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किंग्स इलेवन पंजाब में आते ही पंजाबी अंदाज में दिखे क्रिस गेल

इस साल आईपीएल में वेस्टइंडीज के विस्फोटक ओपनर क्रिस गेल किंग्स इलेवन पंजाब की तरफ से खेलते नजर आएंगे. नीलामी के दूसरे दिन अंतिम समय में किंग्स इलेवन पंजाब ने क्रिस गेल को 2 करोड़ रूपए में अपनी टीम में शामिल किया.

किंग्स इलेवन पंजाब की टीम ने अपने अधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर क्रिस गेल की एक तस्वीर शेयर की है. इस तस्वीर में क्रिस गेल पंजाबी अंदाज में नजर आ रहे हैं. तस्वीर में क्रिस गेल पगड़ी में काफी जच रहे हैं.

नीलामी के दौरान तो ऐसा लग रहा था कि इस साल आईपीएल क्रिस गेल के बगैर ही खेला जाएगा. पहले दो दिन क्रिस गेल के अनसोल्ड जाने के बाद उनके फैंस भी निराश हो गए थे, लेकिन अंतिम समय में उन्हें बेस प्राइज पर पंजाब द्वारा खरीद लिया गया. पंजाब की टीम ने गेल की तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा, ”पंजाब आने के लिए क्रिस गेल तो बहुत पहले से ही तैयार बैठे हैं”.

गेल की इस तस्वीर पर फैंस ने भी जमकर कमेंट किए. कुछ फैंस ने गेल को नया पंजाबी नाम दिया तो वहीं कुछ ने उनसे पंजाब की तरफ से भी धमाकेदार बल्लेबाजी करने की गुजारिश की. क्रिस गेल आईपीएल ही नहीं टी-20 क्रिकेट के भी सबसे बड़े एंटरटेनर माने जाते हैं. वेस्टइंडीज के साथ-साथ पूरी दुनिया में क्रिस गेल की फैन फौलोइंग मौजूद है. कुछ क्रिकेट फैंस तो बस उनकी विस्फोटक बल्लेबाजी देखने के लिए स्टेडियम आते हैं.

क्रिस गेल अगर इस साल अनसोल्ड रह जाते तो जरूर आईपीएल का रोमांच पहले के मुकाबले में फीका पड़ जाता. क्रिकेट फैंस भी उन्हें आईपीएल में खेलते हुए देखना चाहते हैं. क्रिस गेल ने आरसीबी की तरफ से खेलते हुए कई दमदार पारियां खेली हैं. ऐसे में पंजाब के फैंस उम्मीद कर रहे होंगे कि गेल इस साल पंजाब की तरफ से भी कुछ यादगार पारी खेलें.

व्हाट्सऐप पर भूलकर भी ना खोलें ऐसे लिंक वाले मैसेज

अगर आप व्हाट्सऐप यूजर हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है. सोशल मीडिया के इस प्लेटफौर्म को भी ठगों ने अब निशाने पर लिया है. फर्जी मैसेज भेजकर ठगी का धंधा चल रहा है. व्हाट्सऐप पर फर्जी लिंक भेजे जा रहे हैं, जिन्हें डाउनलोड करते ही डिवाइस में वायरस की घुसपैठ होती है और डेटा औनलाइन ठगी का धंधा करने वाले गिरोह को आपका डाटा हासिल हो जाता है.

व्हाट्सऐप ने भी इस बाबत यूजर्स को आगाह किया है. तमाम शिकायतें मिलने के बाद व्हाट्सऐप ने यूजर्स को आगाह किया है. इस पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक व्हाट्सऐप पीड़ितों को लिंक से संदेश भेजा जाता है ‘Your subscription has expired. To verify your account and purchase a lifetime subscription for just 0.99 GBP simply tap on this link ।.

यूजर्स से कहा जाता है कि उनका व्हाट्सऐप सब्सक्रिप्शन समाप्त हो गया है, लाइफटाइम के लिए अमुक धनराशि अदा कीजिए. नहीं तो व्हाट्सऐप की सर्विस बंद हो जाएगी. यह धनराशि देखने में बहुत कम होती है जिससे तमाम लोग क्रेडिट या डेबिट कार्ड से भुगतान करने लगते हैं. लिंक ओपेन करते ही गिरोह तक डिवाइस का डेटा पहुंच जाता है. गिरोह का मुख्य निशाना लिंक के जरिए यूजर्स के बैंक एकाउंट तक पहुंचने का होता है. जैसे ही आप लिंक ओपेन करते हैं तो आपके मोबाइल की सूचनाएं स्कैमर्स स्कैन कर लेते हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक यदि आप ऐसे लिंक देखें तो उसे खोलने की जगह तत्काल डिलीट कर दें. दरअसल शुरुआत में व्हाट्सऐप ने सेवा के लिए चार्ज की व्यवस्था की थी मगर बाद में इसे नि:शुक्ल कर दिया. इस नाते जान लें कि ऐसे कोई मैसेज कंपनी की ओर से नहीं भेजे जाते. बता दें कि इससे पहले एंड्रायड यूजर्स के लिए व्हाट्सऐप गोल्ड नामक फेक अपग्रेड वर्जन डाउनलोड करने का झांसा दिया गया था. इस ऐप को डाउनलोड करने पर डिवाइस मैलवेयर वायरस से ग्रसित हो जाती थी.

