रवि (बदला हुआ नाम) पुलिस गिरफ्त में अपने किए पर माफी मांग कर खुद को छोड़ने की गुहार लगा रहा था. गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में रहने वाला रवि एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर था. उस के परिवार में पत्नी व 1 बेटा है. उस की जिंदगी में वह सबकुछ था जिन के हर कोई सपने देखता है, लेकिन रवि के मन में कुछ और ही हसरतें थीं.

अप्राकृतिक संबंध बनाने के लिए उस ने एक साथी की खोज शुरू कर दी. वैबसाइट के जरिए उस का संपर्क डेविड से हुआ. बातचीत के बाद दोनों ने अंतरंग संबंध बना लिए. पैसे वाले एक इंजीनियर के संबंधों से डेविड के मन में लालच ने जन्म ले लिया. उस ने संबंध बनाते समय रवि की कुछ नग्न तसवीरें उतार लीं. रवि के तब होश उड़ गए जब डेविड ने उस की तसवीरें उजागर करने के बदले रुपयों की मांग की.

रवि ने बदनामी से बचने के लिए अपनी पत्नी के 10 लाख रुपए के आभूषण डेविड के हवाले कर दिए.

रवि ने पुलिस को बताया कि 2 बदमाशों ने हथियारों की नोंक पर उस से आभूषण लूट लिए. उस का मकसद पत्नी की नजरों में पाकसाफ बने रहना था. पुलिस ने जांच की और कौल डिटेल के जरिए डेविड तक पहुंची, तो सारा राज खुल गया. लिहाजा, पुलिस ने रवि को गिरफ्तार कर लिया.

समलैंगिक रिश्तों में गंवाई जान

हंसमुख स्वभाव के एमबीबीएस, एमडी डा. अक्षय राजवंशी का उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में अपना अस्पताल था. उन की पत्नी प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञा थीं. अकसर रात 8 बजे तक घर पहुंचने वाले डा. अक्षय उस दिन देर रात तक घर नहीं पहुंचे. स्टाफ के अनुसार, वे लेबररूम में आराम करने गए थे. किसी काम से जब नर्स अंजुम लेबररूम में पहुंची, तो अक्षय की लाश नग्नावस्था में पड़ी हुई थी. इस हालत में डा. अक्षय को देख कर वह चौंक गई. इस बात की जानकारी तुरंत पुलिस को दी.

कुछ देर बाद मौके पर पुलिस पहुंच गई. डा. अक्षय के बराबर में पड़े अंडरवियर व पेंट पर वीर्य के धब्बे थे. रूम में अंगरेजी शराब की बोतल व सिगरेट के पैकेट पड़े थे. शुरुआती जांच में पता चला कि हीटर के तार से डा. अक्षय का गला घोंट कर हत्या की गई है.

शराब व सैक्स से शुरू हुई जांच में पुलिस ने लड़कियों जैसे हावभाव वाले युवक नूर मोहम्मद उर्फ चांदनी व साबिर को गिरफ्तार कर लिया. चांदनी लंबे अरसे से समलैंगिक रिश्तों का आदी था. समलैंगिकों की महफिल में उसे चांदनी के नाम से जाना जाता था. वह डांस पार्टियों में गानेबजाने का काम करता था. अक्षय राजवंशी भी समलैंगिक थे. चांदनी के शरीर में एलर्जी हो गई. उस ने अपने एक समलैंगिक साथी से सलाह ली, तो उस ने उस की मुलाकात डा. अक्षय से करा दी.

अगले दिन डा. अक्षय ने उसे आने के लिए कहा. वह आया तो डा. अक्षय उसे अपने प्राइवेट रूम में ले गए और शराब पी कर कामोत्तेजक दवाइयां खा कर उस के साथ शारीरिक संबंध बनाए. चलते समय खुश हो कर अक्षय ने उसे कुछ रुपए भी दिए. अगले दिन भी उसे अक्षय ने बुलाया और संबंध बनाए. एक दिन अक्षय ने चांदनी को फोन कर के बुलाया, लेकिन चांदनी ने तबीयत खराब का बहाना बनाया, तो उस से अपने जैसे किसी और को भेजने के लिए कहा. चांदनी ने अपने गे साथी साबिर को जाने के लिए तैयार कर लिया.

