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रागिनी घर न जा कर, आज औफिस से सीधे बैंक चली गई यह देखने कि उस के अकाउंट में कितने पैसे हैं. लेकिन जब उसे पता चला कि उस के अकाउंट में तो सिर्फ कुछ हजार रुपए ही हैं, तो उस के तो पैरोंतले जमीन खिसक गई. “क्या...पर मैं ने तो कई महीनों से पैसे निकाले ही नहीं,” हैरान होते हुए रागिनी बोली कि जरूर कुछ मिस्टेक है. उस पर बैंक मैनेजर ने कहा कि कोई मिस्टेक नहीं है, बल्कि हर महीने आप के अकाउंट से पैसे निकल रहे हैं.

कुछ समझ नहीं आ रहा था रागिनी को कि यह सब क्या हो रहा है. जब उस ने पैसे निकाले ही नहीं कई महीनों से तो पैसे गए कहां? कहीं ऐसा तो नहीं एटीम कार्ड किसी के हाथ लग गया हो? समझाया गया था रागिनी को एटीम कार्ड के पीछे ‘पिन नंबर मत लिखो, अगर किसी के हाथ लग गया तो गड़बड़ हो जाएगी.’ लेकिन सुषमा बोली थी कि वह पिन नंबर भूल जाती है, इसलिए रहने दो. रागिनी को यह भी लग रहा था कि कहीं साइन किया चैकबुक तो किसी के हाथ नहीं लग गया? हां, जरूर ऐसा ही कुछ हुआ होगा, चिंता से व्याकुल रागिनी ने जब अपनी मां को फोन लगाया और पूछा, तो सुन कर दंग रह गई. उस की मां ने बताया कि दीपक की नौकरी चली गई, इसलिए वह उस के पैसे उसे देती रही निकालनिकाल कर.

“बेटा, वह तेरा अपना सगा भाई है. भूखों मरता, तो क्या तुम्हें अच्छा लगता?” सुषमा दलीलें देने लगी, “तुम्हें तो पता ही है, तुम्हारे पापा की पैंशन हमें ही पूरी नहीं पड़ती, तो मैं उसे कहां से मदद कर पाती. वह कहने लगा कि भूखे मरने से अच्छा है पूरा परिवार जहर खा कर सो जाएंगे. तो मेरा दिल पिघल गया बेटा. और तुम्हें तो किसी बात की कमी नहीं है, इसलिए सोचा, कुछ महीने की हो तो बात है. वह नौकरी ढूंढ रहा है, फिर तुम्हारे पैसे नहीं लेगा.”

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