“और हमारा परिवार शुरू भी नहीं हुआ है,” कह कर रितेश ने आंख मारी तो रागिनी का गाल शर्म से लाल हो गया. “चलो न, आज औफिस छोड़ देते हैं,” शरारतभरे अंदाज में रितेश बोला, तो रागिने ने उसे पकड़ कर बैठा दिया कि खाओ चुपचाप और औफिस जाओ. “अच्छा बाबा, जा रहा हूं. वैसे कब हुआ, मेरा मतलब है बच्चा कब हुआ?” रोटी का कौर मुंह में डालते हुए रितेश ने पूछा.
“यह पूछ ही रही थी कि तुम ने मेरे हाथ से फोन छीन लिया, फिर मैं भूल गई. जाने दो, अब बाद में पूछ लूंगी,” रागिनी ने मुंह बनाया. अपनी भाभी के घर बेटा आया सुन कर रागिनी भी बच्चे के लिए मचल उठी. प्रमोशन के चक्कर में अभी तक वे बच्चे को टाल रहे थे. पर अब रागिनी मां बनना चाहती थी. लेकिन दोनों का विचार था कि पहले अपना घर लेंगे, फिर बच्चा प्लान करेंगे. और वे दिल्ली में नहीं, बल्कि अहमदाबाद में बसना चाहते थे क्योंकि अब उन्हें दिल्ली की आबोहवा रास नहीं आ रही थी. ऊपर से हमेशा यहां कुछनकुछ चलता ही रहता है जिस से आम जनजीवन प्रभावित होता है. गुजरात शुरू से ही शांतिप्रिय रहा है, ऊपर से रितेश का पूरा परिवार वहीं रहता है. रागिनी को भी अहमदाबाद शहर बहुत सुकून व शांतिभरा लगता है. रितेश ने बताया कि उस के एक दोस्त ने बताया कि अहमदाबाद की सीजी रोड पर अच्छेअच्छे टू, थ्री और फोर बीएचके फ्लैट बन रहे हैं, वह भी ले रहा है. अगर उसे लेना है तो बोले.