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हमारी बेड़ियाँ

हमारी एक रिश्तेदार को पंडित ने बताया कि यदि काले नादिया को शनिवार को काला कंबल उढ़ा कर अन्न खिलाओगी तो तुम्हारे घर की परेशानियां खत्म हो जाएंगी. हर शनिवार को उन के घर के सामने से एक पंडित नादिया ले कर निकलता था और सब से चढ़ावा लेता जाता था. घर वालों ने बहुत कहा, उसी को कंबल ओढ़ा दो पर वे नहीं मानीं क्योंकि उन के अनुसार एक तो वह नादिया वयस्क नहीं था, दूसरे, पूरी तरह काला भी नहीं था. उस पर केवल काले चकत्ते थे.
वे पूरी तैयारी के साथ गोशाला गईं. वहां एक काला सांड़ था. वे प्रसन्न हो गईं. वे जैसे ही उसे कंबल ओढ़ाने लगीं, वह भड़क गया. उस ने उन्हें गिरा कर घायल कर दिया. तब से उन का पूरा शरीर लकवाग्रस्त है और इस बात को 1 साल हो गया, वे पलंग पर पड़ी हैं.
डा. शशि गोयल, आगरा (उ.प्र.)
हमारे पड़ोस में एक मारवाड़ी परिवार रहता है. सभी लोग पढ़ेलिखे और मौडर्न विचारों के हैं. कुछ महीनों पहले उन के यहां पुत्र का जन्म हुआ है. हमारे घर के पास एक पार्क है. उस के आसपास कुछ लोग झुग्गी बना कर परिवार सहित रहते हैं.
एक रविवार को सुबहसुबह करीब 20-25 झुग्गी वाले लोग, पड़ोसी के दरवाजे पर जा कर चिल्लाने लगे, खूब गालीगलौज कर हंगामा करने लगे. पूछने पर पता लगा कि रात को हमारे पड़ोसी नारियल, सिंदूर, काले तिल, हरी मिर्च, नीबू आदि पार्क के पीपल की जड़ में गाड़ आए हैं. ऐसा करते उन्हें किसी ने देख लिया.
उन लोगों का कहना था कि उन के बच्चे पार्क में खेलते हैं, उन पर जादूटोना करने के लिए उन्होंने ऐसा किया. वे लोग पड़ोसी को खींचते हुए ले गए और उन से सब सामान हटावाया. जब लोगों ने पड़ोसी से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, तो वे बोले, ‘‘मेरे बच्चे की तबीयत खराब है. पंडितजी ने कहा कि उस पर किसी ने टोना कर दिया है, इसलिए ये वस्तुएं शनिवार की रात को पीपल की जड़ में गाड़ देना तो टोना उतर जाएगा.’’
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ, पढ़ेलिखे लोग ही जब इतने अंधविश्वासी हैं तो वे तो गरीब अनपढ़ लोग हैं.
सरिता सेठ, कानपुर (उ.प्र.)
मेरे एक रिश्तेदार की पत्नी हमेशा धार्मिक उत्सवों में डूब कर अपने पति की आय का अधिकांश हिस्सा पंडेपुजारियों को दानदक्षिणा देने में खर्च कर देती है. इस वजह से न उस के बच्चों के पास पहनने के लिए ढंग के कपड़े होते हैं न पौकेट मनी के लिए पैसा.
पति व बच्चे उसे इस आडंबर को बंद करने को कहते हैं तो वह मानती नहीं.
परिवार के सारे लोग एक व्यक्ति की हठधर्मी के कारण बेडि़यों में जकड़े हुए हैं.
प्रदीप, बिलासपुर (हि.प्र.) 

ठंडक फैल गई

बहुएं, बेटियां बंटवारा कर रही थीं
मेरे गहनों व कीमती वस्तुओं का
हड्डियों का ढांचा मात्र मैं अपनों से
अपनी मृत्यु की कामना सुन रही थी
 
अब यह घर भी उन का था
जिसे मैं ने व पति ने बनाया था
पर अब बच्चों को बदबू आती है 
मुझ से, मेरी दवाओं से
 
‘न इन को चैन है न हम को
न मालूम क्यों अटके हैं प्राण इन के
किस मोह में जकड़ी हैं सांसें इन की
कब मुक्त होंगे हम इन से’
 
मेरे लाड़ले के इन बोलों से
एक असह्य टीस उठी, सांस रुकी
और एक ठंडक फैल गई
चारों ओर मेरे वजूद के.
मीता प्रेम शर्मा 

बनाएं किचन को मौड्यूलर

एक समय था जब घर में किचन को सब से कम महत्त्व दिया जाता था. तब किचन का मतलब एक छोटे से कमरे से होता था, जहां बस जैसेतैसे खाना पक सके. उस में किसी भी तरह के कोई आधुनिक उपकरण नहीं होते थे और न ही किसी तरह की कोई सजावट होती थी. अगर कभी कोई खास पकवान बनाना हो तो घंटों समय लग जाता था.

धीरेधीरे बदलते समय के साथ किचन के रूप में भी बदलाव आने लगा. किचन सिटिंग की जगह स्टैंडिंग होने लगा. इंडियन स्टाइल किचन की जगह आधुनिक कौंसैप्ट ने ले ली और किचन को मौड्यूलर किचन कहा जाने लगा.

इंटीरियर डिजाइनर मनोज पांडेय कहते हैं, ‘‘ये किचन देखने में पहली नजर में भले ही महंगे और शोबाजी वाली चीज लगें पर ये काफी यूजरफ्रैंडली होते हैं. मौड्यूलर किचन को इंस्टौल करना काफी ईजी होता है. इस में काफी ट्रैंडी फिटिंग्स, जैसे किचन कैबिनेट्स, बास्केट्स, कौर्नर ट्रौलीज, शैल्फ्स, स्लाइडिंग ड्राअर्स आदि लगे होते हैं. इन में आप रसोई का सामान, उपकरण वगैरह व्यवस्थित ढंग से रख सकते हैं.’’

आधुनिक उपकरणों से तैयार मौड्यूलर किचन में हर चीज की जगह फिक्स होती है. कोई भी सामान निकालने और काम करने में दिक्कत नहीं होती. रसोई में स्टोरेज की पर्याप्त सुविधा होने की वजह से काफी जगह रहती है क्योंकि सामान कैबिनेट्स और ट्रौलीज के अंदर रखा जाता है. ये गोल, टेढ़ेमेढ़े व त्रिकोणीय सभी प्रकार के किचन में आसानी से फिट हो जाते हैं. नतीजतन, खाना बनाने में समय की भी बचत होती है.

मौड्यूलर किचन को कई अलगअलग वैराइटी, डिजाइन व रंगों में तैयार किया जा सकता है, जैसे कैबिनेट्स को मैटल, वुड, स्टील या ग्लास का बनाया जा सकता है और इन के कलर टिपिकल गे्र, ब्राउन व बेज आदि रखने के बजाय रैड, लीफी ग्रीन, रौयल ब्लू जैसे विकल्पों को चुन कर किचन को अट्रैक्टिव लुक दिया जा सकता है.

