लेखिक- पल्लवी यादव, डा. ओम प्रकाश, डा. ब्रह्म प्रकाश व डा. कामिनी सिंह 

पिछले अंक में आप ने पढ़ा था : फसलों में सिंचाई की बहुत अहमियत है. गेहूं की फसल में जल प्रबंधन से पानी की अच्छी बचत की जा सकती है और फसल भी ज्यादा मिलती है. ऐसा ही गन्ने की फसल में जल प्रबंधन से होता है… अब पढि़ए आगे फसल की सिंचाई नियोजन द्वारा कृषि जल संरक्षण फसल की सिंचाई नियोजन उपलब्ध पानी के अनुसार करनी चाहिए. पानी की कमी होने पर केवल संवेदनशील हालात में ही सिंचाई करनी चाहिए. इस से 80 फीसदी तक पैदावार मिल जाती है. यदि पानी की बचत 20 फीसदी से ज्यादा है तो फसल में सिंचाई करने की कोई जरूरत नहीं है.

गेहूं के मामले में 2 अतिसंवेदनशील अवस्थाएं [पहली- ताजमूल अवस्था (सीआरआई) और दूसरी- गांठ बनने की अवस्था] होती हैं. निचली भूमि और ज्यादा बरसात होने वाली जमीन पर सभी फसलें बोई जा सकती हैं, लेकिन कम बारिश वाले इलाकों में सिंचाई की जरूरी सुविधाएं उपलब्ध होने पर गेहूं, ज्वार, मक्का व बाजरा जैसी फसलें बोनी चाहिए. सिंचाई की मध्यांतर अवधि और फसल में जल की मांग फसलों को पकने के लिए कृषि जल की जरूरत और उस में सिंचाई के बीच के अंतर की अवधि उस फसल पर निर्भर करती है. कम समय और कम पानी में पकने वाली फसलों की संस्तुत प्रजातियों की बोआई को प्राथमिकता बारिश आधारित क्षेत्रों में कम पानी की जरूरत वाली और जल्दी पकने वाली फसलें ही उगानी चाहिए. मोटे अनाज वाली फसलें, तिलहनी, दलहनी, सब्जी वाली फसलें, बागबानी फसलें, पुष्प व सुगंध वाले पौधे, कंद वाली फसलें और औषधीय फसलें पैदा कर सिंचाई के पानी की बचत की जा सकती है. भूजल रिचार्ज विधि व जागरूकता का अभियान आज हम सब की जिम्मेदारी है कि कृषि जल संरक्षण ज्यादा से ज्यादा कर के अनमोल पानी की बचत की जाए. जहां पर बारिश की बूंदें गिरें, उसे वहीं पर इकट्ठा कर लेने की तर्ज पर यह नारा दिया गया है :

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खेत का पानी खेत में, नदी का पानी रेत में. गांव का पानी ताल में, आए काम अकाल में. इस नारे को साकार करने के लिए यह जरूरी है कि बारिश के पानी का संरक्षण भूजल रिचार्ज विधि अपना कर किया जाए. बारानी खेती को ज्यादा कामयाब बनाने के लिए बारिश की एकएक बूंद का इस्तेमाल बहुत जरूरी है. चाहे वह नमी के रूप में जमीन में रहे या बरसात के पानी को किसी सही जगह पर इकट्ठा कर के किया जाए, जिसे जरूरत के समय सिंचाई के लिए काम में लाया जा सके.

मिट्टी की किस्म पर आधारित सस्य तकनीक * मानसून आने से पहले खेत की लगभग 25 सैंटीमीटर गहरी जुताई करें और बरसात के बाद कम गहरी (उथली) जुताई करने से खेत में ही पानी का ज्यादा से ज्यादा संरक्षण किया जा सकता है. इस प्रकार की जुताई से खासकर रेतीली दोमट मिट्टी में जल संरक्षण ज्यादा होता है. * काली मिट्टी में दरारें बनने के चलते सिंचाई का पानी नीचे की परतों में चला जाता है. इन खेतों में छेद वाले पाइप की मदद से सिंचाई करना कृषि जल संरक्षण में काफी मददगार साबित होता है.

* खाली खेत में फसल अवशेषों और खरपतवारों की पलवार दे देनी चाहिए. अगर खेत में 1 से 2 मीटर का ढाल हो, तो कंटूर बनाने चाहिए.

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* खाली खेत में या फसल के साथ उगे हुए खरपतवारों को काट कर बाहर कर देना चाहिए, जिस से इन के द्वारा होने वाले पानी के नुकसान से बचा जा सके.

* ढलान वाले खेतों में ढलान का प्रतिशत 0.2 से 0.4 (दोमट मिट्टी) तक पक्का करने पर कृषि जल संरक्षण का प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है.