‘ठग्स औफ हिंदुस्तान’ में कटरीना करेंगी पहाड़ी डांस

कासगंज के ठग लौट रहे हैं, अपनी उन्हीं शातिराना चालों के साथ, जिनसे उन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था. आने वाली फिल्म ‘‘ठग्स औफ हिंदुस्तान’’ के जरिए कासगंज देश दुनिया पर छा जाने वाला है, क्योंकि इसमें कासगंज के ठगों के चरित्र से प्रेरणा लेकर फिल्म के व्यक्तित्वों को गढ़ा गया है.

‘‘ठग्स औफ हिंदुस्तान’’ जिस उपन्यास कन्फेशन औफ ए ठग पर बनाई जा रही है, उसके लेखक फिलिप मेडोज टेलर कासगंज आए थे. उनका उपन्यास बताता है कि इन ठगों ने ब्रिटिश हुकूमत की नाक में दम कर रखा था. इस फिल्म में पहली बार सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और आमिर खान एक साथ काम कर रहे हैं.

फिलिप मेडोज टेलर की कासगंज यात्रा के बारे में जो जानकारी मिलती है , वो भी कम रोचक नहीं है. फिलिप बैलगाड़ी से यहां आए थे और उन्होंने यहां ब्रिटिश शासन की बनाई छावनी का भ्रमण किया था. छावनी गांव ब्रिटिश साम्राज्य की गतिविधियों का बड़ा केंद्र था. यहां बाकायदा कमांडर के रूप कर्नल विलियम लिनिअस गार्डनर तैनात थे. इनके क्षेत्र में फर्रुखाबाद, एटा, बरेली और इटावा का भी हिस्सा आता था. ब्रिटिश हुकूमत ने कर्नल गार्डनर को भी ठगों से निपटने की जिम्मेदारी दी थी. कर्नल गार्डनर के वंशज आज भी कासगंज में ही रहते हैं.

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यहां के इतिहासकार बताते हैं कि कासगंज समेत आसपास के इलाके में भी ठगों की गतिविधियां चलती थीं और ये ठग काली देवी की पूजा करते थे. कासगंज के किला शंकरगढ़  के राजा राव मुकुल मान सिंह कहते हैं कि कासगंज इलाके में बड़े ठग हुआ करते थे और उनका सामना अंग्रेजों से होता रहता था. ठग अंग्रेजों को भी अपना निशाना बनाते थे और मौका लगते ही लूट लेते थे.

इस फिल्म में अमिताभ और आमिर के साथ कटरीना कैफ मुख्य किरदार में हैं, बात अगर कटरीना की हो तो उनका शानदार अभिनय शायद ही किसी को पसंद न आता हो. कटरीना कैफ ने अपना हिंदी उच्चारण भले ही पूरी तरह से न सुधारा हो, मगर बौलीवुड में उनकी गिनती एक उत्कृष्ट अदाकारा और नृत्यांगना के रूप में होने लगी है. यही वजह है कि ‘यशराज फिल्मस’ अब अपनी फिल्म ‘‘ठग्स औफ हिंदुस्तान’’ में कटरीना कैफ पर एक खास पहाड़ी गाना फिल्माने जा रहा है.

सूत्रों की माने तो यह नृत्य उत्तराखंड के एक फोकगीत व नृत्य से प्रेरित है. इस पहाड़ी गीत पर पहाड़ी नृत्य करते हुए कटरीना कैफ नजर आने वाली हैं, जबकि इस गाने का निर्देशन मशहूर नृत्य निर्देशक प्रभुदेवा करेंगे. पहाड़ी नृत्यांगना के रूप में बेहतर परफार्मेंस देने के लिए कटरीना कैफ पिछले एक सप्ताह से हर दिन पांच घंटे रिहर्सल कर रही हैं.

