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ट्विटर अपने यूजर्स के लिए लेकर आ रहा ये शानदार फीचर

ट्विटर अपने यूजर्स के लिए एक नया फीचर लेकर आ रहा है. इसे बुकमार्क फीचर बताया जा रहा है जिसकी मदद से यूजर उन ट्वीट्स को सेव कर सकेंगे जिन्हें वो बाद में देखना चाहते हैं. ट्वीटर ने ‘सेव फौर लैटर’ बुकमार्किंग फीचर की टेस्टिंग भी शुरू कर दी है. इस फीचर का लक्ष्य 330 मिलियन एक्टिव यूजर्स को अपनी सहूलियत के हिसाब से ट्वीट पढ़ने में मदद करना है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अक्टूबर में कंपनी ने घोषणा की थी कि वो एक नया फीचर तैयार कर रही है जो पसंदीदा ट्वीट्स को सेव करने में मदद करेगा.

कंपनी के प्रोडक्ट हेड कीथ कोलेमैन ने ट्वीट कर बताया कि ‘सेव फार लेटर’ फीचर बढ़िया काम कर रहा है. हमने अपने फीचर को ‘बुकमार्क्‍स’ नाम दिया है, क्योंकि ये कंटेट को सेव करने के लिए सबसे प्रचलित टर्म है. साथ ही यह नेविगेशन के अन्य फीचर्स के नामों के साथ भी बिल्कुल सही बैठता है.

कंपनी के स्टाफ प्रोडक्ट डिजाइनर टीना कोयामा ने एक ट्वीट कर कहा, बुकमार्क के आने के बाद यूजर्स को किसी कंटेंट या ट्वीट को सेव करने में आसानी होगी साथ ही उन्हें फेवरेट वाले फीचर का उपयोग नहीं करना पड़ेगा.

एक रिपोर्ट में बताया गया कि इस फीचर से यूजर्स अब हार्ट बटन दबाने की बजाए ‘बुकमार्क्‍स’ बटन दबाकर अपने पसंदीदा ट्वीट्स को बाद में पढ़ने के लिए एक जगह रख सकते हैं. जबकि ‘फेवरेट’ बटन फेसबुक के ‘लाइक’ या ‘थम्स अप’ बटन की तरह दिखता है.

महिला मुक्ति व महिला शिक्षा की बात करती है फिल्म ‘सांकल’ : देदिप्या जोशी

पाकिस्तान से सटे राजस्थान के सीमावर्ती जिलों जैसलमेर, बाड़मेर व धार जिले के गांवों में मेहर मुस्लिम समुदाय में आज भी प्रथा के नाम पर बड़ी उम्र की लड़कियों व औरतों को आठ दस वर्ष की उम्र के बालकों या अपनी उम्र से आधी से भी कम उम्र के युवकों के संग शादी करनी पड़ रही है. इसी परंपरा के खिलाफ फिल्मकार देदिप्या जोशी एक फिल्म ‘सांकल’ लेकर आए हैं, जो कि पिछले एक वर्ष के दौरान करीबन 40 अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में अपनी उपस्थित दर्ज कराते हुए 30 पुरस्कार हासिल कर चुकी है. इस फिल्म में इस बात का चित्रण है कि परंपरा किस तरह आम जीवन में भीषण बदलाव लाती है.

फिल्म ‘सांकल’ की कहानी के केंद्र में राजस्थान के थार जिले के मेहर मुस्लिम बाहुल्य धानी (आठ दस परिवारों के साथ बसे इन गांवों को ‘धानी’ कहा जता है) की कहानी है, जहां पंचायत का कई दशक पुराना फरमान है. जहां पंचायत व सरपंच का निर्णय ही सर्वोपरि है. इस गांव में पुलिस भी बिना सरपंच के बुलावे के नहीं जाती. इस गांव में कई दशकों से कुछ परंपराएं चली आ रही हैं, जिन्हें तोड़ने का साहस कोई नहीं कर पाया. देश की आजादी से भी कई दशक पहले कई गांवों की ग्राम पंचायतों ने मिलकर एक अध्यादेश जारी किया था, जिसके अनुसार उनके समुदाय की लड़कियां दूसरे समुदाय या समाज में जाकर शादी नहीं कर सकती थी, मगर लड़को को दूसरे समुदाय की लड़की चुनकर लाने की आजादी दी गयी थी. इस अध्यादेश के पीछे उनका मकसद अपने खून की पवित्रता को बरकरार रखना था. इस नियम का विरोध करने वाले को अपनी जान चुकानी पड़ती.

