Hindi Love stories : साधारण रंगरूप वाले कविश पर कोई ध्यान न देता था. लेकिन कालेज की सब से खूबसूरत लड़की रिया ने जब उस से दोस्ती के लिए हाथ बढ़ाया तो वह हैरान रह गया. आखिर ऐसा क्या देखा रिया ने कविश में ?

घड़ी पर नजर पड़ते ही कविश ने जल्दी से नाश्ता किया और कालेज जाने की तैयारी करने लगा. वह बीए सैकंड ईयर में पढ़ रहा था. कालेज की तैयारी वह बहुत इत्मीनान से करता था. उस का रूपरंग साधारण था, रंग थोड़ा दबा हुआ. उस की कोशिश रहती कि कालेज स्टूडैंट्स खासकर लड़कियां उसे देखें. लेकिन उस के साधारण व्यक्तित्व को देख कर कोई भी प्रभावित नहीं होता था. उसे इस बात का बड़ा मलाल रहता.
ड्रैसअप होने के बाद उस ने मेज पर रखा हैलमेट उठाया. उस के साथ घर के सामान की लिस्ट रखी हुई थी जिसे देख कर उसे बड़ा गुस्सा आया. उस ने कई बार मम्मी से कहा भी कि उसे कालेज से आते हुए सामान लाने को न कहा करें लेकिन वह आदत से मजबूर थीं.
अब वह उस से न कहतीं, हैलमेट के साथ लिस्ट रख देती थीं और साथ में रुपए भी. उस ने खिन्न हो कर रुपए और परची जेब में रखी व मोटरसाइकिल स्टार्ट कर कालेज के लिए निकल गया.
उस का कालेज करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर था. कालेज पहुंच कर भी मम्मी को ले कर उस का रोष कम न हुआ था. उसे हमेशा लगता कि मम्मी उसे प्यार नहीं करतीं. उस की छोटी बहन ताशा को वह ज्यादा प्यार करतीं. वह दिखने में मम्मी जैसी सुंदर और गोरीचिट्टी थी. पढ़ने में भी हमेशा अव्वल रहती. उसे मलाल होता कि औरों की तरह उस की मम्मी लड़के को ज्यादा भाव न दे कर ताशा को सिर पर चढ़ा कर रखतीं. घर का कोई काम होता है तो वह ताशा की जगह उसे ही करने को कहतीं.
मम्मी की देखादेखी बड़ा होने पर भी ताशा उसे इज्जत न देती. वह भी उस पर हुक्म चलाती. कालेज में उस का जिगरी दोस्त रोशन था. क्लास खत्म कर वह बाहर निकला तो उसे रोशन कहीं दिखाई न दिया. पता लगा, आज वह कालेज नहीं आया था. उदास हो कर वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया. सामने उस की क्लास के लड़कों का ग्रुप बैठा था.
उस के सामने अपनी फ्रैंड के साथ रिया बैठी थी. वे बीचबीच में एकदूसरे पर कमैंट पास कर रहे थे. रिया क्लास की सब से खूबसूरत लड़की थी. हर कोई उस से दोस्ती करना चाहता था.
कविश की भी उस से बात करने की इच्छा होती. अपने अंदर की कुंठा के कारण वह उस से बात करने में झिझक जाता. रिया और उस की फ्रैंड भी उस की ओर कभी नजर उठा कर न देखते. कविश दूर से उन की चुहलबाजी देख रहा था. घड़ी पर नजर पड़ते ही कविश क्लास की ओर बढ़ गया. कुछ देर बाद वे सब भी क्लास में चले गए.
आर्यन अपने दोस्त पीयूष के साथ अभी भी वहीं बैठा था.
‘‘चलो, क्लास में चलते हैं.’’
‘‘छोड़ यार, मैं कालेज क्लास अटैंड करने नहीं, मस्ती करने आता हूं. कौन सा मुझे पढ़लिख कर नौकरी करनी है.’’
‘‘तुम्हें न सही, मुझे तो करनी है.’’
‘‘तुझे किस ने रोका है? आराम से क्लास में जा. तब तक मैं इधरउधर कालेज में घूम रही खूबसूरत तितलियों के दीदार करता हूं.’’
‘‘तू जानता है, मैं तुझे छोड़ कर नहीं जा सकता, इसीलिए ऐसी बात कह रहा है. अपनी खातिर न सही, मेरी खातिर क्लास में चल. वहां भी बहुत सारी रंगीन तितलियां हैं.’’
न चाहते हुए भी आर्यन उस के साथ क्लासरूम की ओर बढ़ गया. उस ने सर की नजर बचा कर रिया को कुछ इशारा किया और सब से पीछे की बैंच पर जा कर बैठ गया. रिया भी मुड़मुड़ कर उसे देख रही थी. कविश सब से पहले आ कर क्लासरूम में बैठ गया था. उस का ध्यान पढ़ाई पर था. क्लास खत्म होते ही वह सीधे घर की ओर बढ़ गया. रास्ते में उसे मंडी से जरूरी सामान लेना था. मम्मी की सख्त हिदायत थी कि वहां सामान सस्ता मिलता है, इसीलिए वहीं से सामान लाया करो. वह अपनी स्थिति अच्छे ढंग से जानता था कि उस की मम्मी सीमित साधन में घर चला रही थीं.

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