‘गुस्ताख इश्क फेक फेस’ में पति व पत्नी के बीच ‘वो’ का तड़का

विवाहित पुरुष और उसके जीवन में दूसरी औरत, इस विषय पर बौलीवुड में सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं, मगर ‘जाएं कहां’ , और ‘तुम देना साथ मेरा’ जैसे धारावाहिकों का निर्देशन करने के बाद स्वतंत्र रूप से बतौर निर्माता निर्देशक फिल्म ‘‘गुस्ताख इश्क फेक फेस’’ का निर्माण कर रहे राज सहगल का दावा है कि उनकी फिल्म अपने आप में अनूठी है, अब तक इस तरह की कोई फिल्म नहीं बनी है.

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राज सहगल के अनुसार फिल्म ‘‘गुस्ताख इश्क फेक फेस’’ की कहानी एक ऐसे अमीर पुरुष के ईर्द गिर्द घूमती है जो कि अपनी पत्नी के पैसे पर अय्याशी कर रहा है, पर जब एक अन्य लड़की इस पुरुष की जिंदगी में आती है,तब कहानी एकदम अलग रूप ले लेती है.

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राज सहगल इस फिल्म को मुंबई से दूर खूबसूरत पेड़ पैधों के बीच तत्वा लाइफ कैंपस में फिल्मा रहे हैं.

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फिल्म में नीरज भारद्वाज, प्रिया सचान, दिव्यरत्न सिंह, तोरल शाह, अंकुर शर्मा, प्रीति शर्मा, सौमेंद्र, अंगद शेट्टी की अहम भूमिकाएं हैं. फिल्म के कैमरामैन अनिल ढांडा और संगीतकार विजय भावे हैं.

श्रेयसी सिंह : शूटिंग में लहराया परचम

बिहार की श्रेयसी सिंह ने 61वीं नैशनल शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीत कर एिक बार फिर अपनी प्रतिभा का परचम लहरा दिया है. 21 नवंबर, 2017 को दिल्ली में महिलाओं के डबल ट्रैप इवैंट में श्रेयसी सिंह ने मध्य प्रदेश की वर्षा बर्मन को 92-87 पौइंट से हराया.

बिहार के जमुई जिले के छोटे से कसबे गिद्धौर से निकल कर नैशनल और इंटरनैशनल शूटिंग इवैंट में जलवा दिखाने वाली 25 साला श्रेयसी सिंह ने साबित कर दिया है कि अगर लगन और मेहनत हो तो हर मंजिल को फतेह किया जा सकता है.

‘बिहार की बेटी’ के नाम से मशहूर हो चुकी श्रेयसी सिंह साल 2014 में ग्लास्गो में हुए कौमनवैल्थ गैम्स में वुमन डबल ट्रैप इवैंट में सिल्वर मैडल जीत कर दमखम दिखा चुकी हैं. वे कौमनवैल्थ गेम्स में मैडल जीतने वाली बिहार की अकेली खिलाड़ी हैं.

श्रेयसी सिंह ने वुमन डबल ट्रैप इवैंट के फाइनल मुकाबले में सिल्वर मैडल पर कब्जा जमाया था. इंगलैंड की चार्टेल केरवुड ने 94 अंक ले कर गोल्ड मैडल जीता था.

श्रेयसी सिंह का कहना है कि कौमनवैल्थ गेम्स से कुछ समय पहले उन्होंने इटली में ट्रेनिंग ली थी, जिस में निशाना लगाने की जम कर प्रैक्टिस की और खुद पर भरोसा भी बढ़ाया.

श्रेयसी सिंह आगे कहती हैं कि उन की मेहनत और लगन के साथ उन के कोच और मैंटर परमजीत सिंह सोढ़ी ने उन के खेल को निखारने और संवारने में कड़ी मेहनत की है.

बिहार के बांका की सांसद रह चुकी पुतुल देवी श्रेयसी सिंह की मां हैं और केंद्रीय मंत्री रह चुके दिग्विजय सिंह उन के पिता. निशानेबाजी तो मानो श्रेयसी के खून में रचीबसी है, क्योंकि उन के पिता भारतीय निशानेबाजी संघ में अध्यक्ष थे और दादा सुरेंद्र सिंह राष्ट्रीय राइफल संघ के अध्यक्ष रह चुके थे.

घर में खेलखिलाड़ी दोनों का माहौल होने का श्रेयसी सिंह को खूब फायदा मिला और उन्होंने बचपन से ही पढ़ाई के साथ निशानेबाजी में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया था.

श्रेयसी सिंह बताती हैं कि एथेंस ओलिंपिक में सिल्वर मैडल जीतने वाले राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से प्रभावित हो कर उन्होंने क्ले इवैंट (ट्रैप ऐंड डबल ट्रैप) को चुना था.

