Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनावों में भारी जीत पा कर नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने साबित कर दिया है कि चुनावी जीत के लिए जमीन पर काम करना होता है, सिर्फ नारों और आरोपों से काम नहीं चलता. जहां भारतीय जनता पार्टी के सेवक घर-घर जा कर वोट बटोरते रहे, वहीं राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के नेता तेजस्वी यादव और राहुल गांधी सभाओं में उमड़ी भीड़ को देख कर खुश होते रहे.

चुनावी सभाओं में भीड़ तो जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर शर्मा को सुनने भी आती थी जो बिहार में परिवर्तन की आंधी लाने का दम भर रहे थे. चुनावी नतीजे में उन का हाल तो बहुत ही बुरा रहा, वे जीरो पर रहे.

भारतीय जनता पार्टी ने सावधानी से वर्षों से लगातार मेहनत कर के वोट बटोरे हैं. उस के कार्यकर्ता हिंदू धर्म को पुनर्स्थापित करने के लिए वर्ण और जाति के भेद पर पतली भगवा चादर लपेट कर गांव-गांव, गली-गली काम करते रहे और दूसरी पार्टियों के बड़े नेता जमींदारों की तरह तो छोटे नेता खार खाए कारिंदों की तरह मन मान कर काम करते रहे.

लोकतंत्र सिर्फ नारों से नहीं चलता. लोकतंत्र के लिए मेहनत करनी पड़ती है. भाजपा व उस का स्वयंसेवक संघ इस मेहनत को उन हजारों, लाखों मंदिरों, मंदिरों से जुड़े स्कूलों-कॉलेजों, धर्म व्यवस्था के दूसरे अंगों जैसे ज्योतिषियों, वास्तुविदों, प्रवचनों, भाषणों, सोशल मीडिया से करवाता है. लोकतंत्र में भी नेता और वोटर का सीधा संबंध जरूरी है जिसे लालू यादव का परिवार व गांधी परिवार अब भूल चुके हैं.

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