Farming Tipa in Hindi : इस आर्टिकल आज हम आपके लिए लेकर आएं है सरिता की Top Ten Farming Tips in Hindi 2021 : किसानों की कई प्रॉब्लम होती है जिसे वह समझ नहीं पाते हैं और वह प्रॉब्लम बढ़ते जाता है. ऐसे में हम उनकी मदद के लिए कुछ खास टिप्स लेकर आएं हैं. अगर आपके साथ भी कुछ इस तरह की दिक्कत है तो आप सरिता के Top 10 Farming Tips से मदद ले सकते हैं.
- धनिया में लगने वाले कीट व रोग और उन का प्रबंधन

माहू कीट यह कीट फूल आने के समय शिशु व प्रौढ़ दोनों ही रस चूस कर नुकसान करते हैं. प्रभावित फल व बीजों का आकार छोटा हो जाता है. प्रबंधन * कीट आने से पहले नीम तेल 1,500 पीपीएम की 3 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें. * अगर कीट आ गया है, तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 10 मिलीलिटर दवा प्रति 15 लिटर पानी में घोल बना कर तुरंत छिड़काव करें. स्टेम गाल रोग यह धनिया का प्रमुख रोग है. इस में पत्तियों के ऊपरी भाग, तना, शाखाएं, फूल व फल पर रोग के लक्षण कुछ उभरे हुए फफोले जैसे दिखाई देते हैं.
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2. सब्जियों की बर्बादी को रोकने में मददगार ‘सोलर कोल्ड स्टोर’

मुजफ्फरपुर के बंदरा प्रखंड का एक गांव है सुंदरपुर रतवारा, जहां के छोटे व मझोले किसान ‘आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम भारत’ के मार्गदर्शन में सब्जियों और दूसरी फसलों की खेती करते हैं. जब एकेआरएसपीआई को किसानों की इस समस्या की जानकारी हुई, तो संस्था ने उन की खराब होने वाली सब्जियों के भंडारण का स्थानीय लैवल पर समाधान निकाला. यहां तक कि इस पर आने वाला बिजली का खर्च लगभग शून्य है. किसानों के समूह ने शुरू किया सोलर कोल्ड स्टोर ‘आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम भारत’ ने सब से पहले सुंदरपुर रतवारा गांव में सब्जी की खेती करने वाले छोटे और मझोले किसानों को एकजुट किया.
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3. ऐसे करें आलू की आधुनिक खेती

आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. भारत में शायद ही कोई ऐसा रसोईघर होगा, जहां पर आलू न दिखे. इस की मसालेदार तरकारी, पकौड़ी, चाट, पापड़, चिप्स जैसे स्वादिष्ठ पकवानों के अलावा चिप्स, भुजिया और कुरकुरे भी हर जवां के मन को भा रहे हैं. इस में प्रोटीन, स्टार्च, विटामिन के और सी के अलावा आलू में एमीनो एसिड जैसे ट्रिप्टोफेन, ल्यूसीन, आइसोल्यूसीन आदि काफी मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर के विकास के लिए जरूरी हैं. आलू भारत की सब से अहम फसल है. तमिलनाडु और केरल को छोड़ कर आलू सारे देश में उगाया जाता है.
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4. मशरूम की खेती करने के लिए प्रशिक्षण लेना लाभकारी

मशरूम की खेती करने के लिए प्रशिक्षण लेना लाभकारी ] भानु प्रकाश राणा मशरूम को कुकुरमुत्ता, भूमिकवक, खुंभ, खुंभी आदि कई नामों से जाना जाता है. अकसर बारिश के दिनों में छतरीनुमा संरचनाएं सडे़गले कूडे़ के ढेरों पर या गोबर की खाद या लकड़ी पर देखने को मिलती हैं. यह भी एक तरह का मशरूम ही है. इसे आसानी से घर में उगाया जा सकता है. मशरूम का प्रयोग सब्जी, पकौड़ा व सूप के रूप में किया जाता है. मशरूम खाने में स्वादिष्ठ, सुगंधित, मुलायम और पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है.
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5. पोटैटो प्लांटर से करें आलू की बोआई