साल 2010 में दिल्ली में हुए कौमनवैल्थ गेम्स में भी श्रेयसी सिंह ने हिस्सा लिया था और शूटिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मैडल जीता था. इस के अलावा वे सिंगल ट्रैप में छठे और डबल्स ट्रैप इवैंट में 5वें नंबर पर रही थीं.

श्रेयसी सिंह पिछले दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि साल 2009 में जब निशानेबाजी स्कौलरशिप के लिए उन का चयन हुआ था तो लोगों ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपने पिता के रसूख का बेजा इस्तेमाल किया. तब से अब तक दर्जनों इवैंट में गोल्ड, सिल्वर और ब्रौंज मैडल जीत कर श्रेयसी सिंह ने तमाम आरोपों को गलत साबित कर दिया है.

शुरुआती पढ़ाई बिहार से करने के बाद श्रेयसी सिंह ने दिल्ली के हंसराज कालेज से ग्रेजुएशन की. उन्होंने 12वीं क्लास तक की पढ़ाई आरके पुरम के दिल्ली पब्लिक स्कूल से की थी.

पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 2007 में दिल्ली की तुगलकाबाद शूटिंग रेंज से निशानेबाजी की ट्रेनिंग लेने की शुरुआत करने के बाद श्रेयसी सिंह ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और लगातार प्रैक्टिस कर खुद को परफैक्ट शूटर बना लिया.

साल 2008 में हुई नैशनल शूटिंग चैंपियनशिप के जूनियर सिंगल ट्रैप इवैंट में गोल्ड मैडल जीत कर उन्होंने अपने इरादे जता दिए थे. उस के बाद तो उन पर मैडल की बरसात ही होने लगी थी.

साल 2009 में फिनलैंड में हुए सिंगल ट्रैप इवैंट में उन्होंने गोल्ड मैडल पर कब्जा जमाया और साल 2012 व 2013 के नैशनल गेम्स में गोल्ड मैडल अपनी झोली में कर लिया था.

अपनी कामयाबी से खुश श्रेयसी सिंह कहती हैं कि आज भी भारतीय समाज में लड़कियों को खेलनेकूदने के लिए ज्यादा बढ़ावा नहीं दिया जाता है. लड़कियों को सही ट्रेनिंग और मौका दिया जाए तो वे किसी भी मामले में लड़कों से कमतर नहीं हैं.

फिलहाल श्रेयसी सिंह अपने गांव गिद्धौर में राइफल रेंज की शुरुआत करने के सपने को जमीन पर उतारने की कोशिशों में लगी हुई हैं.

अब LED बल्ब से लोगों को मिलेगा हाई-स्पीड इंटरनेट

अगर आपको अपने घर में लगे एलईडी बल्ब से वाईफाई या ब्रौडबैंड बिना हाईस्पीड डेटा ट्रांसफर की फैसिलिटी के मिले, तो कैसा रहेगा. जी हां, आने वाले समय में वाई-फाई या ब्रौडबैंड के हाई-स्पीड इंटरनेट डेटा बाजार में धूम मचाने वाले हैं, क्योंकि अब आपको एलईडी बल्ब से इंटरनेट की सुविधा मिल सकेगी.

बता दें कि एक प्रोजेक्ट के तहत इन्फर्मेशन ऐंड टेक्नोलौजी मिनिस्ट्री इस तकनीक की टेस्टिंग कर रही है. इस नई तकनीक को लाई-फाई तकनीक का नाम दिया गया है. इससे 10 GB प्रति सेकंड की स्पीड से डेटा ट्रांसफर किया जा सकता है. इस टेस्टिंग का मकसद उन बीहड़ इलाकों तक इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाना है जहां फाइबर केबल तो नहीं पहुंचा है लेकिन बिजली जरूर है. कहा जा रहा है कि इस तकनीक के जरिए एक किलोमीटर तक के इलाके में 10 GB प्रति सेकंड की स्पीड से डेटा ट्रांसफर किया जा सकता है. अब इस तकनीक के जरिए देश के लगभग हर हिस्से में इंटरनेट पहुंचाया जा सकता है.

देश के भविष्य में आएगा काम

इस नई तकनीक के बारे में पायलट प्रोजेक्ट चलाने वाली औटोनामस साइंटिफिक बौडी एजुकेशन एंड रिसर्च नेटवर्क (ERNET) की डायरेक्टर जनरल नीना पाहुजा ने कहा कि आने वाले समय में देश के भविष्य में स्मार्ट सिटीज में लाई-फाई तकनीक काफी काम की होगी, यहां इंटरनेट की जरुरत होगी, जिसे इस तकनीक के जरिए बेहद ही आसानी के साथ पूरा किया जा सकेगा.

