ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी ने बिहार के चुनावों में बिना पार्टी आधार और प्रचारप्रसार के 5 सीटें जीत कर सब को हैरान कर दिया. उस के बाद अपने गढ़ हैदराबाद में बेहतरीन प्रदर्शन जारी रखा. इन जीतों के बाद कई सवाल उठ खड़े हो गए हैं. मुख्य यह कि, आखिर क्या कारण है कि कट्टरपंथी भाजपा के उदय के साथसाथ ओवैसी का भी कद बढ़ता जा रहा है? एआईएमआईएम यानी औल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीनजिस का हिंदी अनुवाद है अखिल भारतीय मुसलिम संघ, हालिया बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने के बाद मुसलमानों की राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बन कर उभरी है. बिहार के बाद हैदराबाद में निकाय चुनाव में भी उस का बेहतरीन प्रदर्शन रहा.
पहली दिसंबर को हैदराबाद नगर निगम में 150 वार्ड के लिए एआईएमआईएम ने 51 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिन में से 44 सीटों पर अपनी जीत दर्ज कराने के बाद उस के हौसले बुलंद हैं. जबकि भाजपा ने 149 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और उन में से 48 सीटों पर विजय हासिल की. टीआरएस ने सभी 150 सीटों पर चुनाव लड़ा और 55 सीटों पर विजयी रही. कुल जमा यह कि तीसरे नंबर पर आ कर भी एआईएमआईएम की जीत का आंकड़ा अव्वल ही कहा जाएगा. जबकि भाजपा ने इस निकाय चुनाव में राष्ट्रीय स्तर के चुनाव की तरह अपनी पूरी ताकत झोंकी थी. पहली बार किसी निकाय चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से ले कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ने कैंपेनिंग की थी.