आजादी के वक्त इन गांवों के कुछ लोग पाकिस्तान चले गए, मगर सीमा पार कर इस तरह की शादी करने का सिलसिला जारी रहा. लेकिन सरकार की सख्ती के चलते इनका सीमा पार अपने रिश्तेदारों से संबंध टूट गया. परिणामतः धीरे धीरे विवाह योग्य लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या काफी कम हो गयी. ऐसे में कई बिना शादी के रह गए या बुढ़ापे में कम उम्र की लड़कियों से शादी करनी पड़ती. इस आपदा को जब तक ग्राम पंचायतें समझती, तब तक देर हो चुकी थी.

इसके बाद ग्राम पंचायतों ने एक नया फरमान जारी कर दिया. जिसके तहत लड़के अब भी दूसरे समुदाय में जाकर शादी कर रहे थे, मगर उनके अपने समुदाय की लड़कियां कुंवारी बैठी थी. परिणामतः पंचायतों ने एक नया फरमान जारी कर दिया, जिसके तहत 18 साल से बड़ी लड़की को छोटे छोटे बच्चों से शादी करनी पड़ने लगी. जिससे उनका खून गंदा न हो और उनकी पवित्रता बरकरार रहे. लेकिन इस प्रथा के शिकार कई बालक व लड़कियां होती आ रही हैं.

इसी प्रथा के शिकार ग्यारह वर्षीय केसर (चेतन शर्मा) और युवा 26 वर्षीय लड़की अबीरा (तनिमा भट्टाचार्य) की कहानी के माध्यम से फिल्मकार देदिप्या जोशी ने इस कुरीति के चलते लड़के व लड़कियों की जिंदगी किस तरह बर्बाद हो रही है, उसका चित्रण किया है.

फिल्म ‘सांकल’ के लिए राजस्थान की इस प्रथा को चुनने की बात करते हुए फिल्म के लेखक व निर्देशक देदिप्या जोशी कहते हैं, ‘‘मैं शुरू से ही तमाम सामाजिक प्रथाओं व कुरीतियों के प्रति जानकारी इकट्ठा करने का इच्छुक रहा हूं. 2001 में ‘इंडिया टुडे’ पत्रिका में मैंने इस कुप्रथा के बारे में पढ़ा. मैं खुद राजस्थान का हूं, पर पहले मुझे इसकी जानकारी नहीं थी. इसलिए मुझे आश्चर्य हुआ. इस प्रथा के बारे में जानकर मैं काफी चिंतित हुआ. इसलिए मैंने सबसे पहले इसी प्रथा पर फीचर फिल्म बनाने का निर्णय लिया. इसे बनाने में मुझे 14 वर्ष लग गए. मैंने काफी शोध किया. जिन गांवों यानी कि धानी में यह प्रथा चल रही है, वहां गया, वहां के लोगों से मैंने बात की. मैंने पाया कि वहां अब भी यह सब हो रहा है. कुछ परिवारों की वास्तविक कहानियों के आधार पर इस फिल्म की कहानी लिखी.’’

देदिप्या जोशी आगे कहते हैं, “पाकिस्तान और भारत के राजस्थान राज्य की सीमा पर बसे बाड़मेर व जैसलमेर जिले में गांव की जगह धानी होती हैं. आठ दस परिवारों का समुदाय आस पास रहता है, जिसे धानी कहते हैं. जहां यह सब हो रहा है. वहां के लोग इस पर जल्दी जल्दी बात नही करते हैं. वैसे अब सरकार के हस्तक्षेप, शिक्षा के प्रसार व कुछ सामाजिक संगठनों के प्रयास के चलते हालात कुछ बदल रहे हैं, मगर अभी भी वहां पर छिपकर कम से कम तीस प्रतिशत शादियां इसी तरह से हो रही है.”