इस टेक्नोलौजी का इस्तेमाल अस्पतालों को कनेक्ट करने में किया जा सकता है जहां कुछ इक्विपमेंट्स के चलते इंटरनेट सिग्नल हमेशा टूटता रहता है. इसके जरिए अंडरवाटर कनेक्टिविटी भी मुहैया करार्इ जा सकती है.

वनइंडिया हिंदी आईआईटी मद्रास के साथ काम चल रहा है

इस प्रोजेक्ट पर अभी आईआईटी मद्रास के साथ काम चल रहा है, इसमें एलईडी बल्ब बनाने वाली कंपनी फिलिप्स भी अपना सहयोग दे रही है. इंडियन इंस्टिट्यूट औफ साइंस अपने इस प्रोजक्ट का इस्तेमाल बेंगलुरु में करना चाहता है. फिलिप्स लाइटिंग इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा इस पूरे मामले पर फिलिप्स लाइटिंग इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर सुमित जोशी का कहना है, ‘हम नई तकनीकों को लाए जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस क्षेत्र में नई तकनीकों पर काम करते रहेंगे.’

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गूगल ने एलटीई या 4जी टेक्नोलौजी के जरिए 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर तैरते बैलून के जरिए डेटा ट्रांसमिशन की भी टेस्टिंग की है. वाइटस्पेस में लाइसेंस्ड मोबाइल स्पेक्ट्रम की जरूरत होती है जिसका टेलीकौम लौबी विरोध कर रही है. गूगल के लून प्रोजेक्ट को खास कामयाबी नहीं मिल पाई है.

अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी को मिली महिला अध्यक्ष

अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी में इस बार स्टूडैंट यूनियन की अध्यक्ष एक लड़की नबा नसीम चुनी गई है और यही नहीं वह जिस दिन चुनी गई उस दिन मोटरबाइक चलाती यूनियन के कार्यालय पहुंची. नबा नसीम ने लड़कियों के लिए खास प्रोग्राम बनाए हैं और उन्हें पुरानी सोच से निकालने का फैसला करा है.

भारत के मुसलिमों के लिए यह अच्छा संदेश है. भारत में मुसलिम समुदाय भारतीय जनता पार्टी के भगवा गैंग का निशाना बना रहता है. कभी वे मसजिद का मामला उठाते हैं, कभी ट्रिपल तलाक का, कभी लव जिहाद का, कभी ज्यादा बच्चों का, तो कभी हिजाब का. मुसलिम समुदाय आज के युग की जरूरतों और पुरानी दकियानूसी सोच के बीच उलझा रहता है.

नबा नसीम जैसी लड़कियां मुसलिम समाज को घिसेपिटे अंदाज से जीने से निकाल सकती हैं और उसे भारत की आजादी का पूरा फायदा उठाने का मौका दे सकती हैं. मुसलिम समाज को अब लंबी दाढ़ी वाले टोपीधारी नेता नहीं चाहिए जो पुरानी सोच पर नई कौम की जरूरतों को दबाने की कोशिश कर रहे हैं.

भारत के मुसलमानों को हिंदू खौफ से निकालना होगा, क्योंकि यह हिंदू खौफ पैदा करने वाले मुट्ठीभर पंडेनुमा लोग हैं जो मुसलमानों को ही नहीं, पिछड़ों, अछूतों, दलितों को भी दुश्मन मानते हैं. हाल तक हिंदू नेता पिछड़ोंदलितों के घर खाना तक नहीं खाते, हां उन से काम करवाने और विरोधियों को पिटवाने की जुगत बनाते रहते थे.

नबा नसीम जैसी नेताओं को साफ करना होगा कि वे धर्म के कट्टरपन से मुसलिम लड़कियों को निकालेंगी. अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी में यह आसान नहीं पर नेता तो वही है न जो आगे बढ़चढ़ कर काम करे. नबा नसीम को बुलेट की स्पीड पर लड़कियों को निकालना पड़ेगा क्योंकि उन के घरों में और माहौल में पिछले 40-50 सालों में बहुत थोड़ा सा फर्क आया है. मुसलिम नेता तो अपने लिए राजनीति करते रहे हैं और मुसलिम वोटों की खरीदफरोख्त कर पाने के लिए हर बदलाव के खिलाफ खड़े रहे हैं. आज के युवा होते मुसलमानों को नई हवा की आदत डालनी होगी और एक तरफ कट्टर हिंदू गैंगों से निबटना होगा तो साथ ही अपनी खुद की शरीअती सोच से भी आजादी पानी होगी.

भारत के मुसलिम युवाओं के पास आज बहुत मौके हैं. हिंदू जमात ने उन्हें अल्पसंख्यक बना रखा है वरना उन की इतनी गिनती है कि उन्हें किसी तरह की बैसाखी नहीं चाहिए और वे खुद की देखभाल आसानी से कर सकते हैं. नबा नसीम जैसे नेता हर यूनिवर्सिटी में पैदा होने चाहिए ताकि देश दोनों तरफ के कट्टरपंथियों को मुंहतोड़ जवाब दे सके.

