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लेखिका-निधि अमित पांडे

सुबह के 6  बजने को आए थे. ममता  हड़बड़ी में बिस्तर से उठते समय गिरने ही वाली थी कि राधा ने उसे संभाल लिया था.

“क्या करती रहती हो मां, किस बात कि इतनी जल्दी रहती है तुम्हें?” गुस्सा होती हुई राधा बोली.

ममता  ने जवाब दिया, “आज काम पर जल्दी जाना है, बेटा.”

मांबेटी की छोटी सी दुनिया थी. उन का एकदूसरे के लिए  प्यार सीमा परे था. अकसर राधा मां के उठने से पहले ही उठ जाती थी और बिना कोई आवाज किए चुपचाप अपनी पढ़ाई करने के लिए  बैठ जाती थी. मां दिनभर काम कर के थक जाती है. उन की नींद खराब न हो, इस बात का राधा  पूरा ख़याल रखती थी.

मां को आज काम पर जल्दी जाना है, यह जान कर उस ने अपनी किताबें समेट कर रख दी थीं और गैस पर चाय चढ़ा नाश्ते की तैयारी करने लगी.

ममता नहा कर आई, तो देखा, राधा हाथ में चायनाश्ता लिए खड़ी उस का इंतजार कर थी. उस की तरफ देखती हुई  ममता  बोली, “जाने कौन से अच्छे कामों का फल मुझे मिला है कि तूने मेरी कोख से जन्म लिया.  तेरे जैसी औलाद सब के घरों मैं पैदा नहीं होती.”

मां के कंधों पर झूलती हुई राधा बोली, “हां, हां, अब जल्दी नाश्ता खा लो, ठंडा हो जाएगा.” यह कह कर वह फिर पढ़ाई करने बैठ गई.

नाश्ता खत्म कर के ममता जल्दी में बाहर निकलतेनिकलते राधा से बोली, “मैं चलती हूं बेटा, मुझे देर हो रही है. पूजा मेमसाब ने 8 बजे तक आने को कहा था. तू बिना खाए स्कूल  न जाना और सुन, शक्कर के डब्बे के नीचे 20स रुपए रख दिए हैं, स्कूल में कुछ खाने के लिए.”

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