अगर आपको अपने घर में लगे एलईडी बल्ब से वाईफाई या ब्रौडबैंड बिना हाईस्पीड डेटा ट्रांसफर की फैसिलिटी के मिले, तो कैसा रहेगा. जी हां, आने वाले समय में वाई-फाई या ब्रौडबैंड के हाई-स्पीड इंटरनेट डेटा बाजार में धूम मचाने वाले हैं, क्योंकि अब आपको एलईडी बल्ब से इंटरनेट की सुविधा मिल सकेगी.
बता दें कि एक प्रोजेक्ट के तहत इन्फर्मेशन ऐंड टेक्नोलौजी मिनिस्ट्री इस तकनीक की टेस्टिंग कर रही है. इस नई तकनीक को लाई-फाई तकनीक का नाम दिया गया है. इससे 10 GB प्रति सेकंड की स्पीड से डेटा ट्रांसफर किया जा सकता है. इस टेस्टिंग का मकसद उन बीहड़ इलाकों तक इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाना है जहां फाइबर केबल तो नहीं पहुंचा है लेकिन बिजली जरूर है. कहा जा रहा है कि इस तकनीक के जरिए एक किलोमीटर तक के इलाके में 10 GB प्रति सेकंड की स्पीड से डेटा ट्रांसफर किया जा सकता है. अब इस तकनीक के जरिए देश के लगभग हर हिस्से में इंटरनेट पहुंचाया जा सकता है.
देश के भविष्य में आएगा काम
इस नई तकनीक के बारे में पायलट प्रोजेक्ट चलाने वाली औटोनामस साइंटिफिक बौडी एजुकेशन एंड रिसर्च नेटवर्क (ERNET) की डायरेक्टर जनरल नीना पाहुजा ने कहा कि आने वाले समय में देश के भविष्य में स्मार्ट सिटीज में लाई-फाई तकनीक काफी काम की होगी, यहां इंटरनेट की जरुरत होगी, जिसे इस तकनीक के जरिए बेहद ही आसानी के साथ पूरा किया जा सकेगा.
इस टेक्नोलौजी का इस्तेमाल अस्पतालों को कनेक्ट करने में किया जा सकता है जहां कुछ इक्विपमेंट्स के चलते इंटरनेट सिग्नल हमेशा टूटता रहता है. इसके जरिए अंडरवाटर कनेक्टिविटी भी मुहैया करार्इ जा सकती है.
वनइंडिया हिंदी आईआईटी मद्रास के साथ काम चल रहा है
इस प्रोजेक्ट पर अभी आईआईटी मद्रास के साथ काम चल रहा है, इसमें एलईडी बल्ब बनाने वाली कंपनी फिलिप्स भी अपना सहयोग दे रही है. इंडियन इंस्टिट्यूट औफ साइंस अपने इस प्रोजक्ट का इस्तेमाल बेंगलुरु में करना चाहता है. फिलिप्स लाइटिंग इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा इस पूरे मामले पर फिलिप्स लाइटिंग इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर सुमित जोशी का कहना है, ‘हम नई तकनीकों को लाए जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस क्षेत्र में नई तकनीकों पर काम करते रहेंगे.’
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गूगल ने एलटीई या 4जी टेक्नोलौजी के जरिए 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर तैरते बैलून के जरिए डेटा ट्रांसमिशन की भी टेस्टिंग की है. वाइटस्पेस में लाइसेंस्ड मोबाइल स्पेक्ट्रम की जरूरत होती है जिसका टेलीकौम लौबी विरोध कर रही है. गूगल के लून प्रोजेक्ट को खास कामयाबी नहीं मिल पाई है.