इस फिल्म के निर्माण में उन्हें काफी समस्याएं आयी पर देदिप्या जोशी ने हिम्मत नहीं हारी. वह खुद कहते हैं, ‘‘मेरी राय में यदि आपने कुछ करने की ठान ली है, तो सारी समस्याएं आसान हो जाती है. कई तरह की समस्याएं आयीं. आर्थिक समस्या भी आयी पर कई मित्रों ने मदद की. हम सभी सामाजिक सुधार के लिए इस कुप्रथा को पूरे देश व विश्व तक पहुंचाने की मुहीम से जुड़कर काम कर रहे थे. इसी के चलते इस फिल्म से जुड़े हर इंसान ने मुफ्त में काम किया है. हमने तय किया था कि जब फिल्म से आय होगी, तो आपस में बांट लेंगे. हमारी फिल्म ‘सांकल’ महिला मुक्ति व महिला शिक्षा की बात करती है.’’

देदिप्या जोशी को इस बात का मलाल जरूर है कि वह अपनी फिल्म को वहां नहीं फिल्मा सके, जहां की कहानी है. वह कहते हैं, ‘‘जहां की कहानी है, वहां पर हमें इसे फिल्माने की इजाजत नहीं मिली. वह लोग अपनी इस प्रथा पर इस फिल्म को बनने नहीं देना चाहते थे. इसलिए हमने इस फिल्म को बीकानेर में जाकर फिल्माया.’’

मूलतः कवि व जयपुर निवासी देदिप्या जोशी 1992 से बौलीवुड में सक्रिय हैं. वह अब तक 250 विज्ञापन फिल्में व कई टीवी सीरियलों का निर्देशन कर चुके हैं. वह कई लघु फिल्में भी बना चुके हैं. इतना ही नहीं बतौर सहायक निर्देशक वह एक साल तक राजकुमार भान के साथ विश्व सिनेमा के लिए बनी इंडो ब्रिटिश फिल्म पर भी काम कर चुके हैं. ‘सांकल’ उनकी पहली फीचर फिल्म है. इस फिल्म के अलावा वह दो अन्य फिल्में निर्देशित कर चुके हैं, पर उनके बारे में वह अभी बात नहीं करना चाहते. वह कहेत हैं, ‘‘मुझे वर्ल्ड सिनेमा ही करना है, पर मेनस्ट्रीम सिनेमा से परहेज नही है.’’

फिल्म ‘सांकल’ को अमरीका के ‘ओहा फेस्टिवल’ में सर्वश्रेष्ठ फिल्म और फिल्म की हीरोइन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया. इसके अलावा ‘केप टाउन एंड वीलेंड इटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल’, डबलिन में संपन्न ‘आयरलैंड इंटनैशनल फिल्म फेस्टिवल’, ‘टोरंटो इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल’, ‘लौस एंजेल्स सिने फेस्टिवल’, ‘मिलान इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल’, ‘रशियन इंटरनैशनल फिल्म फेस्टिवल’ सहित बीस अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कृत किया जा चुका है.

औनलाइन पैसे ट्रांसफर करते वक्त ध्यान में रखें ये बातें

आजकल अधिकतर लोग इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं. कई लोग तो ऐसे भी होंगे जिन्हें याद ही नहीं होगा कि वे आखिरी बार कब अपने बैंक में गए थे, लेकिन इस इंटरनेट बैंकिंग में खतरे भी कम नहीं हैं. तो आइए जानते हैं इंटरने बैंकिंग के दौरान क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल न करें

बैंक से संबंधित काम के लिए गलती से भी पब्लिक या फ्री वाई-फाई का यूज ना करें. इसके अलावा फ्री वाई-फाई के यूज से किसी भी प्रकार का औनलाइन पेमेंट ना करें, क्योंकि अधिकतर फ्री वाई-फाई सिक्योर नहीं होते हैं और इन पर हैकर्स की कड़ी नजर रहती है.

वेबसाइट के यूआरएल में ‘S’ चेक करें

अगर आप किसी वेबसाइट पर लौगिन कर रहे हैं तो सबसे पहले उसका यूआरएल चेक करें. यूआरएल की शुरुआत ‘https’, से होनी चाहिए. इसमें ‘s’ ही वेबसाइट के सिक्योर होने का सबूत है.

