एक ग्रुप के साथ वह घूमने जा रही थी. 62 साल की उम्र में पहली बार वह 20-22 साल की युवती की तरह उत्साहित हो रही थी. पूरे जोरशोर के साथ बहुत सालों बाद जसप्रीत ने शौपिंग करी थी. बेटेबहू सामने से तो कुछ कह नहीं पाए मगर उन के भावों में नाराजगी झलक रही थी. जसप्रीत का एक बार तो मन हुआ कि न जाए मगर फिर उस ने अपना मन कड़ा कर लिया था. जब वह अपने समान समेत बस में चढ़ी तो उसे इस बात का बिलकुल भी भान नहीं था कि यह सफर उस की जिंदगी की दिशा ही बदल देगा.
एक छोटी सी मिनी बस थी. सभी लोग जसप्रीत को अपने हमउम्र ही दिख रहे थे. करीब 20 लोग बैठे हुए थे जिस में से 8 जोड़े थे और 3 महिलाएं और एक पुरुष थे. शुरूशुरू में तो जसप्रीत को थोड़ी झिझक हो रही थी मगर फिर वह सहज हो गई थी.
जब सांझ के धुंधलके में वह ग्रुप वाराणसी पहुंचा तो जसप्रीत को थकान के बजाय बेहद ताजा महसूस हो रहा था. जसप्रीत जब अपने कमरे से बाहर निकली तो सभी लोग अपनेअपने कमरों में दुबके हुए थे. उस ने देखा कि बाहर लौबी में मानव बैठे हुए थे. जसप्रीत को देख कर उठ खड़े हुए और बोले,”चलो, मेरी तरह कोई और भी है जो कमरे से बाहर तो निकला बाकी सभी लोग तो आज थकान उतारेंगे.” जसप्रीत ने कहा,”आप घाट पर चलना चाहोगे?” मानव हंसते हुए बोला,” चलना नहीं दौड़ना चाहूंगा.”
दोनो ने एक रिकशा कर ली और पूरे जोश के साथ घाट पर पहुंच गए। एक अलग सा माहौल था घाट का. दोनों ही करीब 2 घंटे तक वहीं बैठ कर घाट को निहारते रहे. मानव की तंद्रा तब भंग हुई जब होटल से उन के ग्रुप का फोन आया. पूरा ग्रुप दोनों के लिए चिंतित था. घड़ी देखी तो रात के 10 बज गए थे. वापसी में मानव और जसप्रीत ने कचौरी और टमाटर की चाट का आनंद लिया. जसप्रीत शुरू में थोड़ी झिझकी मगर मानव ने यह कहते हुए उस का डर काफूर कर दिया कि मैं डाक्टर हूं, कुछ हुआ तो देख लूंगा. बिंदास खाइए और जिंदगी का आनंद लीजिए…
जब रात के साढ़े 10 बजे मानव और जसप्रीत होटल पहुंचे तो मैत्री की डोर में बंध गए थे. 4 दिन ऐसा लगा मानों 4 पल के समान उड़ गए हों. उस ने जिस तरह अपने पति को युवावस्था में खो दिया था वैसे ही मानव का अपनी पत्नी के साथ विवाह के 5 साल बाद ही अलगाव हो गया था. पहले विवाह का अनुभव इतना अधिक कसैला था कि मानव ने दोबारा विवाह नहीं किया. दोनों ने अपनी युवावस्था अकेलेपन में गुजारी थी इसलिए दोनों ही एकदूसरे के साथ बेहद सहज थे. दोनों की किसी के प्रति जवाबदेही नहीं थी. जसप्रीत को ऐसा लग रहा था मानों वह दोबारा से एक औरत की तरह सांस ले रही हो. मानव ने बातों ही बातों में उस से कहा, “अरे, आप को देख कर लगा ही नहीं कि आप 62 साल की हैं, मुझे तो आप 55 से अधिक की नहीं लगी थीं.”
न जाने क्यों जसप्रीत को मानव की ये बातें अंदर से गुदगुदा रही थीं. पूरे ट्रिप के दौरान जसप्रीत और मानव एकसाथ ही बने रहे. वे साथ भी थे और अपनेआप के साथ भी थे. मानव और जसप्रीत को एकदूसरे का साथ बहुत भा रहा था. वापसी यात्रा में मानव और जसप्रीत दोनों को यह लग रहा था कि यह सफर कभी खत्म न हो. फोन के द्वारा मानव और जसप्रीत के बीच बातचीत चलती रही. जिस दिन दोनों की बातचीत नहीं होती ऐसा लगता मानों वह दिन कुछ अधूरापन के साथ समाप्त हुआ हो.
62 साल की उम्र में जसप्रीत अपने मन की थाह को नहीं पा सकी थी. क्यों मानव का एक फोन उसे खुशी से भर देता है? जसप्रीत को पहली बार अपने पति के जाने के बाद ऐसा कोई पुरुष मिला था जो उस से व्यापार नहीं कर रहा था. मानव ने जसप्रीत के साथ एक साथी की तरह ही व्यवहार किया था. यह सच था कि जसप्रीत और मानव उम्र के उस मोड़ पर थे जहां पर दैहिक व्यापार का प्रश्न गौण हो जाता है. मगर पुरुष फिर भी उम्र के हर पड़ाव पर स्त्री से किसी न किसी चीज की उम्मीद ही रखता है.
