मुरादाबाद: मनोहरपुर स्थित कृषि प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक डाक्टर दीपक मैंदीरत्ता ने कहा कि घर की छत या खाली जमीन में आप सब्जियों की खेती कर सकते हैं. खादबीज कहां से मिलेगा, सब्जी को कैसे लगाना है, पूरी जानकारी फोन पर मिलेगी.
जो लोग अपने घर पर हैं, उन का समय नहीं कट रहा है. ऐसे में छतों पर जैविक सब्जियां उगाने से जहां समय का पता नहीं लगेगा, वहीं पौष्टिक सब्जियां भी खाने को मिलेंगी.
जैविक सब्जियां किस तरह उगाई जानी हैं, इस की विधि सीखने के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं हैं, क्योंकि जैविक खेती के गुर सिखाने के लिए कृषि प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक तैयार हो गए हैं.
उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि जैविक विधि से सब्जियां उगाने की विधि को ही बढ़ावा दिया जाए. इस से लोगों को घर बैठे स्वच्छ और पौष्टिक सब्जियां मिल सकेंगी.
डाक्टर दीपक मैंदीरत्ता, निदेशक, कृषि प्रशिक्षण केंद्र, मनोहरपुर का कहना है कि जैविक खेती करने के लिए गोबर की खाद लोगों को आसानी से मिल जाएगी. खादबीज की दुकानों को खोलने का आदेश प्रदेश सरकार ने दे दिया है, वहां पर सब्जी का बीज मिल जाएगा, अगर कहीं दिक्कत आती है तो यह विधि जानने के लिए इस मोबाइल नंबर 9412475302 पर बात कर सकते हैं.
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नई तकनीक से उम्मीद अब खट्टे नहीं होंगे अंगूर
मुंबई: मजदूरों की किल्लत के चलते अंगूर की तुड़ाई प्रभावित हो गई है क्योंकि हर साल तकरीबन ढाई हजार करोड़ रुपए का निर्यात होने वाला अंगूर इस बार यों ही धरा रह गया. लेकिन कृषि वैज्ञानिकों की पेड़ों पर ही अंगूर के गुच्छों को सुखा कर किशमिश में बदलने की टैक्नोलौजी से किसानों को उम्मीद हुई है.
महाराष्ट्र में उत्पादक मंडियों में कारोबार बंद पड़ा है. इस वजह से घरेलू बाजार में अंगूर की सामान्य सप्लाई भी नहीं हो पा रही है. इस मुश्किल समय में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों की टीम ने एक नई टैक्नोलौजी विकसित की है, जो किसानों के लिए रामबाण बन कर उभरी है. यह टैक्नोलौजी अंगूर की लता पर गुच्छों को सुखा कर किशमिश बना देगी.
आईसीएआर के हौर्टिकल्चर उपमहानिदेशक डाक्टर एके सिंह ने बताया कि इस विधि से अंगूर किसानों को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी. इस नई तकनीक से 12वें दिन में अंगूर सूख कर किशमिश में बदल जाता है. इस के तहत पेड़ पर अंगूर के पके गुच्छों को 4 से 6 दिन तक ही रोका जा सकता है. इस के बाद वह खराब होने लगता है.
निर्यात न होने और घरेलू बाजार में मांग घटने से किसानों की माली हालत ठीक नहीं है. वहीं किसानों को इसे सुखा कर किशमिश बनाने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे थे, जो बागों से अंगूर तोड़ सकें. इसीलिए यह नई टैक्नोलौजी तैयार की गई. इस में 2 खास तरह के कैमिकलों (एथाइल ओलियट और पोटैशियम कार्बोनेट) को पानी में मिला कर गुच्छों पर एक निश्चित समय के अंतर पर 3 छिड़काव करना होता है. इस के 12वें दिन तक अंगूर सूख कर किशमिश में बदल जाता है.
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इस चुनौती से निबटने में अंगूर को पेड़ पर ही सुखाने वाली टैक्नोलौजी काफी कारगर साबित हो रही है.एग्रीकल्चरल एंड प्रोसैस्ड फूड प्रोडक्ट ऐक्सपोर्ट डेवलपमैंट अथोरिटी के मुताबिक, भारत ने पिछले साल तकरीबन 250 करोड़ रुपए की लागत की 20,000 टन किशमिश का निर्यात किया था. किशमिश की मांग टर्की, अमेरिका, चिली, यूरोपीय संघ के देशों के अलावा दक्षिणी अफ्रीकी देशों में है.