नियमित रूप से पासवर्ड चेंज करें

इंटरनेट बैंकिंग यूज करते हैं तो समय-समय पर अपना पासवर्ड बदलते रहें, क्योंकि हो सकता है कि आपके फोन और लैपटाप के जरिए आपको कोई ट्रैक कर रहा हो. पासवर्ड में नंबर, स्पेशल कैरेक्ट जरूर शामिल करें और पासवर्ड लंबा रखें. अलग-अलग बैंकों के लिए अलग-अलग पासवर्ड रखें.

ई-मेल के जरिए कभी भी साइन इन ना करें

कभी मेल पर आए किसी लिंक के जरिए इंटरनेट बैंकिंग के लिए साइन ना करें, क्योंकि अक्सर ई-मेल के जरिए लोगों को ठगा जाता है. कई बार ऐसे मेल आते हैं कि अपने अकाउंट को सिक्योर करने के लिए लौगिन करें, जबकि बैंक ऐसे मेल नहीं भेजते हैं. बैंक की आधिकारिक वेबसाइट से ही लौगिन करें.

बागवानी का है शौक तो डाउनलोड करें ये ऐप

बागवानी कई लोगों का पसंदीदा काम है. कुछ लोगों को फल और सब्जियों की बागवानी करना पसंद होती है तो कुछ को फूल और छोटे पौधों की बागवानी पसंद. इनमें कई चीजें हैं जिनमें आपको टेक्नोलाजी मदद कर सकती है. जाहिर है कि आपका स्मार्टफोन आपके लिए बागवानी या खेती नहीं कर सकता. लेकिन प्ले स्टोर में कुछ ऐसे ऐप्स हैं जो आपको बागवानी करने में मदद कर सकते हैं. जानें ऐसे ही कुछ ऐप्स के बारे में.

एग्रोबेश (Agrobase)

एग्रोबेश नाम की एक बागवानी ऐप गूगल प्ले स्टोर में मौजूद है. इसका उपयोग कृषि के लिए किया जाता है. माली इस ऐप की मदद से आसानी से कीट या ऐसी चीजों का पता लगा सकते हैं. यह एक फ्री ऐप है जिसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है.

अमेजन किनडल (Amazon Kindle)

अमेजन किनडल में आपको बागवानी से जुड़ी कई नई चीजें जानने को मिलेंगी. इसमें आपको बागवानी से जुड़ी कई किताबें और रेफरेंस गाइड भी मिलेंगी. इसके अलावा इसमें आपको बहुत कुछ सीखने जैसे-पौधों की देखभाल, प्रत्येक पौधे की विशिष्ट आवश्यकताओं, बग प्रजातियां, चीजों को देखने के लिए और भी बहुत कुछ सिखने को मिलेंगा. यह एक फ्री ऐप है जिसे आप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं.

गूगल सर्च (Google Search)

गूगल की आधिकारिक ऐप बहुत उपयोगी है. इसके जरिये आप बागवानी के कई टिप्स को खोज सकते हैं. आप गूगल असिस्टेंट की भी मदद ले सकते हैं, जो आपको पौधों में पानी और खाद डालने के लिए रिमाइंडर देता रहेगा.

DIY बागवानी (DIY Gardening)

इस ऐप की खासियत यह है कि आप इसकी मदद से बागवानी की ऐसी टिप्स जान सकते हैं, जो आपके काम की हों. यदि आप पहली बार बागवानी कर रहे हैं तो भी यहां वो सभी जानकारियां मौजूद हैं, जो आपकी मदद करेंगी. ऐप में वेजिटेबल, फ्रूट या हर्ब गार्डन की टिप्स अलग-अलग दी गई हैं. यहां बताया गया है कि किस तरह से छोटे गार्डन में सर्दी के मौसम में बीज बोए जा सकते हैं.

बिगनर्स बागवानी गाइड (Beginners gardening guide)

यदि आप बागवानी के बारे में कुछ नहीं जानते हैं और पहली बार अपने बगीचे में बागवानी करने की सोच रहे हैं तो यह ऐप आपके काम आ सकता है. इसके अलावा इसमें वीडियो लिंक्स भी मौजूद हैं जो आपको किसी भी चीज को करने का सही तरीका सिखाती हैं.

एक पैर से बल्लेबाजी करता है यह भारतीय बल्लेबाज, देखें वीडियो

हम क्रिकेट के मैदान पर अक्सर खिलाड़ियों को छक्के-चौके लगाते देखते हैं. भारत में क्रिकेट को धर्म सरीखे माना जाता है. लोग सचिन, कोहली जैसे क्रिकेटर को अपना देवता मानते हैं. इसी देश में एक ऐसा भी क्रिकेटर है जो केवल एक पैर से ही चलता है.

