लॉक डाउन के कारण सब घर में कैद हो कर बैठे हैं. ऑफिस बंद, स्कूल कॉलेज, जरुरत की चीजों की दुकानों के आलावा केवल जीवन सुचारु रूप से चलता रहे, वे सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. देश के नागरिक होने के नाते हमारा भी कर्तव्य बनता है कि सरकार के इस कदम में उस का साथ दें लेकिन घर में बैठे छोटे बच्चों का क्या करें.
एक तरफ उन की उन की पढाई का हरजा हो रहा है दूसरी तरफ खाली बैठेबैठे उन के दिमाग में नईनई शरारतें सूझती हैं. मातापिता परेशान हैं. बच्चे हैं, अब उन से बड़ों की तरह उपेक्षा भी नहीं की जा सकती है कि समझदारी के साथ घर में बैठ कर बड़ों का सा आचार व्यवहार करें.
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लेकिन इस का हल मातापिता ही निकलना होगा. बच्चों की दिनचर्या को ट्रैक पर लाना मातापिता का काम है. पढ़ाई का जो वक्त बरबाद हो गया है आगे नहीं होने देना है.
क्या करें
इस में दो राय नहीं कि मातापिता को अब आजकल इस बात की टेंशन नहीं कि बच्चें को स्कूल भेजने के लिए सुबह जल्दीजल्दी उन्हें नींद से जगाना है, रेडी करना है, टाइम से स्कूल भेजना ह, वो अफरातफरी नहीं, लेकिन फिर भी बच्चों की स्कूली दिनचर्या को बरकरार रखनी है
बनाएं टाइमटेबल: बच्चों का जैसे स्कूल में टाइमटेबल था. घर में उन का वैसा ही एक टाइम टेबल बनाएं. स्कूल में जैसे 30-40 मिनट का एक पीरियड होता है, वैसे ही टाइम डूरेशन के हिसाब से उन्हें पढ़ने के लिए बिठाएं.
* दिनचर्या में आए फर्क : बच्चे स्कूल के लिए सुबह 6 बजे उठते थे, तो अब बेशक उन्हें 6 बजे नहीं, पर 7 बजे तक नींद से जगा दें. जैसे पहले फ्रैश होते थे, ब्रश करते थे. नहाधो कर स्कूल के लिए तैयार होते थेर. ठीक वैसे ही घर पर रहे कर करें. अब फर्क होगा कि वे स्कूल ड्रेस में नहीं होंगे. रेडी हो कर वे सीधे अपने स्टडी रूम में जाएंगे.
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* स्कूल सा वातावरण : स्कूल में जैसे सबजक्ट वाइज पीरियड होते हैं वैसे ही बच्चे पढ़ाई करें. जो टाइमटेबल आप ने बच्चों के लिए बनाया है उसी के अनुसार पढ़ाना शुरू करें. यहांमातापिता की भूमिका टीचर की रहेगी. जैसे फस्ट पीरियड हिंदी का है तो बुक के चैप्टर के कठिन शब्दों की डिक्टेशन दें. जो वर्ड गलत हो उसे 10-10 टाइम्स लिखने के लिए बोलिये. ऐसा ही इंगलिश सब्जेक्ट के साथ कर सकते हैं. बाकी सब्जेक्ट भी टेक्सटबुक के अनुसार पढ़ा सकते हैं.
टाइम सलौट बिलकुल स्कूल के जैसा टाइट रखें. मातापिता बच्चों को समझाएं कि उन्हें अपना टाइम बिलकुल वेस्ट नहीं करना है. बताएं कि लौकडाउन के बाद स्कूल में पढ़ाई बहुत स्पीडली कराई जाएगी इसलिए उन्हें पहले से तैयार रहना है.
*पढ़ा हुआ रीशूट करें : बच्चे का रिजल्ट आ गया है, वह पास भी हो गया है लेकिन अभी भी हो सकता है बच्चा अपनी मैथ्स की बुक के कई सवाल अभी भी हल नहीं कर सकता हो. बच्चे को उन्हें रीशूट करने को कहें. इस के अलावा बच्चानेक्स्ट क्लास की अपनी मैथ्स बुक के चैप्टर इंटरनेट में देख सकता है. कुछ चैप्टर इंटरनेट की मदद से सौल्व कर सकता है ताकि स्कूल जाने से पहले वह प्रैक्टिस कर ले.
*समय न हो बरबाद रू बच्चे की पढ़ाई का समय बिलकुल खराब न होने दें- इंग्लिश हिंदी सब्जेक्ट की ग्रामर उन्हें पढ़ा सकते हैं. मैथ्स के सवाल उन्हें हल करने के लिए दें, चाहे तो इंटरनेट की मदद लें या किसी और की. बाहर की टेंशन बच्चों पर न हों. आसपास के माहौल से उन्हें दूर रखें.
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* छुट्टियां न मान कर चलें : स्कूल बंद हैं, स्कूल नहीं जाना तो इस का मतलब यह नहीं कि बच्चे छुट्टियों के मूड में आ जाएं कि अभी तो पढ़ाई नहीं होनी.
टाइम बिलकुल वेस्ट नहीं करना है. बच्चों का धयान पूरी तरह से पढ़ाई की तरफ लगाए रखना है. उन्हें मोटिवेट करना है कि स्कूल बंद है तो घर पर ही पढ़ाई करनी है.
* प्ले टाइम : शाम के वक्त बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेलने जाते हैं लेकिन अब क्या करें. बाहर जाना मना है और दोस्त भी साथ नहीं. ऐसे में मातापिता ही बच्चों के दोस्त बन जाएं. उन के साथ घर में इनडोर गेम्स जैसे सांप सीढ़ी, लूडो, कैरम बोर्ड, शतरंज खेलें. दिमागी कसरत के लिएफनी ट्रिकी गेम्स खेलें जैसे तुम मेरे भाई हो, लेकिन मैं तुम्हारा भाई नहीं. हू एम आई?
उत्तर योर सिस्टर
कहां ऐसी रोड मिलेगी जिस पर व्हीकल्स न हो, ऐसा जंगल जहां पेड़ न हो और ऐसा शहर जहां घर न हो
उत्तर – ऑन ए मैप खेलखेल में जनरल नौलिज के प्रश्न पूछ सकते हैं.
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यानी कि बच्चों के साथ आप को बच्चा भी बनना है, उन का टीचर भी, उन का दोस्त भी बनना है और मातापिता तो आप हैं ही.
इस तरह बच्चों को नईनई एक्टीविटी कराते रहें ताकि उन का मन पढ़ाई की तरफ से डाइवर्ट न हो.