लब मेरे खामोश रहेंगे क्योंकि मेरा प्यार हो तुम

वरना मेरा दिल जाने है झूठे और मक्कार हो तुम

फूलों सी मुस्कान में लिपटा शबनम भीगा प्यार तेरा

जैसे मतलब निकल गया तो बरछी और कटार हो तुम

बंट जाते हो सब लोगों में मुझको तनहा छोड़ के तुम

मैं झूठे कहती रहती हूं के मेरा अधिकार हो तुम

जिनसे तुम नफरत करते हो उनसे ही तुम महफ़िल में

हंस हंस के बातें करते हो कैसे रंगे सियार हो तुम

मजबूरी है रहना होगा रक्खोगे जिस हाल में तुम

मैं हूं जैसे बेबस जनता और मेरी सरकार हो तुम

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...