मौड्यूलर किचन का बजट मुख्य रूप से इस के साइज पर निर्भर करता है. अगर आप 8×6 फुट का किचन बनवाना चाहती हैं तो इस की कीमत लगभग 1 लाख रुपए हो सकती है. जैसेजैसे आप के किचन का साइज बढ़ता है, इस की कीमत भी बढ़ती जाती है. लेकिन इस किचन को आप कम बजट व अपनी पसंद के अनुसार भी आसानी से तैयार करवा सकती हैं.

बाजार में आज आधुनिक और ट्रैंडी किचन ऐप्लाएंसेज की कमी नहीं है. ये ऐप्लाएंसेज आप के मौड्यूलर किचन को एक स्टाइलिश लुक देते हैं. आइए, एक नजर डालें, ऐसे ही कुछ ऐप्लाएंसेज पर.

माइक्रोवेव ओवन

सब से पहले यह जरूरी है कि आप यह तय कर लें कि आप माइक्रोवेव ओवन लेना चाहती हैं या सिंपल ओवन. ये दोनों अलगअलग काम करते हैं. सिंपल ओवन का काम सामान को बेक करना होता है, वहीं माइक्रोवेव ओवन में आप खाने की चीजों को गरम कर सकती हैं, उबाल सकती हैं और पका भी सकती हैं. मार्केट में कई कंपनियों के माइक्रोवेव ओवन उपलब्ध हैं, जिस की शुरुआत लगभग 3 हजार रुपए से है.

हुड्स ऐंड होब्स

हुड्स यानी चिमनी और होब्स यानी स्टोव्स (गैसचूल्हा). इन दोनों ऐप्लाएंसेज के बिना किचन अधूरी रहती है क्योंकि एक के बिना भोजन तैयार नहीं हो सकता तो दूसरे के बिना खूबसूरत किचन.

बाजार में बर्नर्स की भी कई किस्में उपलब्ध हैं, जैसा कि आप जानती ही होंगी कि पहले बर्नर ब्रास के बनाए जाते थे, लेकिन अब यह एलोय के बने होते हैं. इन की खासीयत यह होती है कि ये कभी काले नहीं पड़ते. इस के अलावा कई बर्नर वाले होब्स भी बाजार में आ रहे हैं. जिन की मदद से आप एक ही समय में 3-4 रैसिपीज बना सकती हैं. इस से आप के समय की काफी बचत होगी.

अगर चिमनी की बात की जाए तो इस में ज्यादा बदलाव तो नहीं हुए हैं, लेकिन फिल्टर वाली चिमनी आने लगी हैं जो धुएं को बाहर निकालने की जगह घर के वातावरण में ही घुला देती हैं, वह भी वातावरण को बिना नुकसान पहुंचाए.

एयरफ्रायर

यह आधुनिक रसोई में एक बेहतरीन उपकरण है. साथ ही, यह कई सारे भारतीय व्यंजनों को पकाने में तेल की 80 फीसदी तक बचत करता है. पैटेंटेड रैपिड एयर तकनीक से सुसज्जित यह उपकरण तीव्रता से घूमता हुआ गरम हवा को ग्रिल ऐलिमैंट के साथ जोड़ कर तेलरहित स्वादिष्ठ फ्राइड फूड पकाता है. इस की कीमत बाजार में 14,995 रुपए से शुरू होती.

फ्रिज

बदलते वक्त के साथ अब लोगों की जरूरतें भी बदलती जा रही हैं, खासकर फूड हैबिट की. अब लोग विधिपूर्ण खाना पकाने से ज्यादा ‘रेडी टु ईट’ फूड खाना पसंद कर रहे हैं, जिन्हें फ्रिज में ही स्टोर कर के रखना होता है. रसोई में यह सब से जरूरी चीज है. मार्केट में एक नौर्मल फ्रिज 8 हजार रुपए में उपलब्ध है.

हैंडब्लैंडर

किसी चीज को छोटेछोटे टुकड़ों में काटना हो या फिर पेस्ट तैयार करना हो, अब यह मिनटों का खेल है. हैंड ब्लैंडर तकनीक ने इस काम को काफी आसान बना दिया है. मार्केट में अलगअलग कंपनियों के हैंड ब्लैंडर अलगअलग रेंज में उपलब्ध हैं. इस की शुरुआती कीमत 700 रुपए है.

इलैक्ट्रिक केटल

रसोई में केटल आजकल जरूरी ऐप्लाएंसेस में से एक है. इस में पानी, दूध, चाय, कौफी व मैगी आसानी से बनाई जा सकती है. ये 700-2500 रुपए के बीच उपलब्ध हैं.

रोटी मेकर

आज के जमाने में रोटी बनाना भी आसान हो गया है. अब रोटी बनाने के लिए बारबार बेलने की जरूरत नहीं है. बस, आटे की लोई को मशीन में रख कर दबाया और रोटी तैयार. अगर आप रोटी मेकिंग मशीन खरीदना चाहती हैं तो इस की कीमत 1 हजार रुपए रुपए से शुरू होती है.

मिक्सर ग्राइंडर

मिक्सर ग्राइंडर किचन के उपयोगी उपकरणों में से एक है. इस के बिना किचन अधूरी है. मार्केट में यह 2 हजार से ले कर 5 हजार रुपए तक के बीच उपलब्ध हैं.

मौडर्न कुकर

कुकर 2 तरह के होते हैं. पहला इलैक्ट्रिक कुकर और दूसरा स्टीम कुकर. इलैक्ट्रिक कुकर में चावल, पुलाव इत्यादि बनाना आसान होता है. वहीं, स्टीम कुकर में खासकर स्टीम प्रोडक्ट, जैसे मोमोज, इडली इत्यादि बनाना आसान होता है. इसलिए इसे खरीद कर आप अपनी रसोई को ईजी टू कुक बना सकती हैं.

इलैक्ट्रिक तंदूर

आज के समय में संभव नहीं है कि किचन में तंदूर रखा जाए. इसलिए तंदूरी व्यंजन बनाने के लिए मार्केट में इलैक्ट्रिक तंदूर आ गए हैं. इस की मदद से अलगअलग प्रकार के तंदूरी व्यंजन तुरंत तैयार हो जाते हैं. इस की शुरुआती कीमत 3 हजार रुपए है.

मेजरिंग इक्विपमैंट

कभीकभी खाना बनाते समय समझ नहीं आता कि चीजों को किस अनुपात में मिक्स किया जाए. अगर किसी भी चीज को थोड़ा ज्यादा डाल दिया जाए तो खाने में मजा नहीं आता. इसलिए रसोई में मेजरिंग इक्विपमैंट जरूर रखें.

