एक रोचक जानकारी...

साल 1979 में जब फिल्म ‘काला पत्थर’ आई थी तो मैं उस के एक गाने ‘इक रास्ता है जिंदगी जो थम गए तो कुछ नहीं...’ का फैन हो गया था. इसलिए नहीं कि 7 साल की नन्ही उम्र में उस गाने के बोल मेरी समझ में आ गए थे, बल्कि मुझे तो शशि कपूर का बिंदास हो कर मोटरसाइकिल चलाना भा गया था.

मोटरसाइकिल कमाल की सवारी है. सलमान खान के एक फिल्मी डायलौग की बात करें तो यह जिंदगी को ‘किक’ देती है. और अगर इस पर सवार हो कर किसी लंबे रोमांचक सफर पर निकला जाए तो लगता है मानो आप सड़क के ऐसे बेताज बादशाह हैं जो मंजिल से ज्यादा सफर का मजा लेता है.

वैसे तो मोटर बाइक से कहीं का भी सफर किया जा सकता है, पर भारत में ही कुछ ऐसे एडवैंचर से भरे बाइक टूर मशहूर हो गए हैं जहां लोग अकेले और गु्रप बना कर पूरी तैयारी के साथ जाते हैं. अपनी और अपनी बाइक की लिमिट जानने के लिए लोग सूखे ऊंचे पहाड़ों की जन्नत लद्दाख या स्पीति घाटी तक हो आते हैं. बहुतों को घने जंगलों के कच्चे रास्तों पर बाइक दौड़ानी होती है तो वे पूर्वोत्तर राज्यों की दिलफेंक हरियाली से रूबरू होने के लिए चल देते हैं. इस के अलावा हिमाचल प्रदेश का मनाली भी बाइक लवर्स को खूब भाता है या बहुत से गंगा नदी के उद्गम स्थल उत्तराखंड के सर्पीले रास्तों को  नापने के लिए अपनी बाइक से चल पड़ते हैं.

बहुत से ऐसे बाइकर जो जान सुखा देने वाले पहाड़ों पर बाइक चलाने से बचते हैं, वे राजस्थान के भूरे रेगिस्तान को काटती काली सड़कों को अपने ‘2 पहियों के जहाज’ का रनवे बना सकते हैं.

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