नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन को नियंत्रण करने के लिये प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू कर दिया. 19 दिसम्बर से 23 दिसम्बर तक मोबाइल नेट बंद कर दिये. नोटबंदी के दौरान केन्द्र सरकार ने दावा किया था कि नोटबंदी से तीन प्रमुख लाभ है इससे आतंकवाद खत्म होगा, देश की आर्थिक हालत मजबूत होगी और देश में भ्रष्टाचार खत्म होगा. नोटबंदी के जरिये कैशलेस इकोनौमी को बढ़ावा भी दिया गया. नेटबंदी के दौरान यही कैशलेश इकोनौमी लोगों के लिये परेशानी का सबब बन गया है.

मल्टीनेशनल कपंनी में काम करने वाले अनिल कुमार गुप्ता को शहर से बाहर जाना था. कैशलेस इकोनौमी पर यकीन करने वाले अनिल कुमार पेट्रोल पंप पर अपनी कार में दो हजार रूपये का पेट्रोल लेने गये. पेट्रोल का पेमेंट कार्ड से करना था. मोबाइल नेट बंद होने से कार्ड से पेमेंट नहीं हो पाया. अनिल के पा नकद केवल पांच सौ रूपये थे. ऐेसे में पेमेंट होना संभव नहीं था. पास लगा बैंक का एटीएम भी नहीं चल रहा था. अनिल को अपने घर फोन करके नकद पैसे मंगाने पड़े. ऐेसे में आधे घंटे से अधिक का समय लग गया ओर अनिल की फलाइट छूट गई. सरकार ने 19 दिसम्बर की रात से मोबाइल नेट बंद कर दिया था तो अनिल को सुबह इसकी कोई जानकारी ही नहीं थी.

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नेटबंदी से ऐसी तमाम परेशानियों से लोगों को रूबरू होना पड़ा. आईआईएस लखनऊ में पुराने छात्रो का एक कार्यक्रम था. बाहर से कई लोग इसमें हिस्सा लेने आये थे. एयर पोर्ट से बाहर खड़े होकर जब वह ओला और उबर जैसी गाडियां बुक कर रहे थे तो नेट बंद होने से यह सुविधा उनको नहीं मिली और उनको परेशान होना पड़ा. ऐसे ही मोबाइल से बुक किये जाने वाले ई-टिकट नहीं बुक हो पा रहे थे. शहर में अनजान लोगों को लोकेशन ट्रेस करने में दिक्कत आने लगी. खाना मांगने के लिये फूड एप बंद हो गये. इस तरह से पूरे कारोबार को करोड़ों का चूना लग गया. होटल, औनलाइन शौपिंग, ट्रैवल जैसे तमाम बिजनेस में 50 फीसदी की कमी आई.

असल में नोटबंदी के बाद लोगों ने कैशलेस इकोनौमी से जुड़ने का काम किया. नेटबंदी के दौरान ऐसे लोग बहुत परेशान हुये. सोशल मीडिया के बंद होने से झगड़ों पर कितना प्रभाव पड़ा यह तो सही जानकारी नहीं मिल पा रही है. नेट बंद होने के बाद भी पूरे प्रदेश में हालात कठिन बने गये. उत्तर प्रदेश में लोगों के मरने की खबरे आती रही. नेटबंदी से झगड़े पर प्रभाव पड़ा या नहीं पर कारोबार और लोगों की सुविधाओं पर बहुत प्रभाव पड़ा है.

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