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जसप्रीत को बुरा लगा मगर उस ने खुद को ही दोष दिया कि उस की क्या उम्र है घूमनेफिरने की? बच्चे नियत समय पर दुबई के लिए रवाना हो गए थे. जसप्रीत को अगले ही दिन बुखार हो गया था. उस ने फोन पर बच्चों को बताया तो उसे डाक्टर से मिलने की सलाह दे दी गई थी. बेटी ज्योत भी दीवाली पर अपने परिवार के साथ घूमने गई हुई थी. दीवाली की रात पर चारों और रोशनी से आकाश सजा हुआ था मगर जसप्रीत के अंदर इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वह खड़ी हो जाए. बुखार की दवाई कोई असर नहीं कर रही थी. सुबह से कुछ खाया भी नहीं था. तभी जसप्रीत को फोन पर मानव का मैसेज दिखा. जसप्रीत ने बुखार की घुमेरी में उसे कुछ लिखा और फिर जब उसे होश आया तो उस ने खुद को अस्पताल में पाया था.

मानव वहीं उस के सामने बैठा हुआ था. जसप्रीत मन ही मन सोच रही थी कि अब समाज उस के बच्चों से कुछ क्यों नही पूछ रहा है? जिस भगवान की पूजा करने के लिए समाज दबाव डालता है वे भगवान क्यों नहीं आए सामने? बच्चे उसे अकेले छोड़ कर दीवाली मनाने क्यों चले गए थे? जसप्रीत ने फिर मानव को अपनी पूरी कहानी सुना दी थी. जसप्रीत ने अपनी जिंदगी का वह पन्ना भी मानव के समक्ष बेपरदा कर दिया था जिस के कारण वह खुद को माफ नहीं कर पाई थी. मानव ने सुना और बस इतना ही कहा,"न तुम कल गलत थीं और न ही आज गलत हो. उस समय अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन परस्थितियों में तुम्हें वही ठीक लगा होगा. हमारा अतीत हमारे वर्तमान को नियंत्रित नहीं कर सकता है. मैं आज भी तुम्हारे फैसले की प्रतीक्षा में हूं."

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