उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को छोड़ दिया जाए तो बहुत कम ऐसे मंत्री है जो कोरोना संकट के समय जनता के बीच दिख रहे हो.कुछ लोगो ने सांसद और विधायक निधि से मदद करने की घोषणा की पर अब सरकार के नए फैसले के बाद वह मुद्दा दर किनार हो गया है. कल तक जो नेता मंत्री दिन भर तमाम समारोह में दिखते थे अब नही दिखते है. राजनीतिक सूत्रों का दावा है कि कनिका की वीवीआईपी पार्टी में कोरोना के डर को देखने के बाद इन सभी मंत्रियों ने खुद को घरो में कैद कर लिया. इसके बाद अपवाद स्वरूप कुछ लोग जनता के बीच कोरोना के संकट में भी पूरी तरह से सक्रिय है.
हेल्पलाइन और रसोई से मदद कर रहे कानून मंत्री :
इसके विपरीत उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने कोरोना से निपटने और जनता को राहत देने के लिए बहुत ही सुनियोजित तरीके से काम कर रहे है. कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपने सरकारी आवास पर हेल्पलाइन खोली है. जिसको ज्यादातर वो खुद सुनते है. हेल्पलाइन पर आने वाली कॉल को रिकॉर्ड करके उनकी जरूरत के अनुसार से मदद की जाती है. ब्रजेश पाठक ने सड़क पर आनेजाने वॉले ऐसे लोगो के लिए रसोई का भी प्रबंध किया है जिनके पास खाने के लिए कुछ नही है. ब्रजेश पाठक कहते है कि हेल्पलाइन पर ज्यादातर कॉल लखनऊ से ही आ रही है. जंहा जरूरत के हिसाब से मदद की जाती है. लखनऊ के बाहर से आने वाली कॉल के लिए वँहा के लोगो से सम्पर्क कर मदद के लिए कहा जाता है.
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निधि और वेतन में कटौती
केंद्र सरकार ने सभी सांसदों की सांसद निधि को 2 साल के लिए खत्म करके उसके पैसे का उपयोग ‘कोविड 19” से निपटने में खर्च करेगी. केंद्र सरकार ने यह भी योजना बनाई है कि सांसदों के वेतन से 30 प्रतिशत की कटौती की जाएगी. अब यही कानून उत्तर प्रदेश सरकार भी बनाने जा रही है. वो भी इस पैसे को कोविड 19 से निपटने में खर्च करना चाहती है.असल मे कॅरोना संकट के शुरू होते ही कई नेताओ ने अपनी सांसद और विधायक निधि से लाखों करोड़ों का बजट कोरोना से लड़ने के लिए देने की घोषणा करने लगे थे.
नेताओ के इस कदम की आलोचना जनता के बीच शुरू हो गई. जनता का मानना था कि यह पैसा सरकार विधायक और संसद को उनके क्षेत्रों में विकास काम को पूरा करने के लिए दिया जाता है. ऐसे में कोरोना से दान में केवल सरकार के एक खाते से दूसरे खाते में पैसे केवल ट्रांसफर हो होने थे. विधायक और सांसद अगर दान देना चाहते है तो अपने वेतन से दान दे.
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केंद सरकार ने अब इस मामले में कदम आगे बढ़ा कर निधि को 2 साल के लिए रोकने औऱ वेतन से 30 प्रतिशत की कटौती का नियम ही बना दिया है. उत्तर प्रदेश के बाद बाकी प्रदेशो में भी यही शुरुआत होगें. अब सरकार ने खुद योजना बना कर सांसदों और विधायको से पैसा लेना शुरू कर दिया है.