आलू बोने के 2 तरह के यंत्र आजकल चलन में हैं, एक सैमीआटोमैटिक आलू प्लांटर. दूसरा पूरी तरह आटोमैटिक प्लांटर. दोनों ही तरह के यंत्र ट्रैक्टर में जोड़ कर चलाए जाते हैं. सैमीआटोमैटिक प्लांटर में यंत्र की बनावट कुछ इस तरह होती है, जिस में आलू बीज भरने के लिए एक बड़ा बौक्स लगा होता है. इस में आलू बीज भर लिया जाता?है और उसी के साथ नीचे की ओर घूमने वाली डिस्क लगी होती हैं, जो 2-3 या 4 भी हो सकती?हैं.
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6. जानें नवंबर महीने में खेती से जुड़े जरूरी काम

नवंबर माह में उत्तर भारत में सर्दियां शुरू हो जाती हैं. इस मौसम की खास फसलें गेहूं, आलू और सरसों मानी जाती?हैं. इन की बोआई से पहले खेत की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं और जांच के बाद ही उर्वरकों की मात्रा तय करें. खेत में सड़ी हुई गोबर या कंपोस्ट खाद डालें.
* अपने इलाके की आबोहवा के मुताबिक बोआई के लिए फसल की किस्मों का चुनाव करें. बीजों को फफूंदीनाशक दवा से उपचारित करने के बाद ही बोएं. बोआई सीड ड्रिल से करने पर बीज भी कम लगता है और पैदावार भी अच्छी होती है.
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7. बायो डी कंपोजर किसानों के लिए बेहद फायदेमंद

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8. शीत ऋतु में अपनाएं गन्ने की आधुनिक खेती

गन्ना ग्रेमिनी कुल से संबंधित है और यह घास कुल का पौधा है. इस का वानस्पतिक नाम सैकेरम औफिसिनेरम है. वैसे तो यह एक नकदी फसल है, जिस से गुड़, चीनी, शराब आदि बनाए जाते हैं. वहीं दूसरी ओर ब्राजील देश में गन्ने का उत्पादन सब से ज्यादा होता है. भारत का गन्ने की उत्पादकता में संपूर्ण विश्व में दूसरा स्थान है. गन्ने को मुख्यत: व्यावसायिक चीनी उत्पादन करने वाली फसल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो कि विश्व में उत्पादित होने वाली चीनी के उत्पादन में तकरीबन 75 फीसदी योगदान करता है, शेष में चुकंदर, मीठी ज्वार इत्यादि फसलों का योगदान है.
9. खेती में जल प्रबंधन के उपाय

गन्ने के साथ गेहूं की फसल लेने के लिए फर्ब विधि से गेहूं व गन्ने की बोआई करनी चाहिए. इस तरीके को अपनाने से पानी की बचत के साथसाथ दोनों फसलों की पैदावार भी ज्यादा मिलती है. फर्ब विधि से गेहूं और गन्ने की बोआई कृषि जल संरक्षण का किफायती व उपयोगी तरीका है. इस तरीके में औसतन 20 से 30 फीसदी सिंचाई के पानी की बचत की जा सकती है.
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10. फसल अवशेष और इसका प्रबंधन

कृषि में संसाधन संरक्षण तकनीक स्थायी रूप से दीर्घकालीक खाद्य उत्पादन में सहायक होता है, परंतु मशीनों के अधिक प्रयोग से मृदा उर्वरता में कमी आने लगती है. धानगेहूं फसल प्रणाली में आधुनिक व बड़े आकार के फार्म मशीनरी जैसे कंबाइन हार्वेस्टर, रोटावेटर, सीड ड्रिल वगैरह की संख्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. इस प्रकार की कृषि प्रणाली में ज्यादातर किसान फसल अवशेषों को जला दे रहे हैं, जो वातावरण के लिए एक गंभीर समस्या है. नवीन और नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, भारत में हर साल 500 मिलियन टन फसल अवशेषों का उत्पादन होता है और दूसरे प्रदेशों की तुलना में उत्तर प्रदेश में सब से ज्यादा 60 मिलियन टन फसल अवशेषों का उत्पादन होता है,




 
  
  
  
             
        




 
                
                
                
                
                
                
                
               