आइसक्रीम मेकर

आधुनिक रसोई में यह एक नई तकनीक आई है. इस में बिना फ्रिज के भी आसानी से आइसक्रीम बनाई जा सकती है. मार्केट में आइसक्रीम मेकर की कीमत 4 हजार रुपए से शुरू होती है.

कुछ ऐसे रखें किचन

किचन में आधुनिक उपकरण लगाने के साथसाथ जरूरी है कि उसे अच्छी तरह से सजाया भी जाए ताकि वह ट्रैंडी के साथसाथ व्यवस्थित भी नजर आए. किचन की दीवारें हमेशा लाइट कलर की रखें ताकि कीड़ेमकोड़े और गंदगी का पता जल्दी चल सके.

किचन ऐसी हो कि उस में स्वच्छता और हाईजीन साफ नजर आए. इसलिए साफसफाई का ध्यान रखें. किचन को प्रदूषणरहित रखने के लिए चिमनी लगवा लें ताकि किचन धुआंरहित रहे. किचन की दीवार पर एक सुंदर बड़ा प्लानर लगा लें ताकि उस पर गैस लगाने की तिथि, अखबार, दूध वाले और हाउस हैल्पर के पैसे की तिथि नोट की जा सके. किचन में रेडियो या टैलीविजन का स्पीकर लगवा लें, इस से आप काम के साथ एंजौय भी कर सकती हैं.

अब जमाना बदल रहा है तो फिर आप का किचन क्यों पीछे रहे. देर किस बात की. आज ही अपने किचन का कायापलट कर डालिए और आधुनिक उपकरणों का मजा लीजिए.     

स्वाद के साथ सेहत भी परोसें

स्वस्थ शरीर जिम में नहीं रसोई में बनते हैं और हर होममेकर चाहती है कि उस की रसोई से उस के परिवार को स्वास्थ्य मिले. आइए जानें रसोई से अपने परिवार को सेहत व स्वाद कैसे परोसें?

रसोई को घर के दिल की धड़कन इसलिए कहा गया है क्योंकि किसी भी घर में यही वह जगह होती है जहां से हंसीखुशी, आनंद, स्वाद के अलगअलग चटखारों के साथ ही स्वास्थ्य भी परोसा जाता है. सच यह भी है कि स्वस्थ शरीर जिम में नहीं रसोई में बनते हैं.

दरअसल, रसोई ही वह महत्त्वपूर्ण जगह होती है जहां से अगर स्वस्थ, पौष्टिक व साफसुथरा खाना परोसा जाए तो पूरे परिवार को स्वास्थ्य का उपहार मिलता है. वहीं यह भी सच है कि इसी जगह में खाना बनाते समय हुई चूक और सही पोषक तत्त्वों का अभाव परिवार के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ का कारण बन सकती है.

यदि आप भी अपनी रसोई से अपने परिवार को सेहत व स्वास्थ्य परोसना चाहती हैं तो अपनी रसोई को बनाएं हैल्दी रसोई. अब आप कहेंगे क्या रसोई भी स्वस्थ होती है. जी हां, वह रसोई स्वस्थ होती है जहां साफसफाई, स्वच्छता और भोजन की पौष्टिकता का पूरा ध्यान रखा जाता है. स्वस्थ रसोई के लिए आज बाजार में अनेक ऐसे स्मार्ट प्रोडक्ट्स मौजूद हैं जिन से समय की बचत होने के साथसाथ आप को मिलते हैं सेहत, स्वाद और स्वास्थ्यवर्द्धक जीवनशैली.

हैल्थफ्रैंडली गैजेट्स

हैल्दी भोजन परोसने में आधुनिक किचन प्रोडक्ट्स मददगार साबित होते हैं. ये न केवल हैल्दी कुकिंग को कम चैलेंजिंग बनाते हैं बल्कि समय की भी बचत करते हैं. माइक्रोवेव भोजन के न्यूट्रीएंट्स को बरकरार रखते हुए पूरे परिवार को स्वास्थ्यवर्द्धक व स्वादिष्ठ भोजन परोसने में मदद करता है. इस के अलावा वैजिटेबल स्टीमर, फूड प्रोसैसर, मिक्सर, जूसर ग्राइंडर, इंडक्शन कुकर, टोस्टर, सैंडविच मेकर, सलाद चौपर आदि कुकिंग में लगने वाली मेहनत को कम करते हैं और कुकिंग के काम को आसान व रोचक बनाते हैं.

बाजार में मिलने वाला औयल मिस्टर आप के भोजन से अतिरिक्त फैट को कम कर के आप को कम तेल प्रयोग करने का अवसर देता है. इस की मदद से खाना बनाने वाले बरतन में तेल का केवल स्पे्र होता है जिस से आप को पौष्टिक भोजन मिलता है. बाजार में मिलने वाले इन आधुनिक उपकरणों की मदद से आप हैल्दी स्नैक्स, जूस, स्मूदी, सलाद, बना सकते हैं. फूड प्रोसैसर की मदद से आप सब्जियों और फलों को कुछ मिनटों में चौप ऐंड चर्न कर सकते हैं.

अगर बरतनों की बात की जाए तो आजकल मार्केट में ऐसे बरतन मौजूद हैं जो कम तेल सोखने के साथसाथ गंधरहित, माइक्रोवेवपू्रफ, जर्म फ्री व ईकोफ्रैंडली होते हैं. इस के अलावा ऐसे किचन स्टोरेज कंटेनर्स भी बाजार में मौजूद हैं जो फूड ग्रेड, नौन टौक्सिक, माइक्रोवेव सेफ होने के साथ आकर्षक भी होते हैं. इन बरतनों व कंटेनर्स में रखा परोसा गया भोजन आप को बेहतर स्वास्थ्य का उपहार देता है.

ये किचन गैजेट्स उन महिलाओं के लिए बहुत ही मददगार साबित होते हैं जिन्हें घर के साथसाथ कामकाजी होने का भी मोरचा संभालना पड़ता है. समय की कमी होने पर ये सभी उपकरण उन्हें अपने परिवार को घर का बना पौष्टिक खाना परोसने में मदद करते हैं और पति व बच्चों को स्वास्थ्यवर्द्धक खाना न परोस पाने के अपराधभाव से बचाते हैं.

रसोई में साफ और स्वास्थ्यवर्धक खाना बनाने की पहली जरूरत है उस का साफसुथरा होना, क्योंकि स्वच्छ परिवेश में ही खाना बनाने की स्वस्थ प्रक्रिया हो सकती है. चिकित्सकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एकमत राय है कि पेट व आंत संबंधी संक्रमणों से बचने के लिए रसोई में स्वच्छता बेहद जरूरी है. देखने में साफ दिखने वाली रसोई वास्तव में साफ हो, यह जरूरी नहीं है. रसोई के सिंक में बहुत देर तक भीगे बरतन, मिक्सर व जूसर, ग्राइंडर में बचे खाद्य कण, जीवाणु व कीटाणुओं के जन्म लेने व कई रोगों का कारण बन सकते हैं. हानिकारक माइक्रोऔरगेनिज्म लकड़ी के बोर्ड पर पैदा होते हैं, इस से भोजन के संक्रमित होने का खतरा रहता है.

