लेखक- राजीव कुमार सिंह, वैज्ञानिक, उद्यान, कृषि विज्ञान केंद्र, बक्शा, जौनपुर

आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. भारत में शायद ही कोई ऐसा रसोईघर होगा, जहां पर आलू न दिखे. इस की मसालेदार तरकारी, पकौड़ी, चाट, पापड़, चिप्स जैसे स्वादिष्ठ पकवानों के अलावा चिप्स, भुजिया और कुरकुरे भी हर जवां के मन को भा रहे हैं. इस में प्रोटीन, स्टार्च, विटामिन के और सी के अलावा आलू में एमीनो एसिड जैसे ट्रिप्टोफेन, ल्यूसीन, आइसोल्यूसीन आदि काफी मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर के विकास के लिए जरूरी हैं. आलू भारत की सब से अहम फसल है. तमिलनाडु और केरल को छोड़ कर आलू सारे देश में उगाया जाता है.

किसान आज से तकरीबन 7,000 साल पहले से आलू उगा रहे हैं. जलवायु आलू के लिए छोटे दिनों की अवस्था जरूरी होती है. भारत के विभिन्न भागों में उचित जलवायु की उपलब्धता के मुताबिक किसी न किसी भाग में पूरे साल आलू की खेती की जाती है. बढ़वार के समय आलू को मध्यम शीत की जरूरत होती है. मैदानी क्षेत्रों में बहुधा शीतकाल (रबी) में आलू की खेती प्रचलित है. आलू की वृद्धि व विकास के लिए तापमान 15-25 डिगरी सैल्सियस के बीच होना चाहिए. इस के अंकुरण के लिए 25 डिगरी सैल्सियस, संवर्धन के लिए 20 डिगरी सैल्सियस और कंद विकास के लिए 17 से 19 डिगरी सैल्सियस तापमान की जरूरत होती है, उच्चतर तापमान 30 डिगरी सैल्सियस होने पर आलू विकास की प्रक्रिया प्रभावित होती है. अक्तूबर से मार्च महीने तक लंबी रात और चमकीले छोटे दिन आलू बनने और बढ़ने के लिए अच्छे होते हैं.

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