बिहार में शराबबंदी के बाद नीतीश कुमार की जायज मांग

भारतीय जनता पार्टी से नाता जोड़ लेने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चमचमाहट कम हो गई है क्योंकि जिसे कहते हैं उन्होंने थूक कर चाटना वह उन्होंने किया है और उस पार्टी के तलवों में जा बैठे हैं जिसे रातदिन कट्टरवादी, जातिवादी और न जाने क्याक्या कहते रहे. गद्दी पर बैठे हैं तो फिर भी वे कई बार सही बातें भी कहते हैं. उन्होंने अब मांग की है कि बिहार की शराबबंदी की तरह देशभर में शराबबंदी की जाए.

बिहार में शराबबंदी के बाद अपराध भी कम हुए हैं और लोगों में बीमारी भी कम हुई है. सरकार को शराब कर से नुकसान हुआ है उस का कई गुना फायदा जनता को मिला है, खासतौर पर घरवालियों और बच्चों को.

शराब कोई खाना नहीं कि इस के बिना आदमी जी नहीं सकता पर एक बार इस की लत पड़ जाए तो वह किसी की जान भी ले सकता है कि 2 घूंट मिल जाए. शायद इसी आदत के लिए शराब जबरन पिलवाई गई थी ताकि इस पर रोकटोक लगा कर टैक्स भी वसूला जा सके और इस का लालच दे कर लोगों से ज्यादा काम करवाया जा सके. अपराध और शराब का नाता तो पुराना है. दुनियाभर की फौजों को शराब पिला कर लड़वाया गया है.

दुनियाभर के शराबखाने असल में अपराधियों के अड्डे हैं और सरकारें उन्हें पनपने देती हैं क्योंकि यहीं से अपराधियों को आसानी से पकड़ा जा सकता है. शराब के सहारे सरकारों ने अरबों रुपया हर साल लोगों की जेबों से निकलवाया है. शराब कंपनियों ने जम कर इश्तिहारों पर पैसा खर्च किया है ताकि सिनेमा, अखबारों, कहानियों में शराब का बखान करा जा सके. 1950 से 1980 तक की फिल्मों में तो खलनायक ही पीते थे पर फिर दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र आदि ने शराब को ऊंची जगह दी.

आज सरकारें भी अपनी हर पार्टी में शराब परोसती हैं कि यह तो पार्टी करने का ही मुख्य उद्देश्य है. ऐसे में शराबबंदी का नाम लेना ही बेकार है. नीतीश कुमार जो वैसे ही ढुलमुल नेता साबित हो चुके हैं अब इस बंदी की वकालत करते भी अच्छे नहीं लगते क्योंकि वे क्या सही कह रहे हैं, क्या गलत अब पता नहीं चलता. कल को उन्हें कोई शराब कंपनी 1000 करोड़ रुपए कुरसी बचाए रखने के लिए दे जाए तो शायद वे इस से मिलने वाले टैक्स की महिमा गाने लगें.

शराब को घरघर पहुंचाने का काम सरकारों ने ही किया है वरना जहरीली शराब के डर के कारण ही लोग शराब पीना बंद कर देते. यदि शराबबंदी करनी है तो शराब फैक्टरियां बंद करें. घरों के पिछवाड़े जो बनेगी वह घटिया होगी और उस को बेचने कोई नहीं जाएगा. लोग नशे में फिर भी डूबेंगे पर कम से कम सरकार के हाथ तो काले नहीं होंगे.

पेरैंटिंग के बारे में बता रही हैं फराह खान

लोग तो 1 बच्चा संभाल नहीं पाते आप 3 को कैसे संभालती हैं?

पुराने दिन याद न दिलाओ तो अच्छा ही है. मैं ने तीनों को संभालने के लिए रातें जागजाग कर बिताई हैं. जब बेटे को चुप कराती थी तो बेटी शुरू हो जाती थी. जब ये दोनों सो जाते थे तो दूसरी बेटी रोना शुरू कर देती थी.

इतनी व्यस्त रहने के बाद भी बच्चों को समय दे पाती हैं?

कोशिश करती हूं कि काम के साथसाथ उन्हें भी समय दे सकूं. जब तीनों छोटे थे तो मैं चुपचाप घर से निकल जाती थी, लेकिन अब जैसे ही मैं ड्रैसिंगटेबल के सामने खड़ी होती हूं तो तीनों एकसाथ पूछते हैं कि कहां जा रही हैं? कब आएंगी?