हैल्दी किचन प्रोडक्ट 

रसोई में इस्तेमाल किए जाने वाले बरतनों और उपकरणों को हैल्दी किचन जैल से अच्छी तरह धोएं. आजकल बाजार में कई कंपनियों के डिश जैल मौजूद हैं जो कीटाणुओं को नष्ट करने के साथसाथ बरतनों को साफ कर के चमकदार बनाते हैं. ये प्रोडक्ट हैल्दी कुकिंग व हैल्दी सर्विंग में मदद करते हैं. इन प्रोडक्ट के प्रयोग से बरतन, सिंक, कुकिंग टौप्स व स्लैब्स से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और आप को मिलता है बेहतर स्वाद व अच्छी सेहत.

एक मशहूर कंपनी की होम हाइजिन स्टडी के अनुसार, घरों में रसोई की साफसफाई में प्रयोग किए जाने वाले कपड़े सब से अधिक संक्रमित होते हैं और इन कपड़ों का इस्तेमाल खाद्यपदार्थों में संक्रमण के पनपने की आशंका को बढ़ा देता है. इन सभी कपड़ों को डिसइन्फैक्ट क्लीनर से साफ करना आवश्यक होता है क्योंकि स्वस्थ व साफ रसोई में ही स्वास्थ्य के राज छिपे होते हैं. इसलिए साफ दिखने वाली रसोई का वास्तव में साफ व स्वच्छ होना जरूरी है.

हर रसोई कुछ कहती है

बचपन में मेरे पास एक किचन सैट था जो मुझे मेरी मां ने गिफ्ट किया था. उस किचन सैट से जुड़ी यादें, भावनाएं आज भी मेरे जेहन में ताजा हैं. विवाह के बाद अपनी रसोई डिजाइन करवाते समय मैं ने अपने डिजाइनर से उन्हीं खास यादों, रंगों, खुशनुमा पलों को समेटने को कहा ताकि वे यादें, खुशनुमा पल मेरी जिंदगी, मेरे परिवार में हमेशा रहें और मैं अपने परिवार को वे सारी खुशियां अपनी रसोई के माध्यम से परोस सकूं जो मैं अपने छोटे से किचन सैट से खेलखेल कर महसूस करती थी.

आप हैरान हो रहे होंगे कि क्या बचपन की यादों का रसोई की डिजाइन पर असर होता है. जी हां, वास्तव में ऐसा होता है. रसोई के डिजाइन के पीछे हर व्यक्ति की एक मनोवैज्ञानिक सोच होती है जो उस के आपसी रिश्तों, आदतों, सेहत पर प्रभाव डालती है. कोई भी व्यक्ति ऐसी रसोई कभी नहीं चाहेगा जो उसे उस स्थान की याद दिलाए जहां उस ने अपने मातापिता को सदैव लड़तेझगड़ते देखा था. हर व्यक्ति ऐसी रसोई चाहता है जहां से पूरे परिवार की खुशियां जुड़ी हों और जहां से आने वाले व्यंजनों की खुशबू सारी चिंताओं को दूर कर के आपसी रिश्तों में मिठास भर दे. इसलिए एक अच्छा किचन डिजाइनर किसी के लिए भी किचन डिजाइन करते समय उस के परिवार की जरूरतों, उस के इतिहास, उस के स्वभाव व आपसी रिश्तों की जानकारी भी लेता है.

किचन रिवोल्यूशन

रसोई डिजाइन करते समय इस बात का ध्यान भी रखा जाता है कि उस में अधिक से अधिक सामान आ जाए और वह फैलीफैली न लगे. एक ऐसी रसोई जिस के रंग, लाइट, खिड़कियां, वहां रखा सामान काम करने वाले की मनोवैज्ञानिक जरूरत के आधार पर हों तो वे उस व्यक्ति को सेहतमंद व स्वादिष्ठ खाना बनाने के लिए प्रेरित करते हैं.

आजकल किचन डिजाइन करते समय बोरियत से बचने के लिए मनोरंजन के संसाधन भी रखे जाने लगे हैं. यानी किचन जितनी स्टाइलिश और जरूरतों के आधार पर होगी, कुकिंग उतनी ही मजेदार होगी और रिश्तों में उतनी ही प्रगाढ़ता आएगी. इसलिए समय के साथ चलने के लिए किचन का कायाकल्प मनोवैज्ञानिक जरूरतों के आधार पर करना होगा.

रस्टिक किचन

यह किचन उन महिलाओं के लिए डिजाइन की जाती है जिन के पास समय की कमी होती है और वे रसोई का प्रबंधन ढंग से नहीं कर पातीं. यह किचन कौंसैप्ट आधुनिक होममेकर्स के लिए एक वरदान है. रस्टिक किचनवेयर में अर्दनवेयर पोट्स को सजावट के लिए प्रयोग किया जाता है. रस्टिक लुक के लिए कैबिनेट्स में ट्रैडिशनल लुक वाले हैंडल्स व नौब्स प्रयोग किए जाते हैं.

जैसा स्वभाव वैसी किचन

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जो लोग अंतर्मुखी होते हैं वे नहीं चाहते कि उन्हें किचन में खाना पकाते या उस की तैयारी व साफसफाई करते समय कोई देखे. इसलिए वे किचन ऐसी जगह पर चाहते हैं जहां से घर के मेहमान उन्हें खाना बनाते समय न देख सकें. और वे मेहमानों को बिना देखे ही उन से बात करना चाहते हैं. इसे उन का अक्खड़ स्वभाव न समझें, यह उन का जन्मजात स्वभाव है. इस के विपरीत वे लोग जो बहिर्मुखी हैं वे चाहेंगे कि उन की किचन घर के ऐसे स्थान पर हो जहां से मेहमान उन्हें देख सकें और वे वहीं से उन्हें देखते हुए बातें कर सकें.

मनोवैज्ञानिक प्रांजलि मल्होत्रा इस विषय पर कहती हैं, ‘‘पुराने समय से किचन को हमारे घरों का सब से पवित्र और शुद्ध हिस्सा माना जाता रहा है. इस का स्थान हमेशा ऐसी जगह पर होता है जो वेलकमिंग हो. किसी गृहिणी की किचन साफसुथरी, सिस्टेमैटिक और वैलडैकोरेटेड होती है तो उस किचन से अच्छी भावनाएं आती हैं. अगर किचन का रंग, डैकोरेशन गृहिणी की पसंद का होता है, उस में अच्छी सनलाइट आ रही होती है तो वह अपनी कुकिंग को एंजौय करती है, कुकिंग में नएनए ऐक्सपैरिमैंट करती है, उसे खाना बनाना एक बोझ नहीं लगता. यही नहीं, खाना बनाने में मिलाया गया प्यार का रस घर के सदस्यों में आपसी स्नेह को भी बढ़ाता है. इस के विपरीत जब किचन किसी होममेकर की मनोवैज्ञानिक सोच के आधार पर डिजाइन नहीं होती, उस का रंग, लाइट, उस की पसंद का नहीं होता तो वह तनाव व गुस्से में भोजन पकाती है जिस का विपरीत और नकारात्मक असर घर के सदस्यों के स्वास्थ्य और आपसी रिश्तों पर पड़ता है.’’

