उसके लिए ज़िदगी
खुला आसमान
बे-छोर, बे-बंधन, बे-छत, बे-दीवार
खेलो-खाओ, पियो-जियो
मेरे लिए ज़िदगी
कल्पना नहीं, नशा नहीं, स्वप्न नहीं
सिर्फ हकीकत
मुश्किलों का सामना करती
जूझती, लड़ती , आगे बढ़ती
बंधनों के साथ, दायरों के साथ
वो समझौतों से परे, मैं समझौतों के साथ
दोनों विपरीत, दोनों भिन्न
ख़याल भिन्न, व्यवहार भिन्न, परिस्थितियां भिन्न
फिर भी
साथ चलने की धुन
तो
नफरत - मोहब्बत
धमकी - चुंबन
विश्वास - अविश्वास
दूरी - नजदीकी
सपने - हकीकत
सब एक साथ
भर लिए
विवाह रूपी बोतल में
और चल पड़े साथ
लेकिन कितनी दूर ?
कितनी देर ?
अचानक एक रात
हो गया विस्फोट
छन्न से टूटी बोतल
बिखर गईं किरचें
हैरान
अवाक
मैं भी, वो भी
न संभाल पाने का गुस्सा
टूटने का दुख लिए
ख़ामोशी से
वह उड़ गया सिगरेट के धुएं सा
और मैं
सिमट गई अपने दायरे में
इससे पहले के बिखरी किरचें गड़ जाएं
घायल कर दें पूरा वजूद
बटोरी किरचें
फेंकी और साफ़ कर दी
दिल की ज़मी
पर एक किरच
शायद गड़ गई है कहीं
दिखती नहीं लेकिन
रात की तन्हाई में
बार बार चुभती है
तकलीफ देती है
रुलाती है
आंसू बन कर
गालों पर बहते हुए
हर रात
उसकी नमकीन यादों से
होंठों को नम कर जाती है