जसप्रीत और मानव को बात करतेकरते पूरा 1 साल बीत गया था. इस एक साल में मानव जसप्रीत को बहुत अच्छे से जान गया था. आज मानव का जन्मदिन था, जसप्रीत ने जैसे ही रात के 12 बजे मानव को कौल किया तो मानव ने जसप्रीत को प्रोपोज कर दिया. मानव ने जसप्रीत से कहा,”जसप्रीत, जीवन की इस संध्या में कब जीवन के सूर्य अस्त हो जाएं, मालूम नहीं? मगर अब आगे की यात्रा मैं तुम्हारे साथ तय करना चाहता हूं.”
जसप्रीत यही तो सुनना चाहती थी. मगर उस के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह इतना बड़ा फैसला ले पाए. जसप्रीत को अच्छे से पता था कि अगर वह मानव का यह प्रस्ताव अपने घर वालों के सामने रखेगी भी तो उस के बच्चे ही उस के अतीत को कुरेदने लगेंगे. उस के अंदर हिम्मत का अभाव देख कर मानव एक दिन खुद ही जसप्रीत के घर पहुंच गया था.
जसप्रीत से कोई पुरुष मिलने आया हैं, यह बात उस के बेटेबहू को पसंद नहीं आई थी. मगर प्रत्यक्ष रूप से वे कुछ कह नहीं पाए. मानव को आए हुए 2 घंटे हो गए थे. जाने से पहले मानव ने जसप्रीत के बेटे से कहा,”बेटा, समझ नहीं आ रहा यह बात मैं कैसे करूं, मगर मैं आप की मम्मी से विवाह करना चाहता हूं.” मानव की बात सुनते ही जसप्रीत का बेटा आगबबूला हो उठा,”मम्मी, इस उम्र में भी आप गुल खिला रही हैं?”
उधर जसप्रीत की बहू बोली,”आप ऐसा करोगी तो कौन झलक से विवाह करेगा? यह उम्र है अपना जन्म सुधारने की। आप तो बस पूजापाठ में ध्यान लगाइए.” जसप्रीत शर्म से जमीन में गङी जा रही थी. उसे लग रहा था कि उस से फिर से गलती हो गई है. क्यों उसे एक साथी की दरकार रहती है? क्यों वह पूजापाठ में ध्यान नहीं लगा पाती है?
मानव ने जसप्रीत से कहा,”जसप्रीत, मुझे तुम्हारे फैसले का इंतजार रहेगा.” मगर उस दिन के बाद से जसप्रीत और मानव के बीच कोई बात नहीं हुई. कुलवंत ने यह बात अपनी बहन ज्योत को भी बता दी थी. ज्योत भी घर आ गई थी. जसप्रीत के बेटे और बेटी ने साफसाफ शब्दों में कह दिया था कि अगर जसप्रीत को मां का दर्जा चाहिए तो दूसरे विवाह की बात दिमाग से निकाल दें. जसप्रीत फिर से समझौता करने को तैयार हो गई थी. वह घर की शांति के लिए और समाज के रिवाजों के हिसाब से खुद को ढालने के लिए तैयार हो गई थी.
कैसी होती है एक 62 वर्षीय महिला की जिंदगी, एक फालतू फर्नीचर जिस के होने या न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. हां, यदि वे न हों तो घर का कोना खाली हो जाता है. 62 साल की महिला या वृद्धा जिसे अपनी जिंदगी के बाकी दिन पूजापाठ, नातीपोतों की देखभाल में बिताने चाहिए, उम्र के इस पड़ाव में किसे घूमनेफिरने की, इधरउधर मित्रता करने की ललक होती है?
जसप्रीत ने मानव से बातचीत लगभग बंद कर दी थी. बहू ने फूल टाइम मेड की छुट्टी कर दी थी. उस के अनुसार मम्मीजी घर के कामकाज में बिजी रहेंगी तो उन के दिमाग में फालतू बात नहीं आएगी. जसप्रीत ने खुद को घर के कार्यों में व्यस्त तो कर लिया मगर मानसिक रूप से वह टूट गई थी. पहले सासससुर और मातापिता ने उसे बच्चों की दुहाई दे कर कठपुतली की तरह नचाया और अब उस के अपने बच्चे उसे समाज की दुहाई दे कर नचा रहे हैं.
1 हफ्ते बाद दीवाली थी. घर में जोरशोर से तैयारियां चल रही थीं. जसप्रीत के बेटे ने जसप्रीत से कहा,”मम्मी, मैं इस बार बच्चों के साथ दीवाली पर घूमने जा रहा हूं, आप को भी ले चलते मगर आप की तबियत भी ठीक नहीं रहती और फिर दीवाली पर घर भी बंद नहीं कर सकते हैं न.”