फोन कॉल और मैसेज के माध्यम से खरीदा जाएगा गेहूं
रेवाड़ी: जिले में गेहूं की खरीद चालू हो गई. गेहूं खरीद के लिए प्रशासन की ओर से जिले में 10 खरीद केंद्र बनाए हैं. इन में रेवाड़ी की नई अनाज मंडी सहित कोसली व बावल में भी खरीद केंद्र बनाए गए हैं, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखा जा सके. ज्यादातर किसानों को मैसेज दे कर खरीद सैंटर पर बुलाया गया.
जिले में सरसों की खरीद के लिए भी किसानों को मैसेज भेज कर या फोन कर के मंडी में बुलाया गया, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके.
25 दिन बाद मंडी खुली भी पर न बिकने से किसान रहे परेशान
बिलाड़ा: सूनी पड़ी मंडी को फिर से खोला गया, पर किसानों ने आने में दिलचस्पी नहीं ली. कुछ किसान आए भी, लेकिन बिक्री न होने से उन्हें निराश लौटना पड़ा. कृषि उपज मंडी समिति बिलाड़ा में जिंसों की खरीदफरोख्त नहीं हो सकी.
25 दिन बाद पहली बार मंडी खुली. महज 4 किसान ही अपना गेहूं बेचने आए. यहां आए किसानों को निराशा ही हाथ लगी क्योंकि खरीदार ही नहीं मिले. बुझे मन से इन में से 2 किसानों ने 35 क्विंटल गेंहू बेचा, वहीं बाकी के 2 किसान इतने निराश हुए कि उचित कीमत न मिलने पर खाली हाथ ही लौट आए.
वजह, पूरे दिन किसान लोगों के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन यहां महज 48 लोग ही आ सके. कृषि मंडी बिलाड़ा की जो तसवीर सामने आई, वो शायद पहले कभी किसानों ने नहीं देखी थी. मंडी ऐसे सुनसान थी, जैसे यहां कभी कुछ था ही नहीं.
मंडी में सौंफ, जीरा, इसबगोल के अलावा सभी तरह के जिंसों की खरीदी हुई. नए नियम के मुताबिक किसान सुबह 8 बजे से ले कर दोपहर 12 बजे तक ही मंडी में आ सकते हैं.
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बता दें कि बिलाड़ा कृषि मंडी सौफ व जीरे के लिए देशभर में मशहूर है. यहां से सौंफ व जीरा देश के हर कोने में पहुंचता है.
कृषि विश्वविद्यालयों में औनलाइन कक्षाएं
नई दिल्लीः कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों को अपने छात्रों के लिए औनलाइन कक्षाएं शुरू करने को कहा है.
उन्होंने कृषि अनुसंधान परिषद के किसानों और खेतीबाड़ी पर इस कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने को ले कर किए जा रहे कामों का आकलन किया और यह निर्देश दिया. कृषि विज्ञान केंद्रों के जरीए तकरीबन 2 करोड़ किसानों को इस का फायदा मिलेगा.
मिनी टैक्टर बनाया जो एक लिटर पैट्रोल में जोतेगा डेढ़ बीघा खेत
गोरखपुर: बुद्धा इंस्टीटयूट के बीआईटी के मैकेनिकल विभाग के आखिरी साल के 4 छात्रों ने मिल कर एक टैक्टर तैयार किया है, जो एक लिटर पैट्रोल में डेढ बीघा खेत जोत सकता है.
ये छात्र अपेक्षा सिंह, शिवानी सिंह, अभिषेक मल्ल और गजेंद्र पांडे हैं. इन छात्रों ने धीरेंद्र कुमार की अगुआई में खेती के कामों को करने के लिए कम से कम लागत में एक ऐसे ट्रैक्टर को बनाया है जिस की मदद से किसान आसानी से खेत की जुताई कर पाएंगे.
इस मौडल का नाम मिनी टैक्टर रखा गया है. इस टैक्टर को तैयार करने में कुल खर्च 25 से 30 हजार रुपए आया है.