इंटीरियर डिजाइनर सोनिया किचन डिजाइन के पीछे छिपी मनोवैज्ञानिक सोच के बारे में कहती हैं, ‘‘किचन का जितना अच्छा डिजाइन होगा पतिपत्नी के बीच उतना ही अधिक प्यार बढ़ेगा जैसे लाइट पिंक रंग अगर किचन में कराया जाए तो वह कुकिंग करने वाले को शांत रखता है और घर में प्यार बढ़ता है जबकि किचन में डार्क रंग कुकिंग करने वाले को हाइपर बनाते हैं.’’ किचन डिजाइन करते समय हम घर के सदस्यों की सोच, उन की पसंद का ध्यान रखते हैं क्योंकि यह सोच उन के आपसी रिश्तों और घर के सदस्यों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है. अगर किचन में म्यूजिक व डिजाइनर क्रौकरी का इस्तेमाल किया जाता है तो खाना बनाने वाला कुकिंग को एंजौय करता है. कुल मिला कर किचन छोटी हो या

बड़ी, वह परिवार की मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक जरूरतों को पूरा करती है, इसलिए वह जगह जहां से पूरे घर के लोगों को स्वाद और सेहत परोसी जाती है, ऐसी होनी चाहिए जो कुकिंग करने वाले का परफैक्ट मूड बनाए ताकि गृहिणी घर के सदस्यों को एक से बढ़ कर एक स्वाद परोस सके. 

रोशनी हो ऐसी

रसोई में परफैक्ट लाइटिंग, कुकिंग करने वालों और भोजन खाने वालों के बीच के रिश्तों को मजबूत बनाती है. ब्राइट लाइट ग्लास व हलके रंगों के वुड के साथ परफैक्ट मैच करती है. जबकि गहरे रंगों की लाइट वाइब्रैंट वुड वर्क व ऐप्लाएंस के साथ मैच करती है. इसीलिए डिजाइनर्स आजकल किचन की डिजाइन करते समय मानव मूड पर रोशनी के महत्त्वपूर्ण प्रभाव की महत्ता को समझते लाइट को महत्त्वपूर्ण स्थान देने लगे हैं.

मनोवैज्ञानिक सोच

रंगों के जानकार कहते हैं कि अगर आप के जेहन में किचन की अच्छी यादें हैं तो आप बड़े हो कर भी उन्हीं रंगों को अपनी किचन में अपनाना चाहेंगे. जैसे अगर आप सफेद और नीले रंग की किचन को देखते हुए बड़े हुए हैं और उस किचन से आप की अच्छी यादें जुड़ी हैं तो आप अपनी किचन में नीला और सफेद रंग ही चाहेंगे. ऐसा करना आप के और आप के परिवार के लिए भी खुशियों को आमंत्रण देगा. अगर आप की यादों में कोई विशेष रंग नहीं है तो लाल व पीला रंग आप के लिए बेहतर रहेगा.

वहीं, अगर आप अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं और वजन पर नियंत्रण करना चाहते हैं तो लाल रंग किचन में हरगिज न करवाएं क्योंकि कंसल्टैंट्स कहते हैं कि लाल रंग परिवार के सदस्यों को ज्यादा खाने के लिए प्रेरित करता है. आप ने देखा होगा कि अधिकांश रैस्टोरैंट्स और ईटिंग जौइंट्स के डिजाइन में लाल रंग का इस्तेमाल किया जाता है. अलगअलग रंग व्यक्ति के मूड पर अलगअलग तरह से प्रभाव डालते हैं. जैसे, अगर आप अपने परिवार के सदस्यों व मेहमानों की भूख बढ़ाना चाहते हैं तो अपनी किचन में लाल रंग का तड़का लगाइए. अगर आप सौफिस्टिकेटेड लुक चाहते हैं तो हलके रंगों का इस्तेमाल कीजिए. अगर आप किचन को ऐक्सपैंसिव लुक देना चाहते हैं तो ब्राइट कलर्स का प्रयोग करें क्योंकि ये फ्रैंडली व हैप्पी कलर्स माने जाते हैं. ये रंग घर के सदस्यों के बीच संवाद कायम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.    

पाठकों की समस्याएं

मैं 23 वर्षीय युवती हूं. मेरी समस्या यह है कि मैं एक ऐसे लड़के से प्यार करती हूं जो विवाहित है और उस के 3 बच्चे हैं. वह भी मुझ से बहुत प्यार करता है. हम दोनों विवाह करना चाहते हैं पर हमारे मातापिता को यह विवाह मंजूर नहीं है क्योंकि हम दोनों अलगअलग जाति के हैं. हम एकदूसरे के बिना रहने की कल्पना नहीं कर सकते लेकिन साथ ही अपने मातापिता की इच्छा के खिलाफ भी नहीं जाना चाहते. आप ही बताएं, हम क्या करें?

विवाहित, 3 बच्चों के पिता से प्यार कर के आप नादानी कर रही हैं. जो पुरुष अपने परिवार, पत्नी के साथ धोखा कर सकता है, इस बात की गारंटी नहीं है कि वह आप के प्रति वफादार रहेगा और आगे किसी और के प्यार के चक्कर में नहीं पड़ेगा.

आप अभी युवा हैं, आप के पास और बेहतर विकल्प हो सकते हैं. इसलिए मातापिता की इच्छा मान कर इस विवाह के बारे में भूल जाइए और एक सही जीवनसाथी की तलाश कीजिए या फिर उस प्रेमी को कहें कि वह पहले अपनी पत्नी से तलाक ले, फिर आप के साथ प्रेम करे. तलाक लेना हंसीखेल नहीं है.

मैं 35 वर्षीय विवाहित पुरुष हूं. शादी को 10 वर्ष हो चुके हैं. मेरा एक बेटा भी है. मैं अपनी पत्नी से बहुत परेशान हूं. वह मुझ से गलत ढंग से बात करती है. संभोग के समय साथ नहीं देती है, हमेशा पैसे की बात करती रहती है. उसे सिर्फ पैसे से मतलब है. इसी बीच मेरे पास एक लड़की का फोन आने लगा है. 20 वर्षीय यह लड़की एक अमीर खानदान से है और 12वीं कक्षा में पढ़ रही है. हालांकि मैं भी उस से प्यार करने लगा हूं. मैं ने उसे अभी तक देखा नहीं है. वह मुझे मिलने के लिए अपने घर बुला रही है. मैं क्या करूं?