इस युवक ने कहावत, ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपने में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता है, हौंसलो से उड़ान होती है’ को सच कर दिखाया है.

ये बात सुनने में अजीब लगे पर ये सच है. इस शख्स के पास केवल एक पैर है और वह उसी पैर के सहारे जबरदस्त बल्लेबाजी करता है और खूब रन बनाता है.

इलाके के सभी गेंदबाज उससे खौफ खाते हैं. सोशल मीडिया पर कश्मीर के इस नायाब क्रिकेटर का वीडियो एक कश्मीरी पेज से अपलोड किया गया.

इस युवक का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें साफ दिख रहा है कि एक क्रिकेटर जिसके पास एक पैर नहीं है वह कैसे अपने बल्ले से रनों की बारिश कर रहा है. यह वीडियो उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो जीवन में हादसों या संघर्षों के सामने अपना मनोबल खो बैठते हैं या हार मान लेते हैं.

शुरू होने से पहले ही खत्म हुई नवाज की फिल्म

नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने अपनी आत्मकथा के कुछ पन्ने अंग्रेजी अखबार में  क्या छपवाए उनके बुरे दिनों की शुरुआत हो गयी. एक तरफ वह विवादों से घिर गए, तो दूसरी तरफ नवाजुद्दीन की पूर्व प्रेमिका ने उन पर मानहानि का मुकदमा दायर दिया, तो तीसरी तरफ मशहूर फिल्मकार विशाल भारद्वाज के साथ उनकी प्रेम कहानी प्रधान फिल्म शुरू होने से पहले ही बंद हो गयी.

कुछ दिन पहले ही विशाल भारद्वाज ने नवाजुद्दीन सिद्दिकी और अदिति राव हैदरी को लेकर एक रोमांटिक फिल्म बनाने की घोषणा की थी. इस फिल्म की वजह से नवाजुद्दीन सिद्दिकी भी काफी खुश थे. आखिरकार उनके करियर की यह पहली सोलो रोमांटिक फिल्म जो होने वाली थी.

लेकिन ताजातरीन खबर यह है कि अब विशाल भारद्वाज और नवाजुद्दीन सिद्दिकी के बीच बातचीत तक बंद हो चुकी है. दोनों एक दूसरे के लिए अजनबी बन चुके हैं, तथा विशाल भारद्वाज ने इस फिल्म को हमेशा के लिए न बनाने का निर्णय ले लिया है. जबकि नवाजुद्दीन के नजदीकी दावा करते हैं कि नवाजुद्दीन ने खुद ही पटकथा पसंद न आने के कारण फिल्म छोड़ दी है.

तो वहीं बौलीवुड में अलग चर्चाएं हैं. बौलीवुड में चर्चा है कि इस रौमकौम फिल्म की कहानी व कहानी सुनाने के अंदाज को लेकर दोनों के बीच इस कदर रचनात्मक मतभेद और बहस हुई कि दोनों के बीच बातचीत बंद होने के साथ ही फिल्म बंद कर दी गयी.

जबकि एक अन्य सूत्र इस फिल्म के बंद होने के लिए पूर्णरूप से नवाजुद्दीन सिद्दिकी को ही दोषी ठहरा रहे हैं. बौलीवुड के इन सूत्रों का दावा है कि पिछले कुछ समय के अंदर नवाजुद्दीन की सोलो हीरो वाली जितनी फिल्में प्रदर्शित हुई, वह सभी बौक्स औफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी, जिसके चलते उनका बाजार गड़बड़ाया हुआ है.

मगर नवाजुद्दीन सिद्दिकी लगातार अपनी कीमत बढ़ाते जा रहे थे. इसी के चलते विशाल भारद्वाज से भी उनका टकराव हुआ. परिणामतः फिल्म बंद हो गयी.

वैसे नवाजुद्दीन सिद्दिकी तो इन सब से परे अपनी कई वर्षों से लटकी फिल्म ‘‘मानसून शूटआउट’’ के शीघ्र प्रदर्शन को लेकर उत्साहित हैं.

