आज नेहा बहुत खुश थी. काफी समय से वह अपने पूरे परिवार के साथ अमरनाथ की यात्रा पर जाने की इच्छुक थी. आज जब पति ने इन छुट्टियों में वहां जाने का प्लान फाइनल किया तो उस का दिल खिल उठा. पर एक सवाल उस के मन में कौंध रहा था. उस के सासससुर की उम्र अधिक हो चुकी थी. ऐसे में क्या वे अमरनाथ की गुफा तक का कठिन सफर तय कर पाएंगे? इस का समाधान भी पति ने तुरंत कर दिया.
दरअसल अब यात्रियों के लिए वहां हेलीकाप्टर की सुविधा उपलब्ध है . उन लोगों ने तय किया कि आगे का सफर हेलीकाप्टर से ही तय करेंगे .नेहा के प्रति राकेश ने एजेंट के जरिए 3 नाइट्स और 4 डेज का पैकेज बुक करा लिया.
श्रीनगर पहुंच कर वे सोनमार्ग की ओर निकले. हालांकि इन दोनों के बीच की दूरी मात्र 120 किलोमीटर थी मगर भारी भीड़ और ट्रैफिक जाम की वजह से 4 से 5 घंटे लग गए. वहां पहुंच कर उन्होंने एक होटल में रात बिताई और सुबहसुबह मुख्य यात्रा के लिए निकल पड़े.हेलीकॉप्टर बालटाल से मिलना था. उन्हें सुबह 9 बजे बालटाल पहुँचने को कहा गया था. वे यह सोच कर 6 बजे पहुंच गए कि फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के नियम के मुताबिक शायद उन्हें पहले मौका मिल जाए. मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ और उन्हें 9 बजे तक इंतजार करना पड़ा.
हेलीपैड पर हद से ज्यादा भीड़ और शोरशराबा मचा हुआ था. एजेंट्स ने पैसेंजर्स को मूर्ख बनाया था. इतनी ज्यादा ओवरबुकिंग थी की टिकट पर लिखे समय के मुताबिक टेकऑफ होना नामुमकिन था. करीब 3 घंटे की जद्दोजहद के बाद फाइनली उन्हें बोर्डिंग पास मिल गया . करीब 1 बजे तक उन का नंबर आया और अंततः वे पंचतरणी पहुंच गए. वहां से गुफा की दूरी 7 किलोमीटर थी मगर इतनी ज्यादा भीड़ और धक्कामुक्की हो रही थी कि गुफा तक पहुंचतेपहुंचते 5 घंटे और बीत गए. शरीर बेदम हो रहा था और सोने पर सुहागा यह हुआ कि इस भीड़ में नेहा का मोबाइल भी किसी ने मार लिया. इसी दौरान बारिश शुरु हो गई. तापमान प्लस 15 से गिर कर जीरो डिग्री पर पहुंच गया. राकेश ने जल्दी से पैरंट्स के लिए एक टेंट बुक किया. किसी तरह चाय का इंतजाम किया और फिर थोड़ी देर में दर्शन के लिए निकल पड़े. वहां पालकी की सुविधा मौजूद थी मगर इस के लिए भी काफी जेब ढीली करनी पड़ी.