The Tribals : ब्राजील के फोटोग्राफर पिस्को डेल गेसो को इस फोटो के लिए 1993 में प्रतिष्ठित किंग औफ स्पेन इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया था. इस कमाल की फोटो में अमेजन वर्षावन में “गुआजा जनजाति” की एक महिला को एक छोटे जंगली सुअर को स्तनपान कराते हुए दिखाया गया है . इस छोटे से सुअर की मां को शिकारियों ने गोली मार दी थी.

आज के मौडर्न युग में हमें आदिवासियों का नाम सुनने में कुछ अजीब लगता है. इंटरनेट के इस युग में हमें पूरी दुनिया बहुत छोटी लगने लगी है. हम अपने चारों ओर जैसे लोग देखते हैं दुनिया को भी वैसा ही समझने लगते हैं लेकिन आज भी विश्व में कई ऐसी आदिवासियों की जनजातियां हैं जो हमारी इस आधुनिक दुनिया से बिलकुल अलग हैं.

आदिवासियों की इस छुपी हुई दुनिया में महंगे कान्वेंट स्कूल नहीं फिर भी बच्चे जिंदगी के बहुत ही पेचीदा गुण सीख लेते हैं, वहां बिजली नहीं फिर भी उन की आंखों में एक अलग तरह की रोशनी है. आदिवासी समाज में आधुनिक माने जाने वाली दुनिया की संवेदनहीन भीड़भाड़ नहीं इसलिए वे एकदूसरे के दर्द को अच्छी तरह महसूस करते हैं.

वहां महंगी इलाज की दुकानें नहीं है फिर भी ये लोग अपने दर्द का इलाज जंगलों से ढूंढ लेते हैं. आदिवासियों की इस दुनिया में रुपया नहीं चलता बल्कि इन की इकोनौमी एकदूसरे के सहयोग पर आधारित होती है इसलिए यहां कभी जीडीपी गिरता उठता नहीं.

हमारी आधुनिक और सभ्य कहे जानी वाली दुनिया में रंगभेद है. अमीरी और गरीबी का फर्क है और तो और इंसान व इंसानों के बीच नफरतों की गहरी खाइयां भी हैं साथ ही सरहदों की बड़ी दीवारें भी खड़ी हैं लेकिन इन जंगली और जाहिल लोगों में इंसान से इंसान का कोई भेद नही बल्कि यहां तो इंसान और जानवर भी साथसाथ जीते हैं.

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