एक तरफ कोरोना वायरस की चपेट में ज्यादा लोग न आएं, अपने घरों में ही रहें, बाहर कम से कम निकलें, इस को ले कर केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार भी अपने कठोर फैसले में लौकडाउन से ले कर कर्फ्यू लगा रही है, वहीं शाहीन बाग में एनआरसी व सीएए के विरोध में पुरुषों व औरतों के धरने पर बैठने से पुलिस की सिरदर्दी बढ़ती जा रही थी. आखिरकार पुलिस ने 24 तारीख की सुबह तकरीबन 7 बजे जबरन शाहीन बाग में धरना वाली जगह खाली करा ली.

15 दिसंबर, 2019 से ले कर 24 मार्च, 2020 तक यानी 100 दिनों तक चला यह प्रदर्शन आखिर इस तरह खत्म होगा, किसी ने सोचा नहीं था. यहां तक कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल भी दिया. पर धरना प्रदर्शन जारी रहा.

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पुलिस की दखल से आखिरकार दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली इस सड़क पर लगे टेंट को जबरन उखाड़ फेंका गया.

इधर तो कोरोना वायरस के चलते दिल्ली समेत पूरा भारत लॉकडाउन है, कई राज्यों ने तो 31 मार्च तक के लिए कर्फ्यू लगा दिया है. इस दौरान मैट्रो पूरी तरह से बंद हैं, वहीं बसें, आटो टैक्सी, ट्रेनों तक के पहिए रुके हुए हैं. स्थिति ऐसी है कि जो जहां हैं वहीं रहे वाली है. बावजूद इस के महिलाएं धरना देने के लिए जुटने लगीं.

ऐसा देख पहले तो पुलिस ने बताया कि यहां पर धारा 144 लगी हुई है, धरना न दें और अपने घरों को जाएं.

पुलिस के समझाने पर भी प्रदर्शन करने वाले नहीं हटे तो वहां से उन्हें जबरिया हटाया और टेंट उखाड़ दिया गया. साथ ही, 10 से 12 प्रदर्शन करने वालों को हिरासत में लिया गया.

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कोरोना वायरस के दिनोंदिन बढ़ते प्रकोप के कारण लोगों से बारबार यह अपील की जा रही थी कि लोग घर पर ही रहें. भीड़ न जुटे, 4 से ज्यादा एक जगह इकट्ठा न हो, पर वहां 10 से ज्यादा लोग थे.

कानून को ठेंगा दिखाते हुए धरना चल रहा था. सुबहसवेरे 7 बजे यहां कार्यवाही की शुरुआत हुई. जो नहीं माने, उन्हें हिरासत में लिया गया.

फिलहाल तो पुलिस ने धरने वाली जगह खाली करा ली है. वहां से टेंट पूरी तरह हटा दिया गया है.

कोरोना महामारी से बचने के लिए दिल्ली में सख्ती से धारा 144 लागू है. एक पुलिस वाले ने बताया कि सुबह भी काफी महिलाएं धरने पर बैठी हुईं थी. हम ने उन से कहा कि धारा 144 लगाई गई है, इसलिए धरने को खत्म कर दें. लेकिन वे नहीं माने. इस के बाद पुलिस को बलपूर्वक हटाना पड़ा.

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अपनी बात मनवाने का यह तरीका न तो सरकार के गले उतरा, न ही सुप्रीम कोर्ट के दखल का. न ही वहां के लोकल लोगों को यह तरीका पसंद आया. धरना प्रदर्शन करने वाले इस तरह कब तक अपनी रोटी सेंकते, जोरजबरदस्ती कब तक चलती. मर्दों से न संभला तो महिलाओं को आगे कर दिया, पर अंत में सरकार का जबरदस्ती हटाने वाला नजरिया बहुतों को रास नहीं आया. नतीजा ढाक के तीन पात वाला रहा.

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