कई बार पत्नी किसी विशेष कारण से पति से शादी के समय से ही नाराज रहती है, इस का कारण ढूंढ़ना आसान नहीं है. पत्नी से बारबार खुल कर बात करें ताकि कुछ तो पता चले. जहां तक 20 वर्षीय लड़की से प्यार की बात है, यह कृत्य बेमतलब का है. सिर्फ फोन पर बात कर के बिना देखेजाने आप को उस से प्यार हो गया. वह लड़की तो सिर्फ मजे ले रही है पर आप तो समझदारी की बात कीजिए.

 

मैं 19 वर्षीय अविवाहित लड़की हूं और पिछले 2 वर्षों से एक लड़के से प्यार करती हूं. हमारे बीच शारीरिक संबंध भी बन चुके हैं. लेकिन मेरे घर वाले मेरा विवाह कहीं और कर रहे हैं. मैं अपने विवाह को ले कर बहुत परेशान हूं. सलाह दीजिए, मैं क्या करूं?

आप अपने मातापिता को अपने प्रेम संबंधों के बारे में बताएं. यदि वह लड़का इस काबिल नहीं कि मातापिता उस से ही आप का विवाह करा सकें तो यह संबंध भूल जाएं. विवाहपूर्व शारीरिक संबंध बनाना गलत है. पर विवाह के बाद अपने विवाहपूर्व संबंधों की चर्चा कभी भी किसी से न करें, खासकर पति से.

 

मैं 21 वर्षीय विवाहित महिला हूं और पिछले 8 वर्षों से 1 लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे बहुत प्यार करता है. मैं उस के बिना जी नहीं सकती. अगर एक दिन भी उस से बात नहीं करती हूं तो परेशान हो जाती हूं. हमारे शारीरिक संबंध भी हैं और 1 महीने का बेटा भी है. वह यह नहीं बताता कि वह विवाहित है या नहीं. इसलिए हम दोनों विवाह भी नहीं कर सकते. मैं अपने पति को बिलकुल पसंद नहीं करती और न ही उन से शारीरिक संबंध बनाना मुझे अच्छा लगता है. वह मुझ से और बच्चे दोनों से प्यार करता है लेकिन मुझे मेरे पति के साथ देख नहीं सकता. साथ ही, वह यह भी कहता है कि मैं अपनी जिंदगी खराब न करूं और अपने पति के साथ ही रहूं. जबकि मैं अपनी जिंदगी से खुश नहीं हूं और सोचती हूं कि अपने पति को तलाक दे दूं. क्या ऐसा करना ठीक होगा? सही सलाह दीजिए.

जब आप का विवाहपूर्व अफेयर था तो आप ने किसी अन्य के साथ विवाह कर के उस की जिंदगी क्यों बरबाद की? यह आप की सब से बड़ी गलती थी. और अब जब आप का विवाह हो चुका है तो अब भी आप पूर्व प्रेमी से संबंध बनाए हुए हैं और पसंदनापसंद की बात कर रही हैं. आप का प्रेमी भी अजीब है जो आप को पति के साथ भी नहीं देख सकता और साथ ही आप को उन के साथ ही रहने को भी कह रहा है. आप उस से साफसाफ दोटूक शब्दों में बात करें कि आखिर वह चाहता क्या है?

उस की बातों से लग रहा है कि वह आप से मजे ले रहा है. इसलिए उस से संबंध तोड़ लेने में ही समझदारी होगी और पति से तलाक की बात भी दिमाग से निकाल दें बल्कि पति के साथ ही खुश रहने के बारे में सोचें.

 

मैं 28 वर्षीय कामकाजी युवती हूं और अपने से 3 वर्ष छोटे युवक से प्यार करती हूं. शुरुआत में उस ने मुझ से कहा था कि वह मुझ से विवाह करेगा लेकिन अब मैं जब भी विवाह के बारे में कोई भी बात करती हूं तो वह बेरुखी दिखाता है और परिवार वालों की रजामंदी की बात करता है. मुझे लग रहा है कि वह मुझ से शादी नहीं करना चाहता, मुझे धोखा दे रहा है. क्या मुझे उस से रिश्ता तोड़ लेना चाहिए?

आप की बातों से लगता है कि उस लड़के का आप के प्रति आकर्षण मात्र था, प्यार नहीं. वह आप के साथ सिर्फ टाइम पास कर रहा था. इसलिए उसे भूल जाने और उस से रिश्ता तोड़ लेने में ही आप की भलाई है. जहां तक विवाह के लिए पारिवारिक रजामंदी की बात है तो वह उस का आप से दूरी बनाने का बहाना मात्र है. इसलिए समय रहते संभल जाइए, यही आप के पक्ष में होगा.

हुस्न और कार का क्रेज

आटोमोबाइल की दुनिया में नई तकनीक और हाइटैक फीचरों से लैस कार और मोटरसाइकिल का जलवा अगर कहीं दिखता है तो वह है आटो एक्सपो. रंगीन गाडि़यों और खूबसूरत मौडलों से सजा यह मेला हर खासोआम के लिए आकर्षण के ढेरों इंतजाम मुहैया कराता है.

इस बार के आटो एक्सपो 2014 में 24 देशों से 1,500 कंपनियों ने 50 से अधिक वैश्विक ब्रैंड पेश किए. इस के अलावा 58 नई कार के साथसाथ 9 कौन्सैप्ट और 12 पर्यावरण अनुकूल गाडि़यों ने इस आटो एक्सपो को खास बना दिया.

साल दर साल सुपर कार और बाइक के मामले में हाइटैक होता आटो एक्सपो इस बार कुछ जुदा अंदाज में नजर आया. यानी पिछली बार की तरह इस का वेन्यू प्रगति मैदान नहीं बल्कि ग्रेटर नोएडा में रहा. इस से इस एक्सपो को बड़ा प्लेटफौर्म मिला. 5 से 11 फरवरी के दौरान चले इस एक्सपो में करीब साढ़े 5 लाख लोगों ने शिरकत की. इतना ही नहीं, मेले के दौरान अक्षय कुमार, सचिन तेंदुलकर और प्रियंका चोपड़ा जैसे कलाकारों की मौजूदगी ने इस की रौनक में चारचांद लगा दिए. इस आटो एक्सपो की खासीयत यह भी रही कि विश्वप्रसिद्ध ब्रैंड हार्ले डेविडसन ने पहली बार भारत में बनी बाइक भी शोकेस की. ?इस ने रफ्तार के शौकीन युवाओं का दिल जीत लिया.  

समलैंगिकता – अपराधों को निमंत्रण

रवि (बदला हुआ नाम) पुलिस गिरफ्त में अपने किए पर माफी मांग कर खुद को छोड़ने की गुहार लगा रहा था. गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में रहने वाला रवि एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर था. उस के परिवार में पत्नी व 1 बेटा है. उस की जिंदगी में वह सबकुछ था जिन के हर कोई सपने देखता है, लेकिन रवि के मन में कुछ और ही हसरतें थीं.

