एक तरफ योगी सरकार दिहाड़ी मजदूरों को पैसा देने की बात कर रही दूसरी तरफ बैंक कह रहे है कि करोना वायरस से बचने के नकद नोट को जगह पर इंटरनेट बैंकिंग का प्रयोग करे.दिहाड़ी मजदूर ही नही आर्थिक संकट की तरफ एक बड़ी आबादी बढ़ रही है.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कॅरोना संकट के समय दिहाड़ी मजदूरों को आर्थिक सरकारी सहायता देने के लिए 35 लाख लोगों के बैंक खातों में एक- एक हजार रुपये भेजने का फैसला किया है.
देंखने में यह योजना बहुत वाहवाही लूटने वाली है. हर तरफ योगी सरकार की तारीफ हो रही है.अगर हकीकत देखेगे तो यह फैसला केवल वाहवाही लूटने वाला ही है.
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सबसे प्रमुख बात की असल मे जिन दिहाड़ी मजदूरों को यह सहायता दी गई उनके नाम रोजगार विभाग में लिस्ट ही नही है. रोजगार विभाग की लिस्ट में वो नाम लिखे है जिनको 2005 में मुलायम सरकार के समय 5 सौ रुपये का बेरोजगारी भत्ता दिया गया था.इसके बाद 2012 में अखिलेश सरकार के समय भी बड़ी तादाद में लोगो ने बेरोजगारी भत्ता लेने के लिए रोजगार कार्यालय में लंबी लंबी लाइन लगा कर अपने नाम लिखाये थे.
2012 के बाद सरकार या फिर खुद लोगो ने अपने नाम रोजगार कार्यालय में नही लिखाये क्योकि अखिलेश सरकार और बाद में योगी सरकार ने किसी को कोई बेरोजगार भत्ता नही दिया.
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2012 से 2020 के 8 सालों के दौरान बेरोजगार युवाओं की संख्या बढ़ी है. इन बेरोजगार युवाओं और दिहाड़ी मजदूरों में बहुत अंतर है.ऐसे में दिहाड़ी मजदूरों की जगह रोजगार कार्यालय में दर्ज लोगो को ही यह सहायता मिल पाएगी.
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