डा. अक्षय उसे अपने लेबररूम में ले गए. दोनों ने साथ शराब पी. डा. अक्षय ने उस के साथ शारीरिक संबंध बनाए. साबिर जाने की जिद करने लगा, लेकिन अक्षय उसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए. इस बीच साबिर के मन में लालच भी आ गया. अक्षय की जिद से जब वह बौखला गया, तो उस ने हीटर का तार निकाल कर अक्षय के गले में फंदा बना कर कस दिया. नशे के चलते अक्षय ज्यादा विरोध नहीं कर सके और उन की मौत हो गई. उस के बाद साबिर अक्षय के गले से सोने की चेन, 4 अंगूठियां, मोबाइल फोन और पर्स निकाल कर वहां से निकल लिया. डा. अक्षय के ऐसे रिश्ते न होते तो उन्हें जान न गंवानी पड़ती.

सहेली के सीने में दागी गोली

समलैंगिक रिश्तों से स्त्रीपुरुष दोनों ही अछूते नहीं हैं. गोंडा जिले के महल्ला इस्माइलगंज निवासी 36 वर्षीया खूबसूरत दीपा सिंह (शादीशुदा) अपने घर में थी. तभी उस की सहेली सुमन, जोकि ग्राम कटरा शबाजपुर की प्रधान थी, कार में सवार हो कर चालक शिवम मिश्रा को ले कर वहां आई और दीपा के सीने में गोली दाग कर उस की हत्या कर दी. पुलिस ने सुमन को गिरफ्तार कर लिया. हत्या की जो वजह उस ने कुबूली उस से पुलिस और समाज दोनों ही दंग रह गए. सुमन व दीपा के समलैंगिक रिश्ते थे. बेवफाई से बौखला कर उस ने अपराध को जन्म दिया.

निकाह बना जान का दुश्मन

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2 युवकों के बीच गहरी दोस्ती थी. दोस्ती समलैंगिक रिश्तों में बदल गई. बात तब खुली जब जमील (बदला हुआ नाम) एसएसपी के सामने अपनी व अपने परिवार की जान की सुरक्षा की फरियाद ले कर पेश हुआ. वह बेगम की भूमिका में था जबकि दूसरा साथी शौहर. दोनों ने गुपचुप ढंग से निकाह भी कर लिया था. बीवी बना जमील इन रिश्तों से ऊबने लगा और दूरियां बनाने लगा. उस के साथी ने विरोध के साथ उसे धमकाना शुरू किया तो वह पुलिस की शरण में आ गया. पुलिस ने दखल दे कर युवक को परेशान न करने की हिदायत दे कर मामले को किसी तरह निबटाया.

अदालत ने भी माना अपराध

कानूनी मान्यता समलैंगिकों को भले ही मिल गई हो लेकिन उस से उपजता इस तरह का अपराध समाज के लिए भी घातक ही कहा जाएगा. समलैंगिकता का कानूनी अधिकार पाने के लिए लड़ाई चल रही है. मौलिक अधिकारों का दावा कर के अदालत के दरवाजे पर ऐसे रिश्तों की दावेदारी पहुंची, तो समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की तरफदारी करने वालों को देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 28 जनवरी को यह कह कर झटका दे दिया कि समलैंगिकता अपराध ही रहेगी. भारतीय दंड विधान की धारा 377 वैधानिक है संसद चाहे तो इसे कानून की किताब से हटा सकती है. समलैंगिक रिश्ते से बहुत से अपराध पैदा होते हैं क्योंकि इस में दोनों साथी, चाहे मर्द हों या औरतें, बराबर की हैसियत के होते हैं और ऐसे में झगड़ा होना स्वाभाविक है. 

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