सिम को आधार से लिंक कराने के लिये कंपनियों ने अनोखे अंदाज में शुरू की सेवा

टेलिकौम कंपनियां उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए सिम कार्ड और आधार को लिंक करने के लिए अलग-अलग तरीके ला रही हैं. इस तरह से यूजर आसानी से अपना मोबाइल नंबर आधार से लिंक करवा पाएंगे. मोबाइल रीवेरिफिकेशन के काम में भी इन तरीकों से तेजी आएगी.

वोडाफोन ने तैनात की वैन

इसके तहत वोडाफोन ने राजस्थान के अंदरुनी इलाकों में मोबाइल वैन तैनात की है. इससे यूजर्स सिम और आधार को घर के आस-पास आसानी से लिंक करवा पाएंगे. कंपनी के एक एग्जिक्युटिव ने बताया, ‘अगर यह प्रयोग सफल रहा तो हम देश के दूसरे हिस्सों में भी इसका इस्तेमाल करेंगे.’ नंबर से आधार लिंक करने के अलावा यह वैन यूजर्स को 2G और 3G कनेक्शन को 4G में अपग्रेड करने में भी मदद कर रही है.

आइडिया भी ग्रामीण इलाकों में कर रहा मदद

आइडिया भी ग्रामीण इलाकों में लिंकिंग में मादत कर रहा है. कंपनी के एक एग्जिक्युटिव के अनुसार, कंपनी आधार वेरिफिकेशन के लिए ग्रामीण इलाकों में अस्थायी टेंट लगा रही है. सीनियर सिटीजन और विकलांगों के आधार रीवेरिफिकेशन के लिए आइडिया उनके घर पर टीम भेज रहा है.

एयरटेल लगा रहा स्पेशल कैंप

एयरटेल यूजर्स की लिंकिंग में मदद करने के लिए स्पेशल कैंप लगा रही है. इससे ग्रामीण इलाकों में रीवेरिफिकेशन का काम तेजी से पूरा किया जा सकेगा. कंपनी के प्रवक्ता ने बताया, ‘हम रूरल मार्केट में ऐसी पहल लंबे समय से कर रहे हैं. कंपनी के कस्टमर बेस में रूरल मार्केट की हिस्सेदारी 50 पर्सेंट है.’

6 फरवरी आधार से नंबर लिंक कराने की आखिरी तारीख

केंद्र सरकार ने मोबाइल नंबर से आधार लिंक कराने की आखिरी तारिख 6 फरवरी 2018 रखी है. मोबाइल कंपनियों ने UIDAI से इस प्रोसेस के लिए थोड़े और समय की मांग की है. UIDAI ने ओटीपी आधारित वेरिफिकेशन सिस्टम के लिए 30 नवम्बर की डेडलाइन रखी है.

सेल्युलर औपरेटर्स एसोसिएशन औफ इंडिया (सीओएआई) ने यूआईएडीआई और दूरसंचार विभाग को बताया है कि ओटीपी बेस्ड रीवेरिफिकेशन प्रोसेस को 30 नवंबर तक तैयार करना संभव नहीं है. इसका प्रोसेस बहुत लम्बा है और उसके लिए थोड़ा और समय दिया जाना चाहिए.

सीओएआई के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज ने कहा, ‘कस्टमर अक्वीजिशन नौर्म में बदलाव के बाद कंपनियों को कम-से-कम 4-6 हफ्ते का समय जरूरी तकनीकी बदलाव के लिए चाहिए, तभी ओटीपी के जरिए रीवेरिफिकेशन हो पाएगा.’

रणवीर सिंह ने अनोखे अंदाज में किया अपने प्यार का इजहार

रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण बौलीवुड के ऐसे कपल हैं जो अपने प्यार का इजहार करने से पीछे नहीं हटते हैं. वहीं दोनों ने साफ तौर से कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया है कि वो एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं. कई बार दोनों की सगाई, शादी के साथ ही ब्रेकअप की खबरें सामने आती रहती हैं. अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी देखा जा रहा है. इस वीडियो में एक्टर अपनी लेडीलव के लिए गाना गाते हुए नजर आ रहे हैं.

