कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते यूरोप और अमेरिका में काफी संख्या में लोगों की जान जा रही है, वहीं भारत में बिहारी मानुस के आगे कोरोना की ताकत फुस्स नज़र आ रही है. बिहार में इस वायरस से संक्रमित लोगों में इसका कम असर दिख रहा है.एक तरफ जहां विदेशों में कई मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है, अमेरिका, स्पेन, इटली और योरोप के कई देशों की हालत खराब है, वहां मरने वालों की तादात बढ़ती जा रही है, वहीँ भारत के बिहार राज्य में कोरोना मरीज़ों ने कोरोना को मुहतोड़ जवाब देना शुरू कर दिया है. एक खबर के अनुसार बिहार का सीवान जिला कोरोना की चपेट में है.यहाँ कोरोना के मरीज़ बढ़ते जा रहे हैं मगर ख़ुशी की बात ये है कि अधिकतर मरीज़ जल्दी ही ठीक होकर अपने घरों को लौट भी रहे हैं. जहां पूरी दुनिया में कोरोना से अपनी जाती साँसे बचाने के लिए वेंटिलेटर को ले कर मारामारी मची है, वहीं बिहार में अब तक किसी भी कोरोना मरीज को वेंटिलेटर या आईसीयू में रखने की जरूरत नहीं हुई है.बिहार के लोगों पर कोरोना आक्रमण तो कर रहा है मगर जल्दी ही पराजित हो कर भाग खड़ा हो रहा है। दरअसल मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू, दिमागी बुखार जैसी बीमारियों का सामना करते-करते बिहार के लोगों का इम्यूनिटी सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी मजबूत हो गई है कि उन पर कोरोना का वार खाली ही जा रहा है.

गौरतलब है कि पिछले दो दिनों में बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले अचानक बढे हैं. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक बिहार में संक्रमण के 60 केस हो चुके हैं. लेकिन इनमें से 15 लोग पूरी तरह ठीक होकर अपने-अपने घर जा चुके हैं, जबकि अभी तक मात्र एक शख्स की ही जान गई है. बिहार में फैले कोरोना संक्रमण के मामलों में एक बात और गौर करने वाली है. यहां अब तक जितने भी कोरोना संक्रमित मरीज आए हैं उन सबको केवल अलग वॉर्ड में क्वारंटीन करके और मलेरिया की दवाई खिलाकर ठीक किया जा रहा है.बिहार की राजधानी पटना के नालन्दा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है.यहां अबतक केवल दो कोरोना पॉजिटिव मरीज को इमरजेंसी वॉर्ड में शिफ्ट करने की नौबत आई है.

 

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हालांकि इस चीज़ पर कभी रिसर्च नहीं हुई कि बिहारियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता देश के अन्य राज्यों के निवासियों से अधिक है अथवा नहीं, लेकिन ये बात सौ फीसदी सही है कि बिहार में लोग साल के कई महीने कई तरह के वायरस का सामना करते हैं. डॉक्टर मान रहे हैं कि इस वजह से हो सकता है कि बिहारी मानस के शरीर में बेस्ट लाइन इम्यूनिटी सिस्टम डेवलप कर गया हो, जो कोरोना को मात दे रहा है.फोर्टिस अस्पताल की डॉक्टर नीना बहल कहती हैं कि इस बात की पूरी संभावना है कि कई वायरस को झेलने वाले बिहार के लोगों के शरीर में वायरस के क्रॉस कनेक्शन की वजह से हार्ड इम्युनिटी डेवलप हो गया है. इसलिए वे इस महामारी के असर से जल्दी बाहर निकल पा रहे हैं.

डॉक्टर नीना बहल कहती हैं कि बिहार के ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े लोग बचपन से ही कई तरह के वायरस का सामना करते हैं. इसलिए ऐसी संभावना है कि उनकी  रोग प्रतिरोधक क्षमता अमेरिका और यूरोपिय लोगों से अधिक है और इसीलिए उनको वेंटीलेटर की आवश्यकता भी नहीं पड़ रही है.हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि यह शोध का विषय है इसलिए अभी किसी निष्कर्ष को बताना आसान नहीं है.

उल्लेखनीय है कि तराई एरिया होने के कारण बिहार में मलेरिया का काफी प्रभाव है.यहां हर साल भारी तादात में लोगों में मलेरिया की शिकायत होती है.ऐसे में जानकार यह भी मानते हैं कि मलेरिया का सामना करते-करते बिहार के लोगों की वायरस प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हो गई है. यहां यह भी गौर करने वाली बात है कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज में मलेरिया की दवाई कारगर साबित हो रही है. अमेरिका ने भी भारत से मलेरिया की दवाई डिमांड की है.

 

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बिहार से जो खबर आ रही है उसने ये बात तय कर दी है कि अगर  कोरोना से बचना है तो अपने इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करना होगा. इस वक़्त कोरोना वायरस ने दुनियाभर में आतंक मचा रखा है. लेकिन यह भी सच है कि कोरोना आखिरी वायरस नहीं है, आगे भी कई जानलेवा वायरस आएंगे. जरूरी है कि आप अपनी इम्यूनिटी बढ़ाएं और खुद को अंदर से मजबूत बनाएं ताकि आप आसानी से बीमार न पड़ें.

 

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