अप्राकृतिक संबंध बनाने के लिए उस ने एक साथी की खोज शुरू कर दी. वैबसाइट के जरिए उस का संपर्क डेविड से हुआ. बातचीत के बाद दोनों ने अंतरंग संबंध बना लिए. पैसे वाले एक इंजीनियर के संबंधों से डेविड के मन में लालच ने जन्म ले लिया. उस ने संबंध बनाते समय रवि की कुछ नग्न तसवीरें उतार लीं. रवि के तब होश उड़ गए जब डेविड ने उस की तसवीरें उजागर करने के बदले रुपयों की मांग की.

रवि ने बदनामी से बचने के लिए अपनी पत्नी के 10 लाख रुपए के आभूषण डेविड के हवाले कर दिए.

रवि ने पुलिस को बताया कि 2 बदमाशों ने हथियारों की नोंक पर उस से आभूषण लूट लिए. उस का मकसद पत्नी की नजरों में पाकसाफ बने रहना था. पुलिस ने जांच की और कौल डिटेल के जरिए डेविड तक पहुंची, तो सारा राज खुल गया. लिहाजा, पुलिस ने रवि को गिरफ्तार कर लिया.

समलैंगिक रिश्तों में गंवाई जान

हंसमुख स्वभाव के एमबीबीएस, एमडी डा. अक्षय राजवंशी का उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में अपना अस्पताल था. उन की पत्नी प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञा थीं. अकसर रात 8 बजे तक घर पहुंचने वाले डा. अक्षय उस दिन देर रात तक घर नहीं पहुंचे. स्टाफ के अनुसार, वे लेबररूम में आराम करने गए थे. किसी काम से जब नर्स अंजुम लेबररूम में पहुंची, तो अक्षय की लाश नग्नावस्था में पड़ी हुई थी. इस हालत में डा. अक्षय को देख कर वह चौंक गई. इस बात की जानकारी तुरंत पुलिस को दी.

कुछ देर बाद मौके पर पुलिस पहुंच गई. डा. अक्षय के बराबर में पड़े अंडरवियर व पेंट पर वीर्य के धब्बे थे. रूम में अंगरेजी शराब की बोतल व सिगरेट के पैकेट पड़े थे. शुरुआती जांच में पता चला कि हीटर के तार से डा. अक्षय का गला घोंट कर हत्या की गई है.

शराब व सैक्स से शुरू हुई जांच में पुलिस ने लड़कियों जैसे हावभाव वाले युवक नूर मोहम्मद उर्फ चांदनी व साबिर को गिरफ्तार कर लिया. चांदनी लंबे अरसे से समलैंगिक रिश्तों का आदी था. समलैंगिकों की महफिल में उसे चांदनी के नाम से जाना जाता था. वह डांस पार्टियों में गानेबजाने का काम करता था. अक्षय राजवंशी भी समलैंगिक थे. चांदनी के शरीर में एलर्जी हो गई. उस ने अपने एक समलैंगिक साथी से सलाह ली, तो उस ने उस की मुलाकात डा. अक्षय से करा दी.

अगले दिन डा. अक्षय ने उसे आने के लिए कहा. वह आया तो डा. अक्षय उसे अपने प्राइवेट रूम में ले गए और शराब पी कर कामोत्तेजक दवाइयां खा कर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाए. चलते समय खुश हो कर अक्षय ने उसे कुछ रुपए भी दिए. अगले दिन भी उसे अक्षय ने बुलाया और संबंध बनाए. एक दिन अक्षय ने चांदनी को फोन कर के बुलाया, लेकिन चांदनी ने तबीयत खराब का बहाना बनाया, तो उस से अपने जैसे किसी और को भेजने के लिए कहा. चांदनी ने अपने गे साथी साबिर को जाने के लिए तैयार कर लिया.

डा. अक्षय उसे अपने लेबररूम में ले गए. दोनों ने साथ शराब पी. डा. अक्षय ने उस के साथ शारीरिक संबंध बनाए. साबिर जाने की जिद करने लगा, लेकिन अक्षय उसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए. इस बीच साबिर के मन में लालच भी आ गया. अक्षय की जिद से जब वह बौखला गया, तो उस ने हीटर का तार निकाल कर अक्षय के गले में फंदा बना कर कस दिया. नशे के चलते अक्षय ज्यादा विरोध नहीं कर सके और उन की मौत हो गई. उस के बाद साबिर अक्षय के गले से सोने की चेन, 4 अंगूठियां, मोबाइल फोन और पर्स निकाल कर वहां से निकल लिया. डा. अक्षय के ऐसे रिश्ते न होते तो उन्हें जान न गंवानी पड़ती.

सहेली के सीने में दागी गोली

समलैंगिक रिश्तों से स्त्रीपुरुष दोनों ही अछूते नहीं हैं. गोंडा जिले के महल्ला इस्माइलगंज निवासी 36 वर्षीया खूबसूरत दीपा सिंह (शादीशुदा) अपने घर में थी. तभी उस की सहेली सुमन, जोकि ग्राम कटरा शबाजपुर की प्रधान थी, कार में सवार हो कर चालक शिवम मिश्रा को ले कर वहां आई और दीपा के सीने में गोली दाग कर उस की हत्या कर दी. पुलिस ने सुमन को गिरफ्तार कर लिया. हत्या की जो वजह उस ने कुबूली उस से पुलिस और समाज दोनों ही दंग रह गए. सुमन व दीपा के समलैंगिक रिश्ते थे. बेवफाई से बौखला कर उस ने अपराध को जन्म दिया.

निकाह बना जान का दुश्मन

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2 युवकों के बीच गहरी दोस्ती थी. दोस्ती समलैंगिक रिश्तों में बदल गई. बात तब खुली जब जमील (बदला हुआ नाम) एसएसपी के सामने अपनी व अपने परिवार की जान की सुरक्षा की फरियाद ले कर पेश हुआ. वह बेगम की भूमिका में था जबकि दूसरा साथी शौहर. दोनों ने गुपचुप ढंग से निकाह भी कर लिया था. बीवी बना जमील इन रिश्तों से ऊबने लगा और दूरियां बनाने लगा. उस के साथी ने विरोध के साथ उसे धमकाना शुरू किया तो वह पुलिस की शरण में आ गया. पुलिस ने दखल दे कर युवक को परेशान न करने की हिदायत दे कर मामले को किसी तरह निबटाया.

अदालत ने भी माना अपराध

कानूनी मान्यता समलैंगिकों को भले ही मिल गई हो लेकिन उस से उपजता इस तरह का अपराध समाज के लिए भी घातक ही कहा जाएगा. समलैंगिकता का कानूनी अधिकार पाने के लिए लड़ाई चल रही है. मौलिक अधिकारों का दावा कर के अदालत के दरवाजे पर ऐसे रिश्तों की दावेदारी पहुंची, तो समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की तरफदारी करने वालों को देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 28 जनवरी को यह कह कर झटका दे दिया कि समलैंगिकता अपराध ही रहेगी. भारतीय दंड विधान की धारा 377 वैधानिक है संसद चाहे तो इसे कानून की किताब से हटा सकती है. समलैंगिक रिश्ते से बहुत से अपराध पैदा होते हैं क्योंकि इस में दोनों साथी, चाहे मर्द हों या औरतें, बराबर की हैसियत के होते हैं और ऐसे में झगड़ा होना स्वाभाविक है. 

