लेखक- डा. नगेंद्र कुमार त्रिपाठी, वैज्ञानिक,

पशुपालन डेरी कारोबार में भैंसपालन की बहुत ज्यादा अहमियत है. देश में तकरीबन 55 फीसदी दूध भैंसपालन से मिलता है, इसलिए भैंस की उन्नत नस्ल का होना बेहद जरूरी है. इस के लिए पशुपालकों को भैंस संबंधी हर जरूरी जानकारी रखनी चाहिए. अगर आप भी डेरी कारोबार से जुड़े हुए हैं या फिर भैंसपालन शुरू करने जा रहे हैं, तो इन बातों को ध्यान में जरूर रखें. इस से आप को बेहतर दूध उत्पादन मिलेगा, साथ ही साथ अच्छा मुनाफा भी कमा पाएंगे :

* अच्छी नस्ल की भैंस का होना.

* संतुलित आहार.

* भैंस के लिए आरामदायक बाड़ा.

* भैंस हर साल बच्चा दे.

* रोग पर नियंत्रण.

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भैंस की उन्नत नस्ल पशुपालकों को भैंस पालने में हमेशा उन्नत नस्ल का चुनाव करना चाहिए. अगर भैंस की नस्ल अच्छी होगी, तो दूध का उत्पादन भी ज्यादा मिल पाएगा. भैंस की कई उन्नत नस्लें जैसे मुर्रा, जाफराबादी, महसाना, पंधारपुरी, भदावरी आदि होती हैं. इन में से मुर्रा नस्ल की भैंस को सब से अधिक उत्पादन देने वाली नस्ल कहा जाता है.

मुर्रा नस्ल की भैंस के सींग मुड़े हुए होते हैं, जो देशी और दूसरी प्रजाति की भैंसों से दोगुना दूध दे सकती है. इस से रोज तकरीबन 15 से 20 लिटर तक दूध मिल सकता है. इस के दूध में फैट की मात्रा भी ज्यादा पाई जाती है, इसलिए इस की कीमत भी ज्यादा होती है. खास बात यह है कि यह भैंस किसी भी तरह की जलवायु में रह सकती है. इस की देखभाल करना भी आसान होता है. इस को ज्यादातर पंजाब और हरियाणा राज्यों में पाला जाता है.

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