दीपिका को यह वीडियो लक्स गोल्डन दीवास में दिखाया जाता है. जिसमें रणवीर उनके लिए एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा गाना गाते हैं. इसके बाद वो कहते हैं कि मंदिर में हो एक जलता दीया यानी दीपिका. आपके बारे में क्या कहूं जिस तरीके से आप अपने करोड़ों चाहने वालों की जिंदगी में उजाला बनकर आई हैं, मेरी जिंदगी में भी उजाला बनकर आई हैं, आपकी तरह कोई नहीं है. आपको ढेर सारा प्यार.

वीडियो देखकर दीपिका जोर-जोर से हंसती और शर्माती हैं. एक्ट्रेस रणवीर के लिए कहती हैं कि वो जोकर हैं. इससे पहले एक इंटरव्यू में बाजीराव मस्तानी स्टार ने कहा था कि जब वो रणवीर के साथ होती हैं तो उन्हें किसी शख्स या चीज की जरुरत नहीं होती है. उन्होंने कहा था, हम एक-दूसरे की उपस्थिति में सहज रहते हैं. कभी बुद्धिमानी वाली बातचीत होती है तो कभी केवल खामोशी और कभी बच्चों वाली मासूमियत होती है. हम एक दूसरे को स्थिर रखते हैं, हम उस तरह से काफी अच्छे हैं.

फिलहाल दीपिका और रणवीर की फिल्म पद्मावती का पूरे देशभर में विरोध हो रहा है. जिसकी वजह से इसकी रिलीज डेट खिसका ली गई है. फिल्म में दीपिका चित्तौड़ की महारानी पद्मावती बनी हैं तो रणवीर दिल्ली सल्तनत के राजा अलाउद्दीन खिलजी के किरदार में हैं. वहीं शाहिद कपूर महाराजा रावल रतन सिंह के किरदार में हैं.

धोनी नहीं हैं कैप्टन कूल : सुरेश रैना

जब भी टीम इंडिया के सबसे चुस्त फील्डरों की बात होती है तो उसमें सुरेश रैना का नाम भी शामिल होता है. यो-यो फिटनेस टेस्ट पास न कर पाने के कारण उत्तर प्रदेश का यह खिलाड़ी फिलहाल टीम से बाहर है, लेकिन फैन्स को उनकी जल्द वापसी की उम्मीद है. अभी वह रणजी ट्रौफी में व्यस्त हैं. लेकिन एक टौक शो ब्रेकफास्ट विद चैम्पियंस में उन्होंने पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बारे में एक बड़ा खुलासा किया है.

शो के दौरान टीवी प्रेजेंटर गौरव कपूर से बातचीत में रैना ने कहा कि एमएस धोनी टीम इंडिया के सबसे कूल प्लेयर नहीं हैं. वह कई बार फील्ड पर गुस्सा हो जाते हैं और दूसरों को यह नजर नहीं आता. रैना ने कहा, ‘आप उनका चेहरा देखकर पता नहीं लगा सकते कि वह क्या सोच रहे हैं. वह भी कई बार गुस्सा हो जाते हैं, लेकिन दिखाते नहीं हैं. ओवर के खत्म होने के बाद जब कैमरा बंद हो जाते हैं और टीवी पर विज्ञापन नजर आते हैं, तब धोनी कहते हैं-सुधर जा तू’.

भारत-पाकिस्तान के बीच हुए एक मैच को याद करते हुए रैना ने कहा, ‘उस मुकाबले में उमर अकमल ने धोनी से शिकायत की कि मैं उसे गालियां दे रहा हूं. जब धोनी ने मुझसे पूछा कि क्या हुआ तो मैंने कहा कि गालियां नहीं दीं, सिर्फ कुछ गेंदें फेंककर मैं उस पर प्रेशर बना रहा हूं’.

माही भाई बोले-और दे साले को, रैना ने शो में धोनी की लीडरशिप की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा, ‘वह अच्छे गेम लीडर हैं. उन्हें पता है कि आगे क्या होने वाला है. उनके पास हमेशा 3 प्लान- प्लान ए, प्लान बी और प्लान सी तैयार रहते हैं. वह उन्हें हमेशा साथ लेकर चलते हैं. वह एक रात पहले प्लान बनाते हैं और स्थिति के मुताबिक उन्हें इस्तेमाल करते हैं’.