क्या ऐसा होता है कि एक रोता है तो उस का जुड़वां भी रोता है?

ऐसा फिल्मों में होता है. मेरे तीनों बच्चों के चेहरे और स्वभाव अलगअलग हैं. बेटा शांत स्वभाव का है तो छोटी बेटी बड़ी बातूनी है और बड़ी को सब से मतलब रहता है, वह मेरी क्लास लेती रहती है.

तीनों में छोटेबड़े का निर्धारण कैसे किया?

तीनों में 1-1 मिनट का अंतर है. जिस का जन्म सब से पहले हुआ वह बड़ा हो गया और जो सब से बाद में वह सब से छोटा. उन तीनों में भी छोटेबड़े को ले कर लड़ाई होती रहती है.

शिरीष से मिलने के बाद सब से बड़ी उपलब्धि?

शादी के पहले इतनी मोटी नहीं थी. अब ज्यादा हो गई हूं. मेरे बच्चे मेरी सब से बड़ी उपलब्धि हैं, क्योंकि ये बिना शादी के तो मिल नहीं सकते थे.

इतने सारे कामों के लिए ऐनर्जी कहां से लाती हैं?

मत पूछो. पहले तो खाने से लाती थी और अब आप लोगों के प्यार से. मैं खाने की बहुत शौकीन हूं. कुछ दिनों पहले तक तो मैं जब भी शूटिंग पर आती थी, तो मेरे साथ चलतीफिरती किचन जैसा खाने का टिफिन होता था. उस में इतना खाना होता था कि कई लोग मेरे साथ खाते थे. लेकिन आजकल मैं नौनग्लूटामेट मील ले रही हूं, क्योंकि बढ़ते वजन को रोकना जरूरी है.

बिंदास बोल

52 बसंत देख चुकी फराह खान हनी ईरानी की भतीजी और निर्देशक साजिद खान की बहन हैं. फिल्म ‘जो जीता वही सिकंदर’ से एक कोरियोग्राफर के रूप में अपना कैरियर शुरू करने वाली फराह खान अपने बिंदास अंदाज के लिए बौलीवुड में बहुत फेमस हैं.

सलामत रहे दोस्ताना हमारा

जब फराह ने फिल्म ‘मैं हूं ना’ बनाई थी तभी उन की शाहरुख के साथ दोस्ती हुई थी. इस के बाद बौलीवुड में दोनों की दोस्ती की मिसालें दी जाने लगीं. लेकिन संजय दत्त की पार्टी में शाहरुख द्वारा उन के पति शिरीष की पिटाई के बाद इस दोस्ती में दरार आ गई लेकिन अब फराह कहती हैं कि उन दोनों के बीच की गलतफहमियां दूर हो गई हैं और वे आज भी अच्छे दोस्त हैं.

न उम्र की सीमा हो

फराह और शिरीष की लव स्टोरी किसी फिल्म से कम नहीं है. फराह मुसलिम है और शिरीष हिंदू. दोनों की उम्र में भी काफी अंतर है. लेकिन प्यार उम्र और धर्म नहीं देखता. ये दोनों जब मिले थे तब इन्हें देख कर कोई नहीं कह सकता था कि ये कभी एकदूसरे की जिंदगी के पार्टनर बन जाएंगे. फिल्म ‘मै हूं ना’ के सैट पर दोनों को झगड़ते देख लोगों को तो यह भी विश्वास न था कि ये दोस्त भी बनेंगे. लेकिन शिरीष ने फराह को प्रपोज किया. उस समय फराह 32 साल की थीं और शिरीष 25 साल के. इस के बाद दोनों ने 2004 में शादी कर ली. 2008 में फराह को एकसाथ तीन बच्चे हुए.

कैरियर

5 बार सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का फिल्मफेयर पुरस्कार अपने नाम कर चुकीं फराह  की निर्देशक के तौर पर पहली फिल्म ‘मैं हूं ना’  बौक्स आफिस पर सुपरहिट रही. उन की दूसरी फिल्म ‘ओम शांति ओम’ ने अपनी रिलीज के दौरान सब से ज्यादा कमाई की और फिल्म देश के साथसाथ विदेशों में भी खूब सराही गई. कुछ फ्लौप फिल्मों के बाद फिल्म ‘हैप्पी न्यू ईयर’ बड़ी हिट साबित हुई जोकि एक लंबी स्टारकास्ट वाली फिल्म थी और एक बार फिर फिल्म के मुख्य अभिनेता शाहरुख खान ही थे. एमटीवी वीडियो म्यूजिक अवार्ड्स के लिए फराह ने कोलंबियन पौप स्टार शकीरा के गाने ‘हिप्स डोंट लाई’ के बौलीवुड वर्जन के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया. उन्होंने फिल्म ‘ब्लू’ के ‘चिगीविगी…’ गाने के लिए काइली मिनोग को भी कोरियोग्राफ किया.

