एमबीए करने के बाद मयंक की लंदन में एक अच्छी सी कंपनी में नौकरी लग गई थी. अभी 2 साल भी नहीं हुए थे, सब शादी के लिए हल्ला मचाने लगे थे. मयंक से सभी चुटकी लेते थे, “अरे भाई कोई हो तो बता देना.”
पर न जाने क्यों एक अनदेखा डर सभी के मन में बैठा हुआ था. कहीं सचमुच वह किसी गोरी मेम को ले कर खड़ा न कर दे. राहुल ने हवा में तीर छोड़ा, “कोई लड़की देख रखी हो तो पहले ही बता दो, फिर न कहना कि मामा ने पूछा नहीं. तुम्हारे नाना पीछे पड़े हैं कि तुम से पूछ लें वरना हम लोग लड़की देखें…”
तभी पीछे से प्रियंका चिल्लाई, “मयंक, पहले बता देना. अचानक से सरप्राइज मत देना. कम से कम तेरी मामी को तैयारी करने का मौका दे ही देना, वरना तेरी बीवी कहेगी कि मैं किन लोगों के बीच आ गई.”
प्रियंका ने राहुल से फोन ले लिया. मयंक न जाने क्यों शरमा गया. “मयंक, कैसे हो बेटा?” “मामीजी, मैं बिलकुल ठीक हूं, आप बताइए… आप लोग कैसे हैं?” “हम भी ठीक हैं, बस वही दालरोटी के चक्कर में फंसे हुए हैं. तुम बताओ कि कोई लड़कीवड़की देखी कि हम लोग देखें.”
“आप भी मामीजी…” “अरे, मुझ से क्या शरमाना, जो भी हो साफसाफ बता देना.” मयंक ने वही रटारटाया जवाब दिया, “मनुष्य का एक स्वभाव होता है चाहे वो कितना भी समझदारी का ढोंग कर ले… पेट में शक की मरोड़ उठती ही रहती है.”
प्रियंका ने एक दिन यों ही सोशल मीडिया पर मयंक को अपनी साथी महिला कर्मचारियों के साथ पार्टी की फोटो देख ली थी. छोटेछोटे कपड़ों में लड़कियां हाथ में रंगीन गिलासों के साथ तितली की तरह खिलखिला रही थीं. न जाने क्यों तब से ही प्रियंका के दिमाग में शक का कीड़ा घुस गया था. वह बहुत दिनों से इसी फिराक में थी कि मयंक से बात कैसे निकलवाई जाए.
प्रियंका ने अपनी आवाज को गंभीर बना कर कहा, “मयंक, शादी तो करनी ही है और हर आदमी तुम से कुछ न कुछ कहेगा ही… पर निभाना तुम को है, इन सब चीजों में दूसरों की नहीं खुद की सुनो. कल कोई ऊंचनीच हुई तो सब पल्ला झाड़ लेंगे. तुम्हें कैसी लड़की चाहिए, इस का निर्णय तुम को लेना होगा.”
मामी की बात सुन कर मयंक के दिल में छुपे विचारों को मानो बल मिल गया. शायद आज से पहले किसी ने उस से इस ढंग से बात नहीं कही थी. किसी ने कभी उस का दृष्टिकोण जानने का प्रयास ही नहीं किया था.”मयंक, कहना तो नहीं चाहिए. सब मेरे अपने ही हैं, पर तुम्हारे घर या फिर यहां तुम्हारी नानी के घर का माहौल ऐसा नहीं है कि नए जमाने की लड़कियां अपनेआप को एडजस्ट कर लें. सच पूछो तो वो वक्त के साथ बदलना भी नहीं चाहते. हम लोगों की बात छोड़ो, हम ने तो जैसेतैसे निभा लिया, पर तुम्हारी पीढ़ी ये सब नहीं झेल पाएगी.”
“सच कह रही हैं मामी. घर पर पापा, मम्मी, दादी, ताऊ, ताईजी सब शादी के लिए पीछे पड़े हैं. हर दूसरेतीसरे दिन मम्मी एक फोटो ले कर खड़ी हो जाती हैं. मैं… मैं उन से खुल कर कह भी नहीं पाता कि अचारमुरब्बा वाली लड़की मुझे नहीं चलेगी.”
मयंक की बात सुन प्रियंका खिलखिला कर हंस पड़ी. प्रियंका सोचने लगी, सच ही तो कह रहा था मयंक. उस की शादी के समय पापा ने भी तो शौक में यही सब तो लिखवाया था.मयंक ने बड़ी लापरवाही से कहा, “मामीजी, आजकल के जमाने में ये सब खाता कौन है, सब तो फिगर कानसेस है. वैसे भी आजकल बाजार में सबकुछ मिल जाता है.”
“फिर भी बेटा…”प्रियंका के शब्द गले में ही अटक कर रह गए. यही मयंक खाने के लिए बचपन में दीदी को कितनी नाच नचाता था.दीदी हाथ में थाली लिए मयंक के पीछे भागतेभागते हार जाती थीं. गलत तो नहीं कहा था मयंक ने, मम्मीजी अकसर कहती थीं कि आजकल की लड़कियां कुछ नहीं करना चाहतीं… ऊपर से तुर्रा ये कि पढ़ाई कर रहे हैं. खाना बनाने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है.
प्रियंका सोचने लगी, उस के पापा ने भी तो उस की शादी के वक्त कुछ इसी तरह के शौक और विशेषताएं लिखवाई थीं, कुछ तो ऐसी भी चीज शामिल थी, जिस का उस से दूरदूर तक नाता नहीं था. उन दिनों कुकरीबेकरी बड़े लोगों की चीज हुआ करती थी, पापा ने वो भी लिखवा दिया. शायद लड़के वालों के सामने वो अपनी बेटी को कमतर नहीं दिखाना चाहते थे या शायद ये भी हो सकता है कि वो किसी भी आधार पर बेटी के ऊपर रिजेक्शन का ठप्पा नहीं लगवाना चाहते थे, पर इतने जतन और टोटके के बाद भी दो जगह से रिजेक्शन का ठप्पा लगने के बाद प्रियंका की शादी राहुल से हो पाई थी.
वक्त बदल गया था, पर वक्त के साथ लड़कियों के लिए सोच का दायरा नहीं बदला था. पर लड़कियों को आज भी रिजेक्ट किया जाता था. पर, हां समय ने करवट जरूर ली थी. अब लड़कियां भी लड़कों की तरह रिजेक्ट करने लगी हैं.” हेलो… हेलो.”
प्रियंका मयंक की आवाज सुन अपनी सोच के घेरे को तोड़ बाहर आ गई.”सुन रही हूं बेटा, बोलो..” “मामीजी, मैं खुद नहीं चाहता कि जिस किसी से मेरी शादी हो, वो दिनभर घर पर बैठ कर मेरे लिए खाना बनाए.”
‘जिस किसी…’ प्रियंका का शंकित मन सोशल नेटवर्किंग पर मयंक के साथ की लड़कियों की तसवीरों में उस जिस किसी को तेजी से टटोल रहा था.”मयंक ठीक कह रहे हो, जितना बड़ा शहर उतने ही खर्चे… दोनों नहीं कमाएंगे तो काम कैसे चलेगा.”
“बात कमाने की नहीं है मामीजी. मैं इतना कमा लेता हूं कि अच्छे से जिंदगी कट जाएगी, पर इस शहर में, घर में दिनभर अकेली पड़ी रहे यह तो मैं भी नहीं चाहूंगा.”