भारत भूमि युगे युगे

आजम की वीआईपी भैंसें
भैंस हमेशा से ही दूध के जरिए पैसा उगलने वाली मशीन रही है जिस के गुमने या चोरी होने पर पुराने जमाने के पशुपालकों को गश आ जाता था और वे नजदीकी पंडित, छोटेमोटे तांत्रिक या ओझा के पास भागते थे. वह 11 रुपए ले कर जिस दिशा की तरफ इशारा कर देता था, पशुपालक उसे ढूंढ़ने के लिए सपरिवार उधर चल पड़ता था. भैंस मिल जाती थी तो मान लिया जाता था कि पंडितजी बड़े सिद्ध हैं, वरना लोग खुद को ही कोस कर रह जाते थे.
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री आजम खान की भैंसें गुमीं तो खासा बवाल मचा, जिस से साबित यही हुआ कि भैंसें भी वीआईपी होती हैं और आजकल इन की खोज पुलिस वाले और कुत्ते करते हैं. शुक्र की बात यह रही कि भैंसें मिल गईं.
 
इश्तिहार और सियासत
एक मध्यवर्गीय मुसलिम युवती जैसी दिखनी चाहिए, वैसी गोआ की हसीबा बी अमीन हैं, जो कांग्रेस के इश्तिहार में खड़ी पूरी गंभीरता और आत्मविश्वास से कहती नजर आती हैं कि कट्टर सोच नहीं, युवा जोश चाहिए.
हसीबा चंद दिनों में ही ऐसी लोकप्रिय हो गईं कि उन पर पीडब्लूडी घोटाले में लिप्त होने का इलजाम लग गया और दूसरा यह भी कि कथित तौर पर वे जेल भी जा चुकी हैं. कट्टर सोच और युवा जोश चुनावी मुद्दे बनें, न बनें, हसीना जरूर चमक गई हैं. मुमकिन है उन्हें कांग्रेस चुनाव भी लड़ा डाले. 
घोटालेबाजी बड़ी बात या मुद्दा नहीं है, झंझट इस बात की है कि भाजपा किसी मुसलिम युवती को इस तरह के इश्तिहार में भी नरेंद्र मोदी के बगल में खड़ा नहीं कर सकती क्योंकि शायद ही कोई युवती इस के लिए तैयार हो.
 
संत की रासलीला
दुष्कृत्य को भी संत, बाबा और पुजारियों ने हमेशा से ही ईश्वरीय कार्य मान कर संपन्न किया है. त्रेता, द्वापर तो दूर की बात है कलियुग और उस में भी बीते 2 साल ऐसे प्रसंगों व उदाहरणों से भरे पड़े हैं. बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी केशव नम्बूदरी ने छेड़छाड़ करने के पहले शराब पीने की औपचारिक कार्यवाही पूरी की. फिर अपनी हैसियत के मुताबिक एक होटल व्यवसायी धनाढ्य महिला को आमंत्रित कर बलपूर्वक छेड़ा, जिस ने छिड़ने से इनकार कर दिया. नतीजतन, पंडितजी आलीशान होटल से सीधे अपने असल मुकाम तिहाड़ जेल पहुंच गए.
केशव युवा हैं. उन का नाम ही कृष्ण का पर्यायवाची है जो रास रचाने और गोपियों से छेड़छाड़ व प्रणय के लिए जाने व पूजे जाते हैं. ऐसे में वे बहक गए तो हैरत किस बात की. देशभर के धर्मगुरु यही कर रहे हैं, मानो यह उन का हक हो. धर्मग्रंथ भी कहते हैं कि स्त्री भोग की वस्तु है. लेकिन यदि वह जागरूक हो तो खतरा भी बन जाती है.
 
अडि़यल आडवाणी
राजनीतिक कैरियर खत्म करने का सम्मानजनक रास्ता है कि जिसे निबटाना हो उसे राज्यसभा भेज दो, जो वाकई वृद्धाश्रम है. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने तो इस सजा या इनाम को सिर झुका कर स्वीकार कर लिया लेकिन बुजुर्ग भाजपाई लालकृष्ण आडवाणी अड़ गए कि नहीं, राज्यसभा में नहीं जाऊंगा.
अब नरेंद्र मोदी खेमा अभी इतना ताकतवर भी नहीं हुआ है कि बातबात पर रूठ कर माहौल बिगाड़ने वाले आडवाणी की नई नाराजगी मोल ले. लिहाजा, खामोश रहा. इस से यह साफ हुआ कि अभी प्रधानमंत्री पद का मसला पूरी तरह सुलझा नहीं है और आडवाणी जैसे अनुभवी नेता पर पुराने टोटके नहीं चलेंगे.
 

राजन की घोषणा के बाद ढह गया बाजार

अमेरिकी राहत पैकेज को कम करने की घोषणा दुनियाभर के शेयरबाजारों के लिए संवेदनशील साबित हुई है और इस घोषणा के बाद दुनियाभर के बाजार धड़ाम से गिर गए. दूसरा असर जनवरी में ऊंचाई का नया रिकौर्ड कायम करने वाले भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा और रिकौर्ड ऊंचाई हासिल करने के महज कुछ ही सत्रों के बाद बौंबे बाजार यानी बीएसई का सूचकांक 26 जनवरी को 21 हजार के स्तर से गिर गया. बाजार का सूचकांक 427 अंक टूटा और सूचकांक 5 माह के न्यूनतम स्तर पर चला गया. बाजार में 3 सितंबर के बाद की यह सब से बड़ी गिरावट रही है.

इस के एक दिन बाद, 27 जनवरी को रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने महंगाई का हवाला दे कर अल्पकालिक ऋण दरों में एकचौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी. इस का सीधा असर बाजार पर पड़ा और सूचकांक 620 अंक टूट गया. दूसरी तरफ 2013 में बुनियादी उद्योग की विकास दर भी 2.1 प्रतिशत रही, जो पिछले 10 साल में सब से कम है, उस का भी बाजार पर बुरा असर हुआ. रुपया भी इस दौरान इस सप्ताह के न्यूनतम स्तर पर रहा.

बाजार में गिरावट का यह सिलसिला फरवरी में भी जारी रहा और 3 फरवरी को बाजार 305 अंक फिसल गया. इस के 2 दिन बाद लगातार 8 सत्र की गिरावट के बाद बाजार में कुछ सुधार हुआ लेकिन देखना यह है कि यह स्थिति कब तक बनी रह सकती है.       

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