इन घरेलू उपायों की मदद से डार्क सर्कल्स से छुटकारा पाएं ऐसे

आंखों के चारों ओर काले घेरे हो जाने पर आप की खूबसूरती कम होने लगती है और आप थकीथकी सी दिखने लगती हैं. भरपूर नींद न लेना, हारमोंस में बदलाव, तनाव, जंक फूड का ज्यादा सेवन आदि के कारण आंखों के चारों ओर काले घेरे होने लगते हैं.

यदि समय रहते इन्हें दूर करने का प्रयास न किया जाए तो ये परमानैंट हो जाते हैं. आइए, जानते हैं सर्कल्स की समस्या को दूर करने के कुछ उपाय:

खुद को रखें हाइड्रेटेड

शरीर से विषाक्त पदार्थों का निकलना बहुत जरूरी होता है और ऐसा तभी हो सकता है जब आप नियमित रूप से भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करेंगी. अत: रोज कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं.

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संतुलित आहार का सेवन करें

जंक फूड के सेवन से बचें. इस में कई ऐसे तत्त्व होते हैं, जिन से त्वचा में सूजन हो सकती है. इस के कारण डार्क सर्कल्स की समस्या होती है. अत: मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करें, सलाद खाएं, नीबू, कीवी जैसे खट्टे फलों का सेवन करें. इन में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी होता है, जिस से डार्क सर्कल्स की समस्या दूर होती है.

पर्याप्त नींद लें

कम से कम 6-7 घंटे गहरी नींद जरूर सोएं.

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तनाव के स्तर को कम करें

आधुनिक जीवन तनाव से भरा है. व्यायाम के माध्यम से आप अपने तनाव का स्तर कम कर सकती हैं. अपनी नसों को आराम दें और ऐंडोर्फिन के प्रवाह को कम करें. ऐसा करने पर आप की त्वचा में चमक आ जाएगी और डार्क सर्कल्स दूर हो जाएंगे.

त्वचा की देखभाल करें

यदि आप डार्क सर्कल्स की समस्या को दूर करना चाहती हैं, तो अपनी त्वचा के अनुरूप ही उस का ध्यान रखें, तभी आप की त्वचा स्वस्थ और मुलायम रहेगी. आंखों का मेकअप हटाने के बाद उन की चारों तरफ बादाम के तेल या विटामिन ई युक्त क्रीम अथवा सीरम से मसाज करें. धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन क्रीम का प्रयोग जरूर कर लें.

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शराब के सेवन से बचें

धूम्रपान और शराब त्वचा के लिए नुकसानदेह है. अत: इन से परहेज करें.

हलकी क्रीम का प्रयोग करें

ऐलर्जी के कारण भी डार्क सर्कल्स की समस्या हो सकती है. अत: ऐलर्जी की जांच कराएं. ऐंटीहिस्टामाइन लें. यह डार्क सर्कल्स की समस्या दूर करने में मदद करता है. रेटिनोल क्रीम के नियमित प्रयोग से भी डार्क सर्कल्स की समस्या दूर होती है.

ठंडे टी बैग का प्रयोग करें

दूसरा आसान घरेलू उपचार है ठंडे टी बैग का प्रयोग करना. ग्रीन टी के बैग को ठंडे पानी में डुबो कर कुछ देर के लिए रैफ्रिजरेटर में रखें. फिर निकाल कर आंखों पर रखें. नियमित प्रयोग से आराम मिलेगा.

 

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ककड़ी/आलू/टमाटर का रस लगाएं

कुछ घरेलू उपचार भी इस समस्या को दूर करने में आप की मदद कर सकते हैं. खीरा, टमाटर, आलू, डार्क सर्कल्स की समस्या दूर करने में बहुत ही प्रभावी साबित हो सकते हैं, क्योंकि इन में त्वचा को चमकदार बनाने वाले तत्त्व पाए जाते हैं. इन का

1 चम्मच रस निकाल कर आंखों के चारों तरफ लगाएं.

10 मिनट लगा रहने के बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें. ऐसा उपचार दिन में 2 बार करें. डार्क सर्कल्स की समस्या कम हो जाएगी.

लेकिन अगर इन सब तरीकों को अपनाने के बाद भी आप को कोई फायदा नहीं हुआ है तो लेजर विधि से उपचार करा सकती हैं. इस तरीके से आंखों के डार्क सर्कल्स दूर हो जाएंगे और त्वचा में कसाव आने के साथसाथ त्वचा मुलायम भी हो जाएगी.

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