उपग्रह प्रक्षेपण को ज्यादा किफायती बनाने की दिशा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तेजी से काम कर रहा है. आज के दौर में हर वस्तु के आकार को छोटे से छोटा बनाया जा रहा है. दुनिया माइक्रो की तरफ बढ़ रही है. ऐसे में हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिक भी माइक्रो उपग्रह बनाने में लगे हैं. साथ ही इसरो 10 टन वजन के उपग्रह को प्रक्षेपित करने वाला रौकेट भी तैयार कर रहा है, इस रौकेट में सेमी क्रायोजैनिक इंजन लगा होगा जो तरल औक्सीजन और कैरोसिन ईंधन से भी चलेगा. इस रौकेट के जरिए उपग्रह को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करना बेहद किफायती हो जाएगा. सेमी क्रायोजैनिक इंजन विकसित होने के बाद जीएसएलवी एमके-3 में इसे लगाया जाएगा, जिस से उस की पेलोड क्षमता 10 टन तक बढ़ाई जा सकेगी.
यह हमारे वैज्ञानिकों का ही कमाल है कि आज भारत विश्वस्तरीय रौकेट और उपग्रह तकनीक विकसित करने में अन्य देशों से आगे है. अभी हाल में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने एकसाथ 10 उपग्रह छोड़ कर विश्व कीर्तिमान बनाया है. इस से पहले यह विश्व कीर्तिमान रूस के नाम था, जिस ने एकसाथ 8 उपग्रह छोड़े थे. एकसाथ 10 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ने के लिए बेहद आधुनिक तकनीक की आवश्यकता होती है, जिसे भारत ने कर के दिखा दिया. 1974 में भारत पर परमाणु परीक्षण की वजह से प्रतिबंध लगा था. इस के बावजूद इसरो ने बिना किसी बाहरी मदद के यह तकनीक विकसित की. जिस की मदद से भारत यह विश्व कीर्तिमान बनाने में कामयाब रहा है. भारत के पास 11 दूरसंचार उपग्रह हैं, जो इस समय पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं.
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