* हलकी, कंकरीली, पथरीली व रेतीली मिट्टी में पानी के संरक्षण के लिए पौलीटैंक बनाने चाहिए. गहरी व सतही नाली बनाएं 2 खेतों के बीच में मेंड़ की जगह गहरी सतही नाली बनाने से बरसात या सिंचाई के पानी की कुछ मात्रा को इन नालियों में संरक्षित किया जा सकता है. खेत में सतही व गहरी नालियां बना कर किए गए संरक्षित पानी की गुणवत्ता बहुत बढि़या होती है.

टपक सिंचाई विधि अपनाएं

* टपक सिंचाई विधि में औसतन 40 से 50 फीसदी सिंचाई के पानी की बचत हो जाती है. फलों व सब्जियों की फसल में टपक सिंचाई विधि अपनाना काफी किफायती सिद्ध होता है. टपक सिंचाई विधि में जल उपयोग की क्षमता तकरीबन 80 फीसदी तक बढ़ जाती है.

* फलों और सब्जियों की फसल में टपक सिंचाई विधि से 20 से 25 फीसदी तक पैदावार में बढ़ोतरी होती है. कृषि घटकों व दूसरी पद्धतियों को अपनाएं

* फसल को सिंचाई की जरूरत है कि नहीं, इस की जानकारी के लिए मिट्टी में नमी के लैवल की जांच करा लेने से की जा सकती है.

* जलशक्ति अभियान के तहत शहरी क्षेत्रों के सीवर के पानी को प्रदूषण मुक्त कर उस जल को सिंचाई के काम में लाया जा सकता है.

* भूमि को समतल कर के हलका ढाल देते हुए मिट्टी की किस्म के अनुसार क्यारी बना कर सिंचाई करनी चाहिए. ऐसी सतही विधियां अपना कर पानी का नुकसान काफी हद तक रोका जा सकता है और 60 फीसदी तक पानी का उपयोग पौधों के लिए किया जा सकता है.

* बांस को झाडि़यों और घासों के साथ मेंड़ों पर पंक्तियों में रोपण करने से खेत के लिए कवच का काम करता है जो मिट्टी की नमी के लैवल को बनाए रखने के साथ कृषि जल संरक्षण में काफी मददगार होता है, इसलिए बांस को ‘हरा सोना’ कहा जाता है.

* फलों व सब्जियों की खेती की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए. इन फसलों को उगाने में फायदे की संभावनाएं ज्यादा होती हैं और पानी की बचत भी होती है.

* सिंचाई की पुरानी तकनीक की जगह आधुनिक तरीकों को अपनाना चाहिए जिस से जल उपयोग की क्षमता व उत्पादकता बढ़ेगी.

* नलकूपों से सिंचाई के समय ‘सिंचाई सैंसर मौडल’ का उपयोग कर कृषि जल संरक्षण में मदद मिलेगी.

* उच्च गुणवत्तायुक्त सिंचाई जल का फसलों में उपयोग करने से मिट्टी के गुणों में सुधार होने के साथसाथ फसल की पैदावार में बढ़ोतरी और सिंचाई के पानी की बचत भी होती है.

* फसल की बोआई से पहले खेत में गोबर की सड़ी खाद 200 से 250 क्विंटल हेक्टेयर का इस्तेमाल करना चाहिए. खादों के इस्तेमाल से कृषि जल की बचत के साथ ही साथ मिट्टी की उत्पादन कूवत भी बढ़ती है. कृषि में जल संरक्षण के किफायती उपाय व सुझाव जल की बचत के लिए अन्य कृषि आधारित मितव्ययी, कारगर व आसान विधियां व उपायों का वर्णन इस प्रकार है :

* किसानों को व्यक्तिगत रूप से जल संरक्षण अभियान चला कर, सामाजिक जागरूकता के द्वारा व सामुदायिक स्तर पर भी जल संरक्षण अपनाने चाहिए.

* किसान मेला, किसान गोष्ठियों, संवाद व प्रचार और प्रसार सामग्री से जनजन तक यह संदेश पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए.

* कृषि जल संरक्षण विषय को प्राथमिक स्तर से ले कर उच्च स्तर तक के पाठयक्रमों में शामिल करने पर जोर देना चाहिए.

* पीने के पानी/कृषि जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सरकारी विभागों, स्वयंसहायता समूहों, निजीतौर पर और गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा समयसमय पर आयोजित/संचालित प्रशिक्षण व जागरूकता अभियान में शामिल किया जाना चाहिए.

* पहले कहा जाता था, ‘घरगांवों की सभ्यता और संस्कृति की पहचान तालाबों से होती है,’ इसलिए कृत्रिम रूप से बनाए गए तालाबों में बरसाती पानी को इकट्ठा कर पानी का सरंक्षण करना आज भी समय की जरूरत है.

* इस प्रकार से इकट्ठा किए गए पानी को सिंचाई के लिए काम में ला कर किसान खेती से होने वाली अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं.

* किसान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के जल व मृदा संरक्षण से संबंधित संस्थानों से संपर्क/टैलीफोन/चिट्ठी के माध्यम से भी जानकारी ले सकते हैं.

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