलिखे लोगों के बीच पापा ने एक उस आदमी को चुना, जिस ने डिगरियों की कोई बात भी नहीं की थी. उस से पूछा, ‘‘पापा, यह तो बहुत अजीब बात है, इतने पढ़ेलिखोें को आप ने लौटा दिया और…’’

‘‘बेटे, पढ़नेलिखने से अधिक जरूरी है कि इंसान खुद अपने को पहचानता हो, अपने गुणों और अवगुणों को जानता हो और उन को याद रखता हो. संसार में पढ़नालिखना भी जरूरी है, लेकिन उस से अधिक जरूरी है, व्यावहारिक ज्ञान…’’

‘‘यह व्यावहारिक ज्ञान क्या होता है ’’ मुकुल ने एक और प्रश्न कर डाला.

उस के पिता समझाने लगे, ‘‘देखो, ध्यान से सुनना मेरी बात. व्यावहारिक ज्ञान वह कला है, जिस के सहारे व्यक्ति अपने काम में सफल होता है, सुखी रहता है और सब का आदर पाता है.’’

‘‘लेकिन उस आदमी ने तो इस ज्ञान की कोई बात भी नहीं की थी… यह ज्ञान तो स्कूल में पढ़ाया जाता है.’’

‘‘नहीं बेटा, यह ज्ञान अनुभव से आता है. उस आदमी ने अपनी जो 3 योग्यताएं बताई थीं, उस से स्पष्ट था कि उसे भरपूर व्यावहारिक ज्ञान है.’’

‘‘क्या मतलब ’’

‘‘देखो, उस ने पहली बात बताई कि वह सोचसमझ कर काम करता है. इस का अर्थ यह हुआ कि वह किसी काम को उतावलेपन और जल्दबाजी में नहीं करता… और सोचसमझ कर किए गए काम में निश्चित ही सफलता मिलती है.

‘‘दूसरी बात उस ने यह बताई कि वह काफी समय तक भोजन किए बगैर भी रह सकता है. इस का अर्थ यह हुआ कि वह अपना काम पूरी लगन और जिम्मेदारी के साथ करता है. काम के समय यदि उसे भूखा भी रहना पड़े तो वह चिंता नहीं करता. जिस आदमी में ऐसी आदत होती है, वह निश्चय ही ईमानदार और परिश्रमी होता है.

‘‘तीसरी सब से अच्छी बात उस ने यह कही कि वह असफलता से निराश हो कर धीरज नहीं खोता. कई बार लोग जरा सी असफलता और परेशानी से हार मान लेते हैं. ऐसे लोग आगे नहीं बढ़ पाते. धीरज के साथ सफलता की राह देखना और अपने पर विश्वास रखना बहुत अच्छे गुण हैं. सच पूछो तो दामोदर में भी यह सारे गुण थे. इसीलिए मुझे उन की कमी खल रही थी. चलो, भूख लगी है, घर चल कर खाना खाएं. तुम्हारी मां राह देख रही होंगी.’’

रास्तेभर मुकुल सोचता रहा कि उस ने आज बहुत सी चीजें सीखी हैं. वह कोशिश करेगा कि जीवनभर इन बातों को याद रखे और दामोदर अंकल की तरह सफल व्यक्ति बने.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...