इसी वजह से वह इतने कूल रहते हैं. रैना ने यह भी कहा कि जब भी वह निचले क्रम पर उतरते हैं और गेंद मारने की बजाय उसे डिफेंड करते हैं तो इसका मतलब वह गेंदबाज को चेतावनी दे रहे हैं. वह ये कि अगर अगर मैं शौट नहीं मार रहा हूं तो कभी भी मार सकता हूं.

गौरतलब है कि एमएस धोनी ने इसी साल जनवरी में टीम इंडिया की कप्तानी छोड़ दी थी. उनकी कप्तानी में भारत ने 2007 टी20 वर्ल्ड कप, 2011 वर्ल्ड कप और 2013 की आईसीसी चैम्पियंस ट्रौफी जीती है.

पीएफ ब्याज दर में हो सकती है कटौती

नौकरीपेशा लोगों को सरकार झटका दे सकती है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पीएफ पर मिलने वाले ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. सीमित संसाधनों के चलते इस वर्ष के लिए भी ईपीएफ पर ब्याज दर में कटौती की जा सकती है. बीते वित्त वर्ष 2016-17 के लिए ईपीएफओ ने 8.65 फीसदी की दर से ब्याज देने का एलान किया था. लेकिन चालू वित्त वर्ष 2017-18 के लिए इसमें कटौती करके इसे 8.30 फीसदी किया जा सकता है.

दो वजह से होगी बड़ी कटौती

ईपीएफओ के सूत्रों के मुताबिक, लेबर मिनिस्ट्री (श्रम मंत्रालय) की ओर से भी ब्याज दरों में कटौती को लेकर रिपोर्ट तैयार कर ली है. ब्याज दरों में मुख्य तौर पर दो वजह से कटौती की जाएगी. पहली वजह ईपीएफ खाते में ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) यूनिट को सीधे जमा किया जाएगा. दूसरी बड़ी वजह है कि ईपीएफओ को निवेश पर होने वाली आय में लगातार गिरावट आ रही है. ऐसे में कर्मचारी भविष्य निधि पर ब्याज की मौजूदा दर को बनाए रखना मुश्किल होगा.

कटौती के बाद कितनी होगी ब्याज दर?

भविष्य निधि संगठन ने चालू वित्त वर्ष की कुल आमदनी का अनुमान नहीं लगाया है. इसी आय के आधार पर ईपीएफओ ब्याज दर तय करता है. लेकिन, सूत्रों की मानें तो इस बार की ब्याज दर पहले से तय की गई है. अगर चालू वित्त वर्ष में भी आमदनी में गिरावट रहती है तो ब्याज दर स्थिर रखना मुश्किल होगा. ऐसी स्थिति में ब्याज दर घटकर 8.30 की जा सकती है.

देख पाएंगे पीएफ का बैलेंस

आपको बता दें कि ईपीएफओ ने मूल्यांकन और इक्विटी निवेश के लेखांकन के लिए पौलिसी को मंजूरी दी है. इस पॉलिसी के तहत हर वित्तीय वर्ष के आखिरी में खाताधारकों के पीएफ में ईटीएफ इकाइयों को क्रेडिट किया जाएगा. इसके बाद आप अपना पीएफ बैलेंस देख सकेंगे.

1 दिन में निकाल सकेंगे पीएफ

दो दिन पहले हुई सेंट्रल बोर्ड औफ ट्रस्टी की बैठक में श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार भी शामिल हुए. इस बैठक में अहम फैसला लेते हुए ईपीएफओ अब एक ही दिन में एनपीसीआई के जरिए पीएफ निकासी को मंजूरी दे दी. इस फैसले के बाद पीएफ फंड को खाताधारक आसानी से निकाल सकेंगे. हालांकि, अभी इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लगेगा, लेकिन ईपीएफओ इसकी तैयारी शुरू कर देगा.

निकाल सकेंगे अपना पैसा

पीएफ में ईटीएफ का हिस्सा शामिल होने के बाद पीएफ धारक के पास अपना पैसा निकालने का विकल्प रहेगा. पीएफधारक ईटीएफ यूनिट को बेचकर या फिर नकदी वाले हिस्से में से किसी से भी राशि निकाल सकेंगे. साथ ही ईटीएफ पर मिलने वाले लाभांश को खाताधारक अपने खाते में ट्रांसफर कर सकेंगे.

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