लेखक- डा. शैलेंद्र सिंह, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज,

अयोध्या खुशबूदार धनिया का सब्जियों में खास स्थान है. धनिया की हरीहरी पत्तियां सब्जियों को तो जायकेदार बनाती ही हैं, साथ ही किसानों की जिंदगी में बहार लाती हैं. देश के अनेक इलाकों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक आिद में धनिया की खेती की जाती है. धनिया की खेती करने के लिए हमेशा उन्नत किस्मों को ही लगाना चाहिए. अच्छी फसल के लिए कीट और बीमारी से बचाव भी जरूरी है.

माहू कीट यह कीट फूल आने के समय शिशु व प्रौढ़ दोनों ही रस चूस कर नुकसान करते हैं. प्रभावित फल व बीजों का आकार छोटा हो जाता है. प्रबंधन * कीट आने से पहले नीम तेल 1,500 पीपीएम की 3 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें. * अगर कीट आ गया है, तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 10 मिलीलिटर दवा प्रति 15 लिटर पानी में घोल बना कर तुरंत छिड़काव करें. स्टेम गाल रोग यह धनिया का प्रमुख रोग है. इस में पत्तियों के ऊपरी भाग, तना, शाखाएं, फूल व फल पर रोग के लक्षण कुछ उभरे हुए फफोले जैसे दिखाई देते हैं.

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शुरुआत में रोग से संक्रमित तना पीला होने लगता है और मिट्टी के पास से तने पर छोटी गाल उभार लिए हुए भूरे रंग की होती है. प्रबंधन * बीज को बोने से पहले थीरम 2